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जीवन कुमार : बदल जायेगी वैश्य समाज की राजनीति!

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संजय वर्मा
08 अप्रैल, 2023

PATNA : बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) के गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में जीवन कुमार (Jivan Kumar) की अकल्पित-अप्रत्याशित जीत उनकी खुद की ठोस रणनीति और व्यवहारकुशलता का सुखद परिणाम है. पहली बार चुनाव (Election) मैदान में उतरे और किला फतह! ऐसा कभी-कभी ही देखने को मिलता है. खुद के प्रयास की कामयाबी इस रूप में कि भाजपा (BJP) की सिर्फ उम्मीदवारी मिली, इसके अलावा कुछ नहीं. पार्टी के रणनीतिकारों ने ऐसी कोई गंभीरता और सक्रियता नहीं दिखायी, जिससे यह अहसास हो कि चुनाव भाजपा लड़ रही है. प्रायः सब कुछ उम्मीदवार (Candidate) पर ही छोड़ दिया गया. एक-दो नेता प्रचार में गये. उनके आने-जाने का चुनाव पर क्या असर पड़ा, यह वही बता सकते हैं. गौर करने वाली बात यह कि सारण (Saran) शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में अफाक अहमद (Afaq Ahmed) की चौंकाऊ जीत का श्रेय ले रहे ‘जन सुराज’ वाले प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने यहां भी अभिराम शर्मा (Abhiram Sharma) के रूप में अपना दांव खेला था. विश्लेषकों के मुताबिक ब्रह्मर्षि समाज के मतों को भरमाने का प्रयास किया था.


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किसी का कुछ नहीं चला
ब्राह्मण समाज से दुर्गाचरण मिश्र (Durgacharan Mishra) भी उम्मीदवार थे. लेकिन, जीवन कुमार की जीत दिलाऊ रणनीति के समक्ष किसी का कुछ नहीं चल पाया. सभी वर्गों के शिक्षक मतदाताओं का उन्हें समर्थन मिला. यहां तक कि यादव (Yadav) और मुस्लिम (Muslim) मतों का भी. यही वजह रही कि जिन पांच निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव हुए, उनमें जीवन कुमार ही सबसे अधिक मतों से निर्वाचित हुए. इस बड़ी जीत के बीच जीवन कुमार (Jivan Kumar) और उनके समर्थकों को मलाल इस बात का है कि वैश्य समाज की राजनीति करनेवालों ने उन्हें कोई सहयोग नहीं किया. विधायक बिजेन्द्र चौधरी (Bijendra Chaudhary) हों या मंत्री समीर महासेठ (Samir Mahaseth) या फिर पवन जायसवाल (Pawan Jaiswal) और संजीव चौरसिया (Sanjiv Chaurasia), उनकी उम्मीदवारी को सबने हल्के से लिया. बिजेन्द्र चौधरी और समीर महासेठ के लिए दलीय बाध्यता थी, पवन जायसवाल और संजीव चौरसिया तो भाजपा में हैं! ये दोनों तो साथ दे सकते थे. जीवन कुमार ने अपने बूते शिक्षक मतदाताओं (Teacher Voters) में विश्वास जमाया और कामयाबी का झंडा बुलंद कर दिया.

इस कारण हार गये
महागठबंधन के जदयू (JDU) उम्मीदवार निवर्तमान विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह (Sanjiv Shyam Singh) की हार मुख्यतः इस वजह से हुई कि उन्होंने खुद को अपराजेय होने की खुशफहमी पाल ली थी. वैसे, उनके लिए यादव समाज के तीन निर्दलीय प्रत्याशियों-दिनेश प्रसाद (Dinesh Prasad), दिव्यांशु यादव (Divyanshu Yadav) और हृदयनारायण यादव (Hridyanarayan Yadav) के मैदान में उतरना नुकसानदायक रहा. निर्दलीय डी एन सिन्हा (D N Sinha) से भाजपा प्रत्याशी जीवन कुमार का हित प्रभावित होने की आशंका थी जो निर्मूल साबित हुई. विश्लेषकों की समझ में जीवन कुमार की यह कामयाबी आने वाले दिनों में वैश्य समाज की राजनीति (Politics) की दिशा बदल दे, तो वह अचरज की कोई बात नहीं हागी.

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