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एनडीए में खटराग : मटिहानी पर तकरार, चिराग पसार रहे रार!

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विनोद कर्ण

24 सितम्बर 2024

Begusarai : हाल के दिनों में हुई बात-मुलाकात के बाद भी लगता है नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के खिलाफ चिराग पासवान (Chirag Paswan) का गुस्सा शांत नहीं हुआ है. 2020 के विधानसभा चुनाव की तरह 2025 में भी उन्होंने जदयू (JDU) से सीधे टकराने का मन बना रखा है. सोमवार को बेगूसराय के मटिहानी (Matihani) में आयोजित अपने अभिनंदन समारोह में उनकी जो भाव भंगिमा दिखी और खुले तौर पर उन्होंने जो कुछ कहा उससे इसकी तसदीक होती है. अभिनंदन समारोह में चिराग पासवान ने बेगूसराय जिला परिषद (Begusarai Jila Parishad) की पूर्व अध्यक्ष इंद्रा देवी को मटिहानी से लोजपा-रामविलास का उम्मीदवार घोषित करते हुए उपस्थित जन समूह से उन्हें ‘आशीर्वाद’ देने का अनुरोध किया.

नहीं रह पाये लोजपा में

यह कहते हुए कि 2020 में मटिहानी के लोजपा उम्मीदवार (LJP Candidate) को जैसा जिताऊ आशीर्वाद दिया था, वैसा ही इनको भी दीजियेगा. ‌यहां गौर करने वाली बात है कि 2020 में तब की लोजपा ने एनडीए (NDA) और महागठबंधन (Mahagathbandhan) से अलग पूरे राज्य में 136 उम्मीदवार खड़ा किये थे. उनमें सिर्फ मटिहानी में जीत हासिल हुई थी. उम्मीदवार राजकुमार सिंह थे. राजकुमार सिंह कांग्रेस (Congress) की उम्मीदवारी के लिए प्रयासरत थे. गठबंधन की विवशता से निराशा मिलने पर लोजपा का उम्मीदवार बन गये. त्रिकोणीय मुकाबले में उनकी जीत हो गयी. लेकिन, ज्यादा दिनों तक वह लोजपा में नहीं रह पाये. जदयू से जुड़ गये.


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जदयू की है मजबूत दावेदारी

2025 का चुनाव अभी दूर है. एनडीए में सीटों के बंटवारे पर कोई चर्चा तक नहीं हो रही है. इस बीच चिराग पासवान ने मटिहानी को अपने कोटे में मान इंद्रा देवी को उम्मीदवार घोषित कर दिया. इंद्रा देवी कभी भाजपा (BJP) के चर्चित नेता रहे अरविन्द सिंह की भावज और बालमुकुंद सिंह की पत्नी हैं. विश्लेषकों की मानें, तो चिराग पासवान जिस ढंग से जिद की राजनीति करते हैं उसमें मटिहानी को लेकर एनडीए में रार पसरना करीब-करीब तय है. राजकुमार सिंह सीटिंग विधायक (Sitting MLA) हैं. जदयू के दावे का यह मजबूत आधार है.

आगे-आगे देखिये होता है क्या?

चिराग पासवान इस आधार पर आगे-आगे चल रहे हैं कि पिछले चुनाव में उनकी पार्टी की जीत हुई थी. बहरहाल, राजनीति महसूस कर रही है कि चिराग पासवान ने 2024 के संसदीय चुनाव में जिस ढंग से चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) और चचेरे भाई प्रिंस पासवान (Prince Paswan) समेत उन तमाम बागी सांसदों को जमीन सूंघा दिया, उसी तरह मटिहानी में राजकुमार सिंह को जमीन सूंघाने के लिए वह कोई कसर नहीं छोड़ सकते हैं. एनडीए से अलग चुनाव लड़ना पड़े, तो लड़ ले सकते हैं. परंतु, विधायक राजकुमार सिंह को ‘माफ’ करने के मूड में वह कतई नहीं दिख रहे हैं. आगे-आगे देखिये होता है क्या?

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