मोतिहारी : डा. संजय जासवाल हैं सूत्रधार?
चम्पारण में भाजपा के अंदर शह और मात का जो खेल चल रहा है, यह कहानी उसी की है. प्रस्तुत है तीन किस्तों की इस कहानी की दूसरी कड़ी :
कफील एकबाल
14 अप्रैल, 2023
MOTIHARI : विधान परिषद के चुनाव परिणाम के संदर्भ में राजनीति के लिए चौंकने वाली बात यह रही कि महेश्वर सिंह (Maheshwar Singh) की जीत के बाद उनके समर्थकों ने सिर्फ ‘वीर महेश्वर जिंदाबाद’ के ही नहीं, ‘राधामोहन सिंह जिंदाबाद’ के नारे भी लगाये. लोगों को ‘वीर मेहश्वर जिंदाबाद’ का नारा तो समझ में आया, ‘राधामोहन सिंह जिंदाबाद’ के नारे ने उन्हें हैरान कर दिया. विश्लेषकों का मानना रहा कि राधामोहन सिंह (Radhamohan Singh) की भूमिका को लेकर संदेह पहले से था, इस नारे ने उसको और पुष्ट कर दिया. अपनी हार पर राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता ने भी कहा था कि यह उनकी देन है. कारण जो रहा हो, यह हर कोई जानता-समझता है कि राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता के राधामोहन सिंह से संबंध अच्छे नहीं रहे हैं. सांसद का खेमा उनकी दोबारा उम्मीदवारी नहीं चाहता था. भाजपा (BJP) के लोगों का ही कहना रहा कि बबलू गुप्ता (Bablu Gupta) की उम्मीदवारी को राधामोहन सिंह की सहमति नहीं मिली थी. ऐसे में उनका वही हश्र होना था जो हुआ. राधामोहन सिंह और उनके समर्थकों की समझ जो हो, यही सियासी चाल अब उनकी राजनीति के लिए भी काल बनती नजर आ रही है.
जरूरत से कुछ अधिक है अकड़
पूर्वी चंपारण जिले में बारह विधानसभा क्षेत्र हैं. ढाका के पवन जायसवाल (Pawan Jaiswal) को छोड़ अन्य क्षेत्रों के भाजपा विधायकों की निष्ठा कथित रूप से सांसद राधामोहन सिंह को ‘समर्पित’ है. ऐसा माना जाता है कि इनमें अधिकतर का अपना जीत दिलाऊ जनाधार नहीं है. उम्मीदवारी से लेकर जीत हासिल करने तक के लिए वे उन पर ही आश्रित रहते हैं. पवन जायसवाल वैश्य बिरादरी से हैं. अकड़ जरूरत से कुछ अधिक रहने के बावजूद उन्हें पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज का समर्थन प्राप्त है. ढाका (Dhaka) से विधायक और पत्नी प्रियंका जायसवाल (Priyanka Jaiswal) के जिला परिषद अध्यक्ष रहने से भाजपा की स्थानीय राजनीति में वह पिछड़ा वर्ग से नयी ताकत के रूप में उभर रहे थे. स्वाभाविक रूप से पूर्व से स्थापित ताकत के लिए चुनौती बन गये थे. कुछ लोगों का कहना है कि सांसद राधामोहन सिंह से छत्तीस का आंकड़ा रहने का यह भी एक बड़ा कारण है. जिला परिषद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष और विधान परिषद के चुनावों में वैश्य समाज के उम्मीदवारों की हार और उसमें सांसद राधामोहन सिंह की संदिग्ध भूमिका ने चंपारण (Champaran) के इस समाज के भाजपा नेताओं को गोलबंद कर दिया है.
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इसका कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य-सबूत नहीं है, लेकिन राजनीति जो देख-सुन रही है उसके मुताबिक इस गोलबंदी को पश्चिम चंपारण के सांसद एवं प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल (Dr. Sanjay Jaiswal) और शिवहर की सांसद रमा देवी (Rama Devi) की सरपरस्ती नहीं तो सहमति अवश्य मिली हुई है. सच या झूठ, कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि इसके ‘सूत्रधार’ डा. संजय जायसवाल हैं. खुले रूप में मोर्चा विधायक पवन जायसवाल और पूर्व विधान पार्षद राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता ने संभाल रखा है. मोतिहारी (Motihari) नगर निगम के महापौर पद के चुनाव में राधामोहन सिंह के कट्टर समर्थक प्रकाश अस्थाना (Prakash Asthana) मैदान में उतरे तब सुविचारित रणनीति के तहत ‘शातिर समाजसेवी’ देवा गुप्ता (Deva Gupta) की पीठ ठोंक दी गयी. राजद (RJD) की राजनीति में काफी महत्व रखने वाले देवा गुप्ता की पत्नी प्रीति गुप्ता (Priti Gupta) उम्मीदवार बन गयीं. इस रूप में पवन जायसवाल को जिला परिषद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद के चुनाव में पत्नी प्रियंका जायसवाल को मिली हार का हिसाब बराबर करने का अवसर मिल गया. 2024 के संसदीय चुनाव का इंतजार नहीं कर उन्होंने इसी चुनाव में हिसाब बराबर कर लिया.
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