पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष : नशे के खिलाफ अभियान का चमकदार चेहरा
विष्णुकांत मिश्र
28 अक्तूबर, 2021
KISHANGANJ : यह गंभीर चिंता का विषय है कि देश के युवाओं में नशे की लत बहुत तेजी से बढ़ रही है. जिस युवा वर्ग से देश के विकास में बढ़-चढ़कर भाग लेने की उम्मीद की जाती है, उसमें बढ़ती नशाखोरी बेहद चिंतनीय है. लेकिन, सुकून इस बात से है कि कुछ ऐसे भी लोग हैं जो राष्ट्रहित में इस बड़ी सामाजिक बुराई के खिलाफ अपने स्तर से निरंतर अभियान चला रहे हैं, जागरूकता फैला रहे हैं.
ऐसे ही एक शख्स हैं, किशनगंज के पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष (SP Kumar Ashish). भारतीय पुलिस सेवा के इस युवा अधिकारी ने पूरे किशनगंज जिले में नशे के खिलाफ जंग-सी छेड़ रखी है. अपनी व्यस्त दिनचर्या से कुछ वक्त निकाल वह प्रायः हर दिन युवाओं के बीच पहुंचते हैं और उन्हें ड्रग्स (Drugs) व नशीले पदार्थों की लत से बचाने के लिए जागरूक करते हैं.लेकिन, जहां जरूरत पड़ती है, वहां कड़ी कानूनी कार्रवाई भी करते हैं.
युवाओं पर है सकारात्मक असर
भारतीय पुलिस सेवा (Indian Police Service) के 2012 बैच के बिहार कैडर (Bihar Cadre) के अधिकारी कुमार आशीष जमुई जिले (Jamui District) के रहने वाले है. किशनगंज में पुलिस अधीक्षक के तौर पर उनकी पदस्थापना अप्रैल 2018 में हुई थी. तभी से वह इस मुहिम में लगे हैं. इलाके के युवाओं (Youths) पर इसका बेहद सकारात्मक असर हुआ है. युवा पीढ़ी को जागरूक करने के लिए वह खाली वक्त में जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के गांवों एवं स्कूलों में पहुंच जाते हैं. वहां बिहार सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना ‘पूर्ण शराबबंदी और पूर्ण नशाबंदी’ के लिए आम लोगों को जागरूक करते हैं. उनके प्रयासों का नतीजा यह है कि अब युवा, स्कूली छात्र-छात्राएं, अभिभावक एवं समाज के प्रबुद्ध लोग भी इससे जुड़ने लगे हैं.
क्यों चलाया अभियान
इस अभियान के संदर्भ में पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष का कहना है, ‘हमारा यह प्रयास समाज में नशे की लत में घिर चुकी युवा पीढ़ी को नशा त्यागने की प्रेरणा देने के लिये है. इस पर प्रतिक्रिया सकारात्मक है. हम अगर लोगों को नशे की गिरफ्त में आने से पहले ही बचा लें, तो ये हमारे लिए देश सेवा से कम नहीं होगा. मेरे विचार में कोई भी चीज जिसकी आपके शरीर को तलब महसूस होती है और जिससे शरीर को तकलीफ महसूस हो, उसे नशा (Nasa) कहते हैं.
नशा एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है. नशे के लिए समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकु और धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकीन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है. ऐसे में लोगों को सही समय पर बचा लेते हैं तो यह हमारे लिए देश की सेवा से कम नहीं होगा.’
आंकड़ों से झांकती सफलता
पुलिस अधीक्षक ने कुछ आंकड़े भी मुहैया कराये, जिससे उनके प्रयासों की सफलता का अनुमान खुद-ब-खुद लग जाता है. उनके अनुसार, जनवरी 2018 से जुलाई 2021 तक शराबबंदी से संबंधित 1 हजार 70 कांड दर्ज हुए. 1 हजार 194 लोग गिरफ्तार (Arrest) कर जेल भेजे गये हैं. 5 कांडों में न्यायालय (Court) द्वारा आरोपितों को सजा सुनायी जा चुकी है. शराब के 25 कांडों में स्पीडी ट्रायल (Speedy Trial) जारी है. 33 हजार लीटर से ज्यादा देसी शराब, 94 हजार 294 लीटर से अधिक विदेशी शराब सहित 1 लाख 27 हजार 299 लीटर शराब जब्त हुई है.
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जिले में अब तक 803 किलो गांजा, 120 ग्राम स्मैक, 260 ग्राम हिरोइन, 203 ग्राम ब्राउन सुगर, 752 ग्राम अफीम, 138 किलोग्राम अफीम का पौधा और 498 ग्राम मस्कलिन आदि की जब्ती हुई है. सूखे नशे के सिलसिले में 67 कांड दर्ज किये गये और 163 लोगों की गिरफ्तारी हुई. इसके साथ ही 124 दोपहिया (Two Wheeler) एवं 135 चारपहिया (Four Wheeler) वाहन भी जब्त किये गये हैं. इतना ही नहीं, जागरूकता अभियानों की वजह से महिलाओं पर अत्याचारों में 20.93 फीसदी की कमी आयी है. घर में जबर्दस्ती घुसने, साधारण दंगा, फिरौती हेतु अपहरण (Kidnapping), अनुसूचित जाति/जनजाति के प्रति अपराध (Crime) तथा साम्प्रदायिक दंगे के मामलों में भी कमी आयी है.
युवाओं से मार्मिक अपील
पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष देश के युवाओं से मार्मिक अपील करते हैं, ‘यह वाकई गंभीर चिंता का विषय है कि वह युवा जिसे हम अपने देश की शक्ति और भविष्य मानते हैं, उसे नशे के कीड़े ने ऐसा जकड़ लिया है कि जैसे शिकारी अपने शिकार को जकड़ता है. लेकिन, यह ध्यान रखिये कि नशे का कीड़ा व्यक्ति की मौत के बाद ही उसे छोड़ता है. अगर कोई भी व्यक्ति ‘पूर्ण नशाबंदी’ अभियान में पुलिस का सहयोग करता है, तो उन्हें समुचित रूप से पुलिस अधीक्षक द्वारा पुरस्कृत भी किया जायेगा.’
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बेहतर समाज बनाने की कोशिश
उनका मानना है कि जहरीले और नशीले पदार्थों के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचने के साथ ही सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है. साथ ही परिवार की सामाजिक स्थिति को भी भारी नुकसान पहुंचाता है. नशे वाले व्यक्ति की समाज एवं राष्ट्र के लिये उपयोगिता शून्य हो जाती है. वह नशे से अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है और शांतिपूर्ण समाज के लिए अभिशाप बन जाता है. इसलिए यह जितनी जल्दी छूट जाये उतना ही सबके लिए बेहतर है. यह संतोष की बात है कि ‘आम लोगों के एसपी’ के संबोधन से बुलाये जाने वाले पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष के नेतृत्व में किशनगंज पुलिस आम नागरिकों के सहयोग से लगातार एक बेहतर समाज बनाने की कोशिश कर रही है.