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नवादा का कोचगांव : पैक्स अध्यक्ष से त्रस्त हैं किसान

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नरेन्द्र सिंह
25 नवम्बर 2021

NAWADA क्या पैक्स के लिए कोई नियम-कानून नहीं है? उसके अध्यक्ष पर शासन-प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है? धान की अधिप्राप्ति और किसानों के भुगतान में मनमानी और दबंगता झाड़ने की पूरी आजादी मिली हुई है? ये गंभीर सवाल नवादा जिला के वारिसलीगंज प्रखंड क्षेत्र के कोचगांव (kochgaon) पैक्स के अध्यक्ष कामदेव सिंह (Kamdeo Singh) के किसानों के साथ कथित आपत्तिजनक व्यवहार से उठ रहे हैं.

उनके अभद्र व्यवहार से त्रस्त किसानों की मानें तो पैक्स अध्यक्ष की दबंगता को निवर्तमान मुखिया के पति का सहयोग-समर्थन हासिल है. कुछ लोग मिलीभगत का आरोप भी उछालते हैं. स्थानीय किसानों का आरोप है कि धान अधिप्राप्ति में अनियमितता और भुगतान में विलंब पैक्स अध्यक्ष की आदत में शुमार है. एक-दो साल नहीं, कतिपय किसानों के भुगतान को वह पांच से भी अधिक वर्षों से लंबित रखे हुए हैं. मांगने पर उन्हें तरह-तरह की धमकियां मिलती है. गाली-गलौज एवं मारपीट तक की जाती है.

तगादा करने की हिम्मत नहीं
पैक्स अध्यक्ष अध्यक्ष कामदेव सिंह(Kamdeo Singh) की इस दबंगता की वजह से आम किसान उन पर दबाव नहीं बना पाते हैं, तगादा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं. निचले स्तर के अधिकारियों से शिकायत करने का कोई परिणाम नहीं निकलता है. प्रभावित किसानों ने नवादा जिला प्रशासन के समक्ष भी अपना दुखड़ा रोया. वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई. उलटे पैक्स अध्यक्ष की दबंगता बढ़ ही गयी, ऐसा पीड़ित-प्रताड़ित किसानों का कहना है.

कोचगांव के जिन 25-30 किसानों का बकाया लंबित है उनमें सुरेन्द्र महतो एवं मंटून सिंह भी शामिल हैं. सुरेन्द्र महतो का 01 लाख 20 हजार रुपया बकाया है. मंटून सिंह का तकरीबन तीन वर्षों से बकाया 01 लाख 16 हजार रुपये का भुगतान पैक्स अध्यक्ष ने रोक रखा है.

मिलती है धमकी
इन दोनों के अलावा अजय सिंह का 66 हजार, रविरंजन कुमार का 58 हजार, अनुज कुमार का 50 हजार, भूपेन्द्र सिंह का 20 हजार बकाया है. गांव के लोगों के मुताबिक

पैक्स अध्यक्ष से त्रस्त किसान

गांव के कारू साव ने पैक्स को 50 क्विटल धान दिये थे. भुगतान नहीं हुआ. तगादा करने पर पैक्स अध्यक्ष सीधे इनकार करते हैं. साथ में यह भी जोड़ते हैं कि जिसको बुलाना है बुला लो, पैसा नहीं देंगे. अजय कुमार ने 73 क्विंटल धान दिये थे. 76 हजार का भुगतान उन्हें मिला. 50 हजार बाकी है. पंचायत चुनाव के बाद देने का आश्वासन मिला है.

भूपेन्द्र सिंह को कहा जाता है कि पैक्स ने उनसे कोई धान नहीं लिया. ऐसा ही कुछ 15 क्विंटल धान देने वाले रामानंद सिंह से कहा जाता है. अधिकतर किसानों का कहना है कि पैक्स के उगाही केन्द्र पर धान तो ले लिये जाते हैं. पर, उसकी प्राप्ति रसीद नहीं दी जाती है. सिर्फ कांटा स्लिप मिलता है. पासबुक किसी के पास नहीं है.

कड़ी कार्रवाई हो
सब कुछ मुंहजबानी है. पैक्स अध्यक्ष की दबंगता के आगे कोई कुछ बोल नहीं पाता है. प्रभावित किसानों ने लंबित बकाये के भुगतान के साथ-साथ पैक्स अध्यक्ष कामदेव सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी उठायी है.

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