शहाबुद्दीन पर खुलासा : लालू हो गये लाल, सकते में आ गयी सरकार !
विष्णुकांत मिश्र
13 दिसम्बर 2024
Patna : डीपी ओझा (DP Ojha) के नाम से ज्यादा चर्चित आईपीएस अधिकारी ध्रुव प्रसाद ओझा (Dhruv Prasad Ojha) ने इक्कीस साल पहले पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद पर रहते राज्य सरकार को सत्ता हिलाऊ रिपोर्ट सौंपी थी. उस दौर में सत्ता और सियासत में सनसनाहट भर देने वाली इस रिपोर्ट में चर्चित व्यवसायी अश्विनी गुप्ता (Ashwini Gupta) के अपहरण में ढाई करोड़ रुपये की वसूली का जिक्र था. ऐसा कहा गया कि अमेरिका (America) से हवाला के माध्यम से रुपये प्राप्त कर शहाबुद्दीन (Shahabuddin) ने उसका इस्तेमाल ट्रस्ट के माध्यम से सीवान (siwan) में अपने नियंत्रणाधीन शिक्षण संस्थानों के विकास में किया. वैसे, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad) और शहाबुद्दीन दोनों ने इन तमाम बातों को बकवास बताया था.
आधा दर्जन मंत्रियों का संरक्षण
जो हो, उस दरमियान मीडिया में जो बातें आयी थीं उसके मुताबिक पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया था कि तब के बाहुबली राजद सांसद शहाबुद्दीन को राबड़ी देवी (Rabri Devi) की सरकार के आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों का संरक्षण हासिल था. शहाबुद्दीन के बहनोई एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री एजाजुल हक (Ejazul haq) के आवास से गिरफ्तार अपराधियों और उनके इकबालिया बयानों की चर्चा के साथ रिपोर्ट में गोपालगंज (Gopalganj) के पुलिस अधीक्षक शहाब अख्तर (Shahab Akhtar) के पटना स्थित आवास पर गोलीबारी, सीवान के पुलिस अधीक्षक एस. के. सिंघल (S. K. Singhal) पर गोलीबारी आदि घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा गया था कि जब पुलिसवालों के साथ ऐसा होता है तो फिर आमलोगों की स्थिति बखूबी समझी जा सकती है.
ये भी पढ़ें :
ऐसा क्या था डीपी ओझा की रिपोर्ट में… तिलमिला गये थे लालू?
तिरहुत स्नातक क्षेत्र : ब्रजवासी की धूम, हवा हो गयी उनकी गुम!
तिरहुत उपचुनाव : जात न पात तब भी खा गये मात
किस्सा कोठी का : और इस दिल में… तेरा ही दर्द छिपा रखा है!
सीवान जेल में मिले थे विधि मंत्री
रिपोर्ट में तत्कालीन विधि मंत्री शकील अहमद खां (Shakil Ahmed Khan) की सीवान जेल में तीन बार हुई शहाबुद्दीन से मुलाकात का भी उल्लेख था. रिपोर्ट के मुताबिक शहाबुद्दीन न सिर्फ अपराधियों को संरक्षण देते थे बल्कि पुलिस को कुख्यात अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकते भी थे. रिपोर्ट की बावत लालू प्रसाद का कहना जो रहा हो, उससे सकते में आ गयी राज्य सरकार ने परेशानी से निजात पाने की माथापच्ची में इसे पुलिस मुख्यालय के हवाले कर दिया. रिपोर्ट का अवलोकन कर गृह विभाग (Home Department) ने इसे मुख्य सचिव के.ए.एच.सुब्रह्मण्यम के हवाले कर दिया.
दफन हो गयी रिपोर्ट
मुख्य सचिव ने स्पष्ट कह दिया कि रिपोर्ट के विश्लेषण में यह बात उभर कर सामने आयी है कि इसमें उल्लेखित अधिकतर बिन्दुओं पर पुलिस महानिदेशक स्तर से कार्रवाई हो सकती है. लिहाजा इसे राज्य सरकार को भेजने का कोई तुक नहीं है.इसके बरक्स पुलिस महानिदेशक डी.पी. ओझा का कहना रहा कि रिपोर्ट पूरे सबूत और जांच प्रतिवेदन के आधार पर तैयार की गयी है. राज्य सरकार इस तरह का कदम उठाकर शहाबुद्दीन का बचाव कर रही है. राज्य पुलिस के स्तर से जो कार्रवाई हो सकती थी, किया गया. आगे राज्य सरकार को करना है. लेकिन, उनके तर्क को तवज्जो नहीं दे रिपोर्ट को संचिकाओं के ढेर में दफना दिया गया.
गायब हो गयी ‘रा’ की गोपनीय रिपोर्ट
डीपी ओझा ने यह भी खुलासा किया था कि तत्कालीन सांसद शहाबुद्दीन की आपराधिक गतिविधियों पर ‘रा’ व इंटेलिजेंस ब्यूरो (Intelligence Bureau) ने एक गोपनीय रिपोर्ट भेजी थी. पुलिस मुख्यालय ने उसका कोई जवाब नहीं दिया. रिपोर्ट भी गायब हो गयी. उधर, डीपी ओझा की रिपोर्ट में वर्णित माफिया सरगना मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) ने सांसद शहाबुद्दीन से संबंधों को कबूल किया. पर, डीपी ओझा पर पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर उनके पीछे पड़ने का आरोप लगाया था. खुले रूप में कहा था कि शहाबुद्दीन पर हाथ डालने वाले खाक हो जायेंगे. वक्त जरूर लगा, शहाबुद्दीन पर हाथ डालने वाले सही सलामत रहे, शहाबुद्दीन और मुख्तार अंसारी ही खाक हो गये.
#tapmanlive