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पटना : खुला का खुला रह गया चचा का मुंह

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विशेष प्रतिनिधि
13 अप्रैल, 2023

PATNA : सरकार भले साथ चला रहे हों, पर मौका-बेमौका एक-दूसरे को दबाने का अवसर चचा और भतीजा दोनों हाथ से निकलने नहीं दे रहे हैं. कभी भतीजा बीस पड़ जा रहा है तो कभी चचा. शह और मात के इस अंदरुनी खेल में चचा ताज्जुब कर रहे हैं कि भतीजा इतना ज्ञान (Knowledge) कहां से खींच रहा है. भरी सभा में कह दिया-न हम सीएम बनेंगे, न चचा पीएम बनने जा रहे हैं. चचा (Uncle) का मुंह इन दिनों ऐसे ही खुला रहता है. भतीजे की घोषणा सुनने के बाद उनका मुंह खुला का खुला रह गया. भतीजा (Nephew) इतना आगे बढ़ जायेगा, इसके बारे में कभी सोचा ही नहीं था. कुछ देर तक खुले मुंह से भतीजा की ओर देखते रहे. कुछ कहते नहीं बन रहा था. कहते तो क्या कहते. खुराफात तो चचा की ओर से ही शुरू हुई थी न. कह दिया था कि भतीजे के नाम पर 2025 का विधानसभा का चुनाव लड़ा जायेगा. खुद से विचार किया-ऐसा कहने की क्या जरूरत थी. न कहे होते तो भतीजा जवाब नहीं देता न.


भतीजा ने गौर किया कि चचा कांग्रेस की ओर झुक रहे हैं. कांग्रेस को बार-बार ललकार रहे हैं कि जल्दी कीजिये. विपक्ष को लीड करना है तो जल्दी निर्णय लीजिये. भतीजे ने उनके इस दांव का भी काट खोज लिया है. अखिलेश यादव और ममता बनर्जी एक साथ कह रहे हैं कि कांग्रेस और भाजपा  से बराबर की दूरी बना कर ही तीसरा मोर्चा बनाया जा सकता है. मतलब कि चचा जिधर से निकलने का रास्ता खोजते हैं, भतीजा उस रास्ते पर बड़ा-सा पत्थर डाल देता है.


भतीजा ने कर दिया बंदोवस्त
लेकिन, अब उपाय क्या है. चचा और उनके दरबारी हिसाब लगा रहे हैं कि भतीजा ने सिर्फ ऐलान ही नहीं किया है. चचा के पीएम (PM) न बनने का पूरा बंदोबस्त कर दिया है. उस दिन तमिलनाडु (Tamilnadu) के मुख्यमंत्री स्टालिन (Stalin) के जन्म दिन पर चेन्नई (Chennai) में बहुत बड़ा जलसा हुआ था. चचा को छोड़ कर विपक्षी शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों और विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रण मिला था. भतीजा के लिए किराया वाला जहाज (Ship) आया था. भतीजे की खूब आवभगत हुई. अंतिम वक्ता स्टालिन थे. उनसे पहले का वक्ता भतीजा को बनाया गया. भतीजा का भाव इसी से समझा गया कि उन्हें अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से भी अधिक इज्जत दी गयी. चचा का बीपी बढ़ाने वाले दो बड़े नेताओं के. चन्द्रशेखर राव (K. Chandrashekhar Raw) और ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) से भी चचा का चचा वाला ही रिश्ता है. ये दोनों सुप्रीमो को बड़ा भाई मानते हैं. इस लिहाज से सुप्रीमो के बेटे को भतीजा का दर्जा दिये हुए हैं. कहते हैं कि दोनों नेताओं की भतीजे से खूब बातचीत भी होती है. भतीजा ने महाराष्ट्र (Maharastra) में भी अपना रिश्ता बना लिया है.


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तू डाल-डाल तो मैं पात-पात
इधर के दिनों में भतीजा ने गौर किया कि चचा कांग्रेस (Congress) की ओर झुक रहे हैं. कांग्रेस को बार-बार ललकार रहे हैं कि जल्दी कीजिये. विपक्ष को लीड करना है तो जल्दी निर्णय लीजिये. भतीजे ने उनके इस दांव का भी काट खोज लिया है. अखिलेश यादव और ममता बनर्जी एक साथ कह रहे हैं कि कांग्रेस और भाजपा (BJP) से बराबर की दूरी बना कर ही तीसरा मोर्चा (Third Front) बनाया जा सकता है. मतलब कि चचा जिधर से निकलने का रास्ता खोजते हैं, भतीजा उस रास्ते पर बड़ा-सा पत्थर डाल देता है. कल की ही बात है, चचा कांग्रेस के बुलावे पर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मिलने गये, तो भतीजा भी साथ लग गया. उस मुलाकात में चचा से ज्यादा तवज्जो भतीजे को मिली. 10, सर्कुलर रोड में इफ्तार के दिन चिराग पासवान (Chirag Paswan) को मिले ‘लाड़-प्यार’ को भी इसी शह और मात के नजरिये से देखा जा रहा है.

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