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माशूका को भी ले गया था साथ सजायाफ्ता शातिर

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विष्णुकांत मिश्र 
21 जून, 2022

PATNA : ऐसे ही कानून विरुद्ध कारनामों से लालू-राबड़ी (Lalu-Rabri) शासन को ‘जंगल राज’ की संज्ञा मिली थी. उससे त्राण पाने के लिए बिहार के लोगों ने ‘सुशासन’ के आश्वासन पर भरोसा जताया था. ‘कानून का राज’ में भी वही सब हो, तो उसे क्या कहा जायेगा? ‘महाजंगल राज’ ही न! बात उस सजायाफ्ता शातिर अमित कुमार सिंह उर्फ निशांत (Amit Kumar Singh urf Nishant) से जुड़ी है जिसकी 18 जून 2022 को देवघर अदालत परिसर (Deoghar Court Parishar) में सरेआम हत्या कर दी गयी. पटना जिले के बिहटा (Bihta) क्षेत्र का ‘महाकाल’ अमित कुमार सिंह उर्फ निशांत उस वक्त अदालत में पेशी के बाद वकील के चेम्बर में अकेला बैठा था. उसी चेम्बर में घुस इकलौते बेखौफ अपराधी ने उसके शरीर में एक-एक कर तीन गोलियां उतार दी. मौत वहीं हो गयी. ऐसा दुस्साहस किस अपराधी ने दिखाया, इसका मुकम्मल खुलासा होना अभी शेष है. परन्तु, समझा जाता है कि पटना के ही नौबतपुर (Naubatpur) के दुर्दांत अपराधी सागर उर्फ चेंगरा (Sagar urf Chengra) ने इसे अंजाम दिया है.

यहीं हुई अमित कुमार सिंह की हत्या.

सुशासन में भी ऐसा संभव है!
‘जंगल राज’ से तुलना इस वारदात को लेकर नहीं हो रही है, बल्कि जिस ठाठ बाट से ‘महाकाल’ को माशूका के साथ पटना के बेऊर जेल (Beur Jail) से देवघर ले जाया गया वह हैरान करने वाला रहा. लोग सोचने को विवश हो गये कि ऐसा ‘सुशासन’ (Sushashan) में भी संभव है क्या? बिहटा के व्यापारी निर्भय सिंह (Nirbhay Singh) की हत्या के मामले में अमित कुमार सिंह उर्फ निशांत बेऊर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था. यह सजा उसे कुछ ही दिनों पूर्व मिली थी. देवघर के कबाड़ा कारोबारी चंचल कोठारी (Chanchal Kothari) के 2012 में हुए अपहरण के मामले में वह आरोपित था. चंचल कोठारी की सकुशल बरामदगी हो गयी. लेकिन, मामला देवघर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय गरिमा मिश्रा (Garima Mishra) की अदालत में चल रहा था. उसी मामले में पेशी के लिए उसे बेऊर जेल से देवघर ले जाया गया था.

अक्षम्य लापरवाही पुलिसकर्मियों की
जिम्मेवारी बिहार पुलिस (Bihar Police) के एएसआई रामअवतार राम और पांच अन्य सशस्त्र पुलिसकर्मियों को सौंपी गयी थी. लेकिन, रामअवतार राम के साथ सिर्फ चार पुलिसकर्मी ही गये थे. पांचवां पुलिसकर्मी बिमारी की बात कह नहीं गया. चार पुलिसकर्मियों में एक कारबाईनधारी जवान भी था. वे सब अमित कुमार सिंह उर्फ निशांत को देवघर तो ले गये, लेकिन लौटाकर बेऊर जेल नहीं ला पाये. नियम कहता है कि ऐसे कुख्यात अपराधी को ट्रेन से ले जाया जाना चाहिये था. कमान भी शायद वैसी ही कटी होगी. लेकिन, 17 जून 2022 को अपराह्न 10 बजे के आसपास बेऊर जेल से निकलने के बाद नियम-कानून अपनी जगह धरा रह गया, सब कुछ ‘महाकाल’ के मनमाफिक होने लगा. साथ के पुलिसकर्मी ‘सेवक’ की भूमिका में आ गये.


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महाकाल के 27 गुर्गे थे उस दिन देवघर में
बेऊर जेल से कुछ ही दूर जाने के बाद अमित कुमार सिंह उर्फ निशांत एक महंगे वाहन पर सवार हो गया. वाहन वही चला रहा था. कुछ आगे बढ़ने के बाद उसकी माशूका भी उस पर सवार हो गयी. खानापूर्त्ति के तौर पर पीछे की सीट पर तीन पुलिसकर्मी बैठ गये. साथ में दो और वाहन भी थे. उन दोनों में शेष दो पुलिसकर्मी और ‘महाकाल’ के छह शातिर शागिर्द सवार थे. वैसे, कहा जाता है कि उस दिन देवघर में उसके 27 अपने लोग थे.

रेंजर घर बितायी थी रात
पुलिस वालों ने कमान पर ट्रेन से देवघर जाने और 17 जून की रात स्टेशन पर बिताने की बात दर्ज की है, लेकिन हकीकत यह नहीं है. सभी लोग देर शाम देवघर पहुंचे थे. शहर के साहेब पोखर मुहल्ला स्थित बिहटा निवासी रेंजर दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के आवास पर ठहर गये थे. पुलिस के मुताबिक दिग्विजय सिंह के पुत्र दीपू कुमार (Dipu Kumar) से अमित कुमार सिंह उर्फ निशांत की ‘दोस्ती’ थी. वहां शराब पार्टी हुई. अमित कुमार सिंह उर्फ निशांत ने एक अलग कमरे में माशूका के साथ रात बितायी. उसके लिए वह आखिरी रात बन गयी. पुलिस का कहना है कि दीपू कुमार द्वारा उपलब्ध कराये गये फार्चूनर से ही वह पेशी के लिए अदालत गया था. घटना के बाद से दीपू कुमार और फार्चूनर दोनों अदृश्य हैं.

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