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दरभंगा एम्स : बहुत झोल है डीएमसीएच की जमीन में!

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विजयशंकर पांडेय

02 दिसम्बर 2024

Darbhanga : दरभंगा के भाजपा सांसद गोपालजी ठाकुर (Gopalji Thakur) के दावे के मुताबिक मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (Medical College and Hospital) के लिए दरभंगा महाराज (Darbhanga Maharaj) ने 300 एकड़ जमीन दान में दी थी. उनमें 227 एकड़ जमीन ही अस्पताल प्रशासन के कब्जे में है. 73 एकड़ जमीन ‘लापता’ है. दिलचस्प बात यह कि मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के लिए जमीन की उपलब्धता से संबंधित कोई प्रामाणिक कागजात न अस्पताल प्रशासन के पास है और न दरभंगा जिला प्रशासन के पास. नक्शा के आधार पर नापी हुई तब 227 एकड़ जमीन अस्पताल की निकली. जदयू (JDU) विधायक (MLA) विनय कुमार चौधरी (Vinay Kumar Chaudhary) ने सांसद गोपालजी ठाकुर पर गलतबयानी करने का आरोप मढ़ा. उनके मुताबिक यह जमीन दरभंगा महाराज द्वारा दान में दी गयी नहीं, राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहीत है.

अतिक्रमण पर विवाद

विनय कुमार चौधरी ने भू-अर्जन कार्यालय, मुजफ्फरपुर ( Muzaffarpur) से कुछ कागज हस्तगत किये . उसके आधार पर कहा कि दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (DMCH) के लिए 13 जुलाई 1946 को 74 एकड़ 10 डिसमिल तथा 07 अप्रैल 1948 को 71 एकड़ समेत कुल 200 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हुआ था. पर, कागजात उन्होंने 145 एकड़ जमीन के अधिग्रहण का ही दिखाया . नापी में पायी गयी 227 एकड़ जमीन में से 82 एकड़ का फिलहाल कोई कागजात उनके पास भी नहीं है. तकरीबन 06 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण के विवाद को उन्होंने स्वीकार किया. इस तरह कुल 88 एकड़ जमीन ऐसी है जिसकी दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल को प्राप्ति कैसे और किस रूप में हुई, इसका प्रमाण अनुपलब्ध है.

तकनीकी दृष्टि से उपयुक्त नहीं

मुख्यमंत्री (Chief Minister) के स्थल निरीक्षण के तकरीबन तीन माह बाद 03 अप्रैल 2023 को बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने शोभन-एकमी बायपास (Shobhan-Ekmi Bypass) में एम्स (AIIMS) निर्माण का प्रस्ताव स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा. 27 अप्रैल 2023 को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने स्थल निरीक्षण किया. उसकी रिपोर्ट के आधार पर 26 मई 2023 को केन्द्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण (Rajesh Bhushan) ने बिहार सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत (Pratyay Amrt) को पत्र भेज कर शोभन-एकमी बाइपास वाली जमीन को तकनीकी दृष्टि से अनुपयोगी बता खारिज कर दिया.

खतरा बना रहेगा

चिन्ह्ति जमीन ग्रीन फिल्ड एरिया ( green field area) में है. आवागमन की उत्तम सुविधा है. पर, सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि सड़क से दस-बारह फीट नीचे है. कहीं-कहीं 15 से 20 फीट का गड्ढा है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण के पत्र में केन्द्रीय टीम की निरीक्षण-मूल्यांकन रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि एम्स के निर्माण के लायक उसकी भराई और उस पर निर्माण करने के लिए जिस गुणवत्ता वाली मिट्टी की जरूरत होगी, दरभंगा और उसके आसपास उसकी उपलब्धता नहीं है. वहां केवाल काली मिट्टी है, जिसके फैलने और सिकुड़ने का खतरा बराबर बना रहता है. सुरक्षा के ख्याल से यह ठीक नहीं होगा.

डीएमसीसच की खाली पड़ी जमीन.

इत्मीनान दिलाने की कोशिश

आसपास के इलाकों में जलजमाव भी एक बड़ी समस्या है. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार ने इत्मीनान दिलाने की कोशिश की. कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को गड्ढे की चिंता करने की जरूरत नहीं है. राज्य सरकार ने मिट्टी भराई, समतलीकरण एवं चहारदीवारी के लिए 309 करोड़ 29 लाख 59 हजार रुपये का उपबंध कर रखा है. यह एम्स की कुल लागत की एक चौथाई राशि है. इस बड़ी रकम को 28 अप्रैल 2023 को राज्य मंत्रिमंडल ( Cabinet) की स्वीकृति भी मिल गयी. फोर लेन सड़क से प्रस्तावित एम्स तक फोर लेन सड़क का निर्माण भी राज्य सरकार करा देगी.


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गौर करने वाली रही तत्परता

उपयुक्त जमीन तलाशने में सुस्त राज्य सरकार ने मिट्टी भराई और समतलीकरण के मामले में जो तत्परता दिखायी, वह भी गौर करने वाली बात रही . केन्द्र की सहमति- स्वीकृति का इंतजार नहीं कर इस कार्य के लिए फटाफट टेंडर निकाल दिया गया. यह क्या दर्शाता है? केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शोभन- एकमी बायपास की जमीन को एम्स के लिए अनुपयुक्त करार दिया तब नीतीश कुमार की सरकार ने बिना देर किये दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल को उत्क्रमित कर वहां 02 हजार 500 बेड की व्यवस्था करने का निर्णय कर लिया. 13 जून 2023 को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इसके लिए 02 हजार 500 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान कर दी.

साख वैसी जमा पायेगी?

इसमें संदेह नहीं कि राज्य सरकार का निर्णय जनहित में था, पर इसके पीछे छिपी मंशा से ‘सौतिया डाह’ सी प्रतीति हुई . इस रूप में कि राज्य सरकार की सहमति से ही केन्द्र सरकार वहां एम्स बनाने जा रही थी, तो वह मंजूर नहीं हुआ. एम्स की लागत से दोगुनी राशि से बेहतर अस्पताल बनाने का दंभ भरा जाने लगा. सवाल खड़ा हुआ कि राज्य सरकार के स्तर से अस्पताल कितना भी बड़ा और बेहतर बन जाये, एम्स जैसी चिकित्सा सुविधा वहां उपलब्ध हो पायेगी? वैसी साख जम पायेगी? जवाब नकारात्मक ही होगा.

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