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अध्यात्म : सूर्य उपासना से होता है कल्याण

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तापमान लाइव ब्यूरो
17 अप्रैल, 2023

PATNA : जगतात्मा के रूप में अवस्थित सूर्य (Surya) काल गणना एवं फलित ज्योतिष (Astrology) के भी मूल तत्व हैं. आदिकाल में इनके पास सभी 12 राशियां थीं. कालान्तर में इन्होंने सिंह राशि अपने पास रखा और कर्क राशि चंद्रमा को प्रदान कर दी. अन्य ग्रहों को दो-दो राशियां बांट दी. वर्ष में 6 माह उत्तरायण और 6 माह दक्षिणायन की यात्रा पर रहते हैं. दक्षिणायन की यात्रा के समय देवप्राण भी क्षीण पड़ने लगते हैं और आसुरी शक्तियों का वर्चस्व बढ़ जाता है इसीलिए उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को दैत्यों का दिन माना गया है.

कृष्ण ने प्राप्त किया था सूर्यचक्र
भगवान कृष्ण (Bhawan krishna) ने एक हजार वर्ष तपस्या करके सूर्य से वरदान स्वरूप सूर्यचक्र प्राप्त किया था. भगवान राम नित्य-प्रति सूर्य की उपासना करते थे. महर्षि अगस्त (Maharshi  August) ने उन्हें सूर्य का प्रभावी मंत्र आदित्य हृदयस्तोत्र की दीक्षा दी थी. ब्रह्मा जी (Brahmajee)

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इन्हीं के सहयोग से श्रृष्टि का सृजन करते हैं. मत्स्य पुराण (Matsyapuran)के अनुसार शिव (Shiv) का त्रिशूल, नारायण का चक्रसुदर्शन और इंद्र का बज्र भी सूर्य के तेज से ही बना. इनकी पूजा सभी देवी देवताओं से सरल है. आप कहीं भी रहें केवल एक अंजलि जल का अर्घ्य देने से भी सूर्य कृपा प्राप्त कर सकते हैं.

उच्चराशिगत सूर्यराजयोग बनाते हैं
प्रतिदिन उदय होते ही इंद्र पूजा करते हैं, दोपहर के समय यमराज, अस्त के समय वरुण और अर्धरात्रि में चन्द्रमा पूजन करते हैं. विष्णु, शिव, रूद्र, ब्रह्मा, अग्नि, वायु, ईशान आदि सभी देवगण रात्रि की समाप्ति पर ब्रह्मवेला में कल्याण के लिए सदा सूर्य की ही आराधना करते हैं. इन सभी देवों में सूर्य का ही तेज व्याप्त है. किसी भी जातक की जन्मकुंडली (Horoscope) में उच्चराशिगत सूर्य जातक को धनी और राजयोगी बनाते हैं.

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