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जमुई : तब क्या होगा महागठबंधन के धुरंधरों का?

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संजय वर्मा
09 जुलाई 2023

PATNA : जमुई संसदीय क्षेत्र से‌ चुनाव लड़ने की चाहत रखने वालों की आमद बढ़ रही है. ऐसा‌ एक न एक चेहरा अक्सर‌ चमक उठता है‌. वैसा ही एक चेहरा है डा. स्मृति पासवान (Dr Smriti Paswan) का. फिलहाल इनका न किसी राजनीतिक दल से प्रत्यक्ष जुड़ाव है और न चुनावी राजनीति (Politics) का अपना कोई खास अनुभव. समाज सेवा का जज्बा है. वही संसदीय चुनाव (Parliamentary Election) में उतरने को प्रेरित कर रहा है. वैसे, वह राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से आती हैं. इसलिए इसकी कुछ न कुछ समझ तो होगी ही.वह पटना जिला परिषद (Patna Zila Parishad) की पूर्व अध्यक्ष और जदयू की चर्चित महिला नेता नूतन पासवान की पुत्री हैं.

डा. स्मृति पासवान भी…
नूतन पासवान (Nutan Paswan) को चुनाव लड़ने का अच्छा खासा अनुभव है. पटना के मसौढी़ (Masaurhi) विधानसभा क्षेत्र से दो बार चुनाव लड़ चुकी हैं. एक बार राजद (RJD) और दूसरी बार जदयू (JDU) उम्मीदवार के रूप में. दुर्भाग्यवश दोनों बार हार का मुंह देखना पड़ गया. इसके बावजूद हौसला बुलंद है. भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी जयंतकांत (Jayant Kant) डा. स्मृति पासवान के पति हैं. वर्तमान में चम्पारण (Champaran) के पुलिस उपमहानिरीक्षक के रूप में बेतिया (Bettiah) में ‌पदस्थापित हैं. ऐसा कहा जाता है कि डा.स्मृति पासवान (Dr. Smriti Paswan) में जमुई से चुनाव लड़ने की अभिलाषा तब जगी थी जब उनके पति जयंतकांत वहां पुलिस अधीक्षक के रूप में पदस्थापित थे. उनकी यह पदस्थापना 2017 में हुई थी. उस दौरान डा. स्मृति पासवान जमुई (Jamui) की सामाजिक गतिविधियों से गहरे रूप से जुड़ी थीं. खुलकर सक्रिय भी रहती थीं.

लोगों से है गहरा लगाव
दहेज प्रथा एवं अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अभियान चलाती थीं. जरूरतमंदों एवं अभावग्रस्त गरीब-गुरबों की दिल खोलकर मदद करती थीं. महत्वपूर्ण बात यह‌ भी कि पति जयंतकांत (Jayant Kant) के तबादले के‌ बाद भी जमुई (Jamui) के लोगों से उनकी आत्मीयता बनी रही. डा. स्मृति पासवान (Dr. Smriti Paswan) का कहना है कि इससे जमुई के‌‌ लोगों का उनसे गहरा लगाव हो गया है. उनके आग्रह पर‌ ही जमुई से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी हैं. क्षेत्र में चुनाव पूर्व अभियान चला रही हैं. डा. स्मृति पासवान के मुताबिक उनकी इस राजनीतिक सक्रियता पर पति जयंतकांत को कोई आपत्ति नहीं है. एक सीमा‌ में उनका‌ सहयोग मिल रहा है.

नहीं लड़ेंगे चिराग!
जमुई से अभी लोजपा (रामविलास) सुप्रीमो चिराग पासवान (Chirag Paswan) सांसद हैं. उन्होंने ऐसा कह रखा है कि इस बार जमुई से वह चुनाव नहीं लड़ेंगे. दिवंगत पिता रामविलास पासवान (Rambilash Paswan) के‌ संसदीय क्षेत्र हाजीपुर (Hajipur) की विरासत संभालेंगे. हाजीपुर से उनके चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) रालोजपा के सांसद हैं. नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार में मंत्री भी हैं. दोनों की अपनी अलग-अलग पार्टी है, गला काट प्रतिद्वंद्विता है. चिराग‌ पासवान ने उन्हें हाजीपुर से बेदखल करने की‌ मुकम्मल तैयारी कर रखी है. विश्लेषकों का मानना है कि वह ऐसा करते हैं तो डा. स्मृति पासवान के लिए राजग (NDA) में संभावना बन सकती है.


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वहां है मारामारी …
महागठबंधन में पहले से ही मारामारी है. राजद और जदयू में कई दावेदार हैं‌ जो मूंछ ऐंठते फिर रहे हैं. उदयनारायण चौधरी‌ (Udainarayan Chowdhary), श्याम रजक (Shyam Rajak), भूदेव चौधरी (Bhudeo Chowdhary) आदि राजद में हैं तो‌ अशोक चौधरी‌ (Ashok Chowdhary) जदयू में. इधर के दिनों में कांग्रेस से जुड़े ई. ईश्वर प्रसाद गुप्ता (Enn. Ishwar Prasad Gupta) भी अपनी संभावना संवारते दिख रहे हैं. लोग यह जानना जरूर‌ चाहेंगे कि अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित जमुई संसदीय क्षेत्र से ई. आई पी गुप्ता कैसे चुनाव लड़ेंगे? दरअसल ई. आई पी गुप्ता पान समाज से हैं‌ जो अनुसूचित जाति में सूचीबद्ध है. इन धुरंधरों को धकिया महागठबंधन (Mahagathbandhan) में उम्मीदवारी झटक लेना आसान नहीं होगा. ऐसे में डा.‌ स्मृति पासवान किस दल से चुनाव लड़ेंगी यह अभी स्पष्ट नहीं है.

बदल जायेगा परिदृश्य
वैसे, उनका कहना है कि इस बाबत कई दलों के लोग उनसे संपर्क बनाये हुए हैं. इस संदर्भ में ज्यादा कुछ कहना अभी जल्दीबाजी होगी. तस्वीर साफ होने में अभी वक्त लगेगा. जो हो, डा.स्मृति पासवान की मां नूतन पासवान (Nutan Paswan) खुश हैं कि उनकी बेटी जनता की सेवा के लिए राजनीति में आ रही हैं और जमुई से चुनाव लड़ने जा रही हैं. वैसे तो चुनाव (Election) अभी दूर है, उसमें क्या होता है क्या नहीं, यह उसके गर्भ में है. पर, इतना अवश्य कहा जा सकता है कि दलीय या निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर डा. स्मृति पासवान (Dr. Smriti Paswan) मैदान में उतरती हैं तो मुकाबले का स्वरूप बहुत कुछ बदल जा सकता है.

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