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विभूतिपुरः खत्म हो गया खेल रामबालक सिंह का!

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विभूतिपुर के पूर्व विधायक रामबालक सिंह से संबंधित खोजपूर्ण आलेख की यह अंतिम कड़ी है:


प्रवीण कुमार सिन्हा
27 अप्रैल, 2023

SAMASTIPUR : आपत्तिजनक वीडियो प्रकरण और दोहरे हत्याकांड में संलिप्तता के आरोपों में घिर जेल में दिन गिन रहे पूर्व विधायक रामबालक सिंह (Rambalak Singh) की राजनीति पर ग्रहण उसी वक्त लग गया था जब हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के दो दशक से अधिक पुराने मामले में 23 सितम्बर 2021 को सजायाफ्ता हो गये थे. हालांकि, ऊपरी अदालत (Court) से राहत मिलने की स्थिति में ग्रहण छंटने की संभावना बनी हुई थी. लेकिन, अब वह भी खत्म हो गयी. इस प्रकरण के बाद जदयू (JDU) नेतृत्व उनसे पिंड छुड़ा लेगा, यह करीब-करीब तय है. ऐसी स्थिति में विभूतिपुर (Vibhutipur) में जदयू की कमान कौन संभालेगा?

रामबहादुर सिंह की किस्मत
क्षेत्र में इस बात की चर्चा खूब हो रही है. इस रूप में लोग शिवनाथपुर गांव (Shivnathpur Village) के ही रामबहादुर सिंह (Rambahadur Singh) का नाम ले रहे हैं. रामबहादुर सिंह की पत्नी रीता सिंह (Rita Singh) सिंघिया बुजुर्ग दक्षिण पंचायत की सरपंच हैं. वह 1987 से ही राजनीति में हैं. विभूतिपुर प्रखंड छात्र जनता दल के महासचिव के रूप में राजनीति की शुरूआत करने वाले रामबहादुर सिंह 1994 से 2000 तक विभूतिपुर प्रखंड समता पार्टी (Samta Party) के अध्यक्ष रहे. 1989 से 2004 तक तत्कालीन सांसद मंजय लाल (Manjay Lal) के सांसद प्रतिनिधि थे. 2003 से समस्तीपुर जिला जदयू के महासचिव हैं.


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देखना दिलचस्प होगा
2010 में विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए जिला जदयू के स्तर से रामबहादुर सिंह का नाम भी भेजा गया था. पर, 2005 के दो चुनावों में लोजपा (LJP) उम्मीदवार के तौर पर रामबालक सिंह की बहुत कम मतों से हुई हार हुई को देखते हुए जदयू की उम्मीदवारी उन्हें मिल गयी. रामबहादुर सिंह तनिक भी हताश नहीं हुए. जदयू में बने रहे. दलीय कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाते रहे. बहरहाल, रामबालक सिंह प्रकरण के बाद विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति (Politics) किस करवट बैठती है, जदयू के पुराने समर्पित नेता रामबहादुर सिंह की किस्मत खुलती है या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा. वैसे, 2025 के विधानसभा चुनाव (Election) तक महागठबंधन का स्वरूप यही बना रहा तब उन्हें इंतजार में ही समय काटना पड़ जायेगा.  (समाप्त)

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