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दुर्भाग्य दूर भगाती है कछुए की अंगूठी

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तापमान लाइव ब्यूरो
08 मई 2023
PATNA : हिन्दू धर्म (Hindu religion) में कछुए (Tortoise) को भगवान विष्णु (Bhagavaan vishnu )का अवतार माना गया है. समुद्र मंथन (Samudr Manthan)  के समय जब पर्वतरूपी मथनी को रखने के लिए समुद्र में कोई तल नहीं मिल रहा था तो भगवान विष्णु ने विशाल कछुए का रूप धारण कर मथनी को टिकने का आधार उपलब्ध कराया था. इसलिए कछुए को विष्णु का प्रिय और लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है. इसी तरह चीनी वास्तु शास्त्र कहलाने वाले फेंगशुई (Fengshui) में भी कछुए को सुख-समृद्धि, धन संपदा और गुड लक का प्रतीक माना गया है.

आत्मविश्वास बढ़ता है
ज्योतिष (Astrology) की तरह वास्तु (Vastu) में दुर्भाग्य दूर करने के कई उपाय बताये गये हैं. उन्हीं में से एक है कछुए की आकृति वाली अंगूठी (Ring) धारण करना. रत्नों और अलग-अलग धातुओं के छल्ले की तरह ही कछुए की अंगूठी भी दुर्भाग्य दूर करने का काम करती है. कछुए की अंगूठी


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कई तरह के वास्तु दोष दूर करती है. इसे धारण करने से व्यक्ति के भीतर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और उसके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. धन संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं. कछुआ शांति प्रिय और अत्यंत धैर्य रखने वाला जीव है. इसके प्रतीक वाली अंगूठी धारण करने से व्यक्ति में भी धैर्य, निरंतर गतिशील रहने और शांति के गुण विकसित होते हैं.

उल्टे हाथ में नहीं
वास्तु शास्त्र के अनुसार कछुए की अंगूठी केवल चांदी (Silver) में ही बनवाना चाहिए. अन्य धातु की अंगूठी शुभ प्रभाव नहीं देती. इस अंगूठी को सीधे हाथ में ही पहनना चाहिए. उल्टे हाथ में कछुए की अंगूठी नहीं पहनी जाती है. इसे पहनने के लिए तर्जनी और मध्यमा अंगुली निर्धारित है. अंगूठी पहनते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कछुए के सिर वाला भाग पहनने वाले की ओर हो. बाहर की ओर निकले हुए मुंह का असर नहीं होता. अंगूठी को मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) के दिन शुक्रवार को सुबह स्नान करके गंगाजल और कच्चे दूध से धोकर धूप-दीप दिखाकर पहनें.

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