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विभूतिपुरः काल फिर फैलाने तो नहीं लगा गाल?

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विभूतिपुर के पूर्व विधायक रामबालक सिंह से संबंधित खोजपूर्ण आलेख की यह पहली कड़ी है:


प्रवीण कुमार सिन्हा
24 अप्रैल, 2023

SAMASTIPUR : समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर के लिए यह कोई पहला अनुभव नहीं था. राजनीतिक हत्याएं वामपंथ प्रभावित इस क्षेत्र की नियति रही है. दर्जनों नाम हैं, जो अलग-अलग समय में खूनी राजनीति (Politics) की भेंट चढ़ चुके हैं. विभूतिपुर (Vibhutipur) थाना क्षेत्र की सिंघिया बुजुर्ग दक्षिण पंचायत के पूर्व मुखिया सुरेन्द्र प्रसाद सिंह (Surendra Prasad Singh) एवं उनके सहयोगी सत्यनारायण सिंह उर्फ मंत्री जी (Satyanarayan Singh urf Mantri ji) का खात्मा खून-खराबे के लंबे इतिहास (History) का विस्तार भर है. पर, इसके पीछे सिर्फ राजनीतिक ही नहीं, घिनौने कारक भी हैं. पीड़ित परिजनों का मानना रहा कि हत्याएं पंचायत चुनाव (Election) की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में हुईं.

पुलिस को मिले कुछ और सुराग
पुलिस (Police) को शराब के अवैध कारोबार और सेक्स से जुड़े सुराग भी मिले हैं. आरोप जदयू (JDU) के पूर्व दबंग विधायक रामबालक सिंह (Rambalak Singh) पर लगे. इस कारण समस्तीपुर के पुलिस अधीक्षक विनय तिवारी (Vinay Tiwari) ने मामले की खुद मॉनिटरिंग की. सुरेन्द्र प्रसाद सिंह और सत्यनारायण सिंह उर्फ मंत्री जी की हत्या 20 फरवरी 2023 को हुई. इस संदेह में कि पूर्व विधायक रामबालक सिंह से संबंधित एक आपत्तिजनक वीडियो क्लिप (Video Clip) को सार्वजनिक करने-कराने में उनकी भूमिका थी. वैसे, उनके परिजनों का कहना रहा कि यह बात गलत है. इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी.

पंचायत चुनाव की राजनीति
सुरेन्द्र प्रसाद सिंह के भाई रंजीत प्रसाद (Ranjit Prasad) ने विभूतिपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी. उसमें पूर्व विधायक रामबालक सिंह और उनके छोटे भाई लालबाबू सिंह (Lalbabu Singh) के अलावा चार अन्य नामजद हैं. उनमें एक रामाश्रय सिंह उर्फ टुना सिंह (Ramashray Singh urf Tunna Singh) भी हैं जिनसे पूर्व मुखिया का जमीन का विवाद चल रहा था. चर्चा पांच अज्ञात की भी है. हत्या का कारण मुखिया (Mukhiya) पद का चुनाव बताया गया है. जानलेवा हमला और आर्म्स एक्ट के एक बहुत पुराने मामले में सजायाफ्ता रामबालक सिंह जदयू (JDU) किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष थे. सिंघिया बुजुर्ग दक्षिण पंचायत के 2021 के मुखिया पद के चुनाव में उनकी पत्नी आशा रानी (Asha Rani) उम्मीदवार थीं.

होना है उपचुनाव
मुकाबला सुरेन्द्र प्रसाद सिंह की पत्नी ममता देवी (Mamta Devi) से हुआ था. जीत आशा रानी (Asha Rani) की हुई थी. लेकिन, चुनाव (Election) के कुछ ही माह बाद 2022 में कैंसर से पीड़ित आशा रानी का असामयिक निधन हो गया. इस वजह से मुखिया का उपचुनाव होना है. सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने अपनी पत्नी ममता देवी को पुनः अखाड़े में उतारने की तैयारी कर रखी थी. रामबालक सिंह अपनी छोटी पुत्री नव्या सिंह (Navya Singh) को चुनाव लड़ाना चाहते थे. संभवतः निर्विरोध निर्वाचित कराने की उनकी मंशा थी. इसको लेकर नये सिरे से तनातनी की स्थिति बन गयी थी.


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पुलिस का खुलासा
सुरेन्द्र प्रसाद सिंह से ताजा खुन्नस इस बात का था कि पूर्व विधायक (Ex MLA) से संबंधित एक आपत्तिजनक वीडियो क्लिप वायरल करने-कराने का उनपर संदेह था. मकसद मुखिया पद के उपचुनाव में लाभ उठाना था. पुलिस अधीक्षक विनय तिवारी के मुताबिक रामबालक सिंह और उनके भाई लालबाबू सिंह ने इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिलाया. मुसरीघरारी (Musrigharari) थाना क्षेत्र के बहुचर्चित गांव सलेमपुर (Salempur) के कुख्यात डब्ल्यू झा (Dablu Jha) को 5 लाख रुपये की सुपारी देकर. शूटर बाहर के थे. लाइनर की भूमिका कैलाश सिंह ने निभायी थी, जो रामबालक सिंह के मैनेजर हैं. पूर्व विधायक के भतीजा अभिमन्यु सिंह उर्फ मन्नु (Abhimanyu Singh urf Mannu) का भी उन्हें साथ मिला था.

महिला भी पकड़ी गयी
पुलिस (Police) के अनुसंधान को भटकाने के ख्याल से रामबालक सिंह (Rambalak Singh) और लालबाबू सिंह (Lalbabu Singh) उस दौरान अलग-अलग तारीख में बिहार (Bihar) से बाहर चले गये थे. लेकिन, पुलिस अधीक्षक विनय तिवारी (Vinay Tiwari) के तेज दिमाग के आगे उनकी यह चालाकी चल नहीं पायी. दोनों पुलिस की गिरफ्त में आ गये. इन दोनों के अलावा कैलाश सिंह (Kailash Singh) तथा रामाश्रय सिंह उर्फ टुना सिंह (Ramashray Singh urf Tunna Singh) की गिरफ्तारी हुई. रोसड़ा इलाके की एक विवादास्पद महिला की भी. वह महिला अवैध शराब (Lequor) का धंधा करती है. इस आरोप में पहले भी जेल (Jail) की हवा खा चुकी है. उसकी गिरफ्तारी क्यों हुई, यह रहस्य बना हुआ है.

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