धर्म – कर्म : बड़ा महत्व है खरमास में पूजा-पाठ का , खत्म हो जाती है नकारात्मकता !
तापमान लाइव ब्यूरो
08 दिसम्बर 2024
New Delhi : सनातन धर्म (Sanatan Dharma) की यही खासियत है. धार्मिक ग्रंथों (Dharmik Granthon) में एक तरफ खरमास (Kharmas) को शुभ नहीं माना गया है. इस कारण मांगलिक कार्यों के आयोजन पर पाबंदी रहती है. दूसरी तरफ इस मास में पूजा-पाठ का महत्व दोगुना बढ़ जाता है. आइये, पहले जानते हैं कि खरमास होता क्या है. ऐसी मान्यता है कि सूर्य जिस दिन बृहस्पति (Brhaspati) की राशि धनु (Dhanu) या मीन (Meen) में प्रवेश करते हैं उसी दिन से खरमास शुरू हो जाता है.
साल में दो बार खरमास
सनातन धर्म की मान्यता में खरमास साल में दो बार आते हैं. इस साल यानी 2024 में पहला खरमास16 दिसंबर से आरंभ होगा. उस दिन सूर्य (Sun) धनु राशि में प्रवेश करेंगे.14 जनवरी 2024 को सूर्य के मकर (Makar) राशि में प्रवेश करने पर खरमास समाप्त हो जायेगा. उस दिन सूर्य उत्तरायण हो जायेंगे. उसके साथ ही मांगलिक कार्य शुरू हो जायेंगे. खरमास में तुलसी पूजा, सूर्य को अर्घ्य और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की उपासना करने का विधान है.
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हर प्रकार के दोष से मुक्ति
वैसे, खरमास में तुलसी पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है. हिंदू धर्म (Hindu Religion) में तुलसी को पूजनीय माना गया है. तुलसी पूजा से घर और परिवार वालों पर आने वाले संकटों का नाश हो जाता है. इस रूप में कि खरमास के समय नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय रहती है. हर तरह की नकारात्मकता को दूर करने के लिए तुलसी पूजा सबसे सरल और अचूक समाधान है. ऐसा माना जाता है कि खरमास में तुलसी में जल चढ़ाने और शाम में दीपक जलाने से हर प्रकार के दोष से मुक्ति मिलती है.
नहीं तोड़ने चाहिये तुलसी के पत्ते
धर्म शास्त्र कहता है कि तुलसी की पूजा करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं और खुशहाली आती है. इस दौरान तुलसी को दीप दान, जल दान और धूप दान दिया जा सकता है, लेकिन खरमास में तुलसी पर कुछ चीजों को अर्पित करने की मनाही है जैसे सिंदूर या कोई सुहाग का सामान अर्पित नहीं करना चाहिये. इस दौरान तुलसी के पत्ते भी नहीं तोड़ने चाहिये.
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