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राजनीति: जदयू बना रहा हवाई किला!

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विष्णुकांत मिश्र
13 मई 2023

PATNA: राजनीति में बाजीगरी कोई जदयू (JDU) से सीखे. इसमें कोई अगर-मगर नहीं कि इस विधा में उसे महारत हासिल है. इसे जानने-समझने के लिए ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है. बस दो दिन पहले की बात है… दूसरों, खासकर भाजपा (BJP) को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले जदयू ने बुधवार 10 मई 2023 को खुद इसकी सीमा लांघ गठबंधन धर्म कोे तार-तार कर दिया. महागठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस (CONGRESS)से जुड़े रहे दरभंगा मुहर्रम कमेटी के अध्यक्ष सिबगतुल्लाह खान उर्फ डब्बू खान (Sibagatullaah khan urf Dabboo khan)की पत्नी अंजुम आरा (Anjum Ara) को जदयू में शामिल करा दिया. अंजुम आरा अपने पति डब्बू खान की तरह दरभंगा नगर निगम की राजनीति में सक्रिय रही हैं. फिलहाल महापौर पद पर आसीन हैं. नगर निगम के 2022 के चुनाव में उनकी जीत इत्तफाकन हुई थी. इत्तफाकन क्यों, पहले इसको जानिये.

प्रसाद की तरह बंट गये मत
महापौर (Mayor) का पद महिला (सामान्य) के लिए सुरक्षित था. स्थानीय कई राजनीतिक घरानों और दलों के प्रभावशाली नेताओं की पत्नियां चुनाव मैदान में थीं. उनमें कुछ मुस्लिम समुदाय (Muslim Community)की भी थीं. पर, मुस्लिम मतों में ज्यादा बिखराव नहीं हुआ. दूसरे समुदाय के मत जातीय आधार (ethnic base)पर प्रसाद की तरह बंट गये. अंजुम आरा की जीत मात्र 8 हजार 734 मतों के अंतर से हुई. उन्हें 30 हजार 114 मत मिले तो दूसरे स्थान पर रहीं डा. धर्मशीला गुप्ता को 21 हजार 380 मत. 18 हजार 483 मत झटक कर निर्माता नायक तीसरे और 18 हजार 482 मतों के साथ मधुबाला सिन्हा चौथे स्थान पर रहीं. अंजनी देवी को 11 हजार 270 और रीता सिंह को 10 हजार 945 मत मिले.

भव्य मिलन समारोह
आंकड़ों पर नजर डालें तो इस समुदाय के दस उम्मीदवारों को मिले मतों का जोड़ 96 हजार 980 होता है. विश्लेषकों का मानना है कि इनमें से एक-दो भी मैदान में नहीं उतरतीं तो परिणाम कुछ और आता. लोकतांत्रिक व्यवस्था की यही खासियत है कि इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं के विरोध में रहने के बाद भी अंजुम आरा महापौर बन गयीं. इसी अंजुम आरा के लिए जदयू के प्रदेश कार्यालय में ‘मिलन समारोह’ आयोजित हुआ. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार(Nitish Kumar) को छोड़ पार्टी के तमाम बड़े नेता शामिल हुए. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajeev Ranjan Singh Urf Lalan singh), संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी(Vijay Kumar Chaudhary), जल संसाधन मंत्री संजय झा(Sanjay Jha), कल्याण मंत्री मदन सहनी(Madan Sahani) आदि.

जदयू की बाजीगरी
अब जदयू (JDU)की बाजीगरी देखिये, समारोह में दावा किया गया कि सिबगतुल्लाह खान उर्फ डब्बू खान और उनकी पत्नी अंजुम आरा के जदयू में शामिल होने के बाद दरभंगा में भाजपा (BJP) का कोई नामलेवा नहीं बचेगा. जश्न ऐसा कि भाजपा का कोई मजबूत किला ढाह दिया गया हो! जबकि इससे उसका कोई सरोकार नहीं है. यह सामान्य समझ की बात है कि डब्बू खान और अंजुम आरा जिस मुस्लिम समुदाय से हैं, उसका समर्थन कभी भाजपा को नहीं मिलता. यह समुदाय राजद (RJD) के प्रति समर्पित है. ऐसे में डब्बू खान और अंजुम आरा के जदयू से जुड़ने से भाजपा को क्या और कैसा नफा-नुकसान होगा? नुकसान होगा भी तो राजद को, जो महागठबंधन (Mahagathbandhan) का सबसे बड़ा घटक दल है.

मिलन समारोह का एक दृश्य

कभी दायें-बायें रहते थे.
यहां डब्बू खान (Dabboo khan) की पृष्ठभूमि जानने की जिज्ञासा जरूर जगी होगी. सिबगतुल्लाह खान उर्फ डब्बू खान और अमानुल्लाह खान उर्फ अल्लन खान कभी पूर्व केन्द्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी(Ali Ashraf Fatmi) के दायें-बायें रहा करते थे. उस कालखंड के हालात की जानकारी रखने वालों की मानें तो दोनों की ‘समाज विरोधी’ छवि थी और इसी छवि से राजद (RJD) के दमदार नेता रहे अली अशरफ फातमी की राजनीति चमकती थी. कालांतर में अली अशरफ फातमी का राजद से मोह भंग हुआ और वह जदयू (JDU) से जुड़ गये. तब सिबगतुल्लाह खान उर्फ डब्बू खान कांग्रेस (CONGRESS) के करीब हो गये.

चर्चाएं अनेक होती हैं
अमानुल्लाह खान उर्फ अल्लन खान (Amanullah Khan Urf Allan Khan) राजद में ही बने रहे . इन दोनों से जुड़ी अनेक चर्चाएं शहर में होती हैं. अमानुल्लाह खान उर्फ अल्लन खान एक बार जेल की हवा भी खा चुके हैं. मामला दरभंगा नगर निगम के तत्कालीन उपमहापौर बदरुज्जमा खान उर्फ बॉबी खान (Badruzzama Khan Urf Bobby Khan) की हत्या की साजिश से जुड़ा था. बताया जाता है कि उस मामले में अली अशरफ फातमी की संलिप्तता का आरोप भी उछला था. गिरफ्तारी के बाद अमानुल्लाह खान उर्फ अल्लन खान ने भी ऐसी बातें पुलिस के समक्ष कही थी. मामले का अंतिम निष्पादन क्या हुआ, यह नहीं मालूम.

यह है जश्न की असली वजह
डब्बू खान और अंजुम आरा जैसे सामान्य नेता के मिलन पर इतने बड़े जश्न का असली कारण हैरान कर देने वाला है. दरअसल, यह पूर्व सांसद अली अशरफ फातमी (Ali Ashraf Fatmi) से जुड़ा हुआ है. हुआ यह कि मिलन समारोह से कुछ ही दिनों पूर्व दरभंगा में आयोजित जदयू (JDU) की बैठक में अली अशरफ फातमी ने पार्टी में महसूस कर रहे घुटन को सार्वजनिक कर दिया . पूरी मजबूती से दरभंगा संसदीय क्षेत्र से अपनी दावेदारी पेश कर दी.

नागवार गुजरा
बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के ‘प्रिय’ जल संसाधन मंत्री संजय झा (Sanjay Jha) भी थे. राजनीतिक हलकों में जो चर्चा है उसके मुताबिक संजय झा 2024 के संसदीय चुनाव में दरभंगा से जदयू के उम्मीदवार होंगे, यह करीब-करीब तय है. ऐसा कहा जाता है कि अली अशरफ फातमी ने जिस अंदाज में अपनी बातें रखी वह जदयू नेतृत्व को रास नहीं आयी. उन्हें उनकी ‘औकात’ बताने के मकसद से आनन-फानन में डब्बू खान और अंजुम आरा को जदयू में शामिल करा दिया गया. जदयू की इस पहल को हवाई किला बनाने के रूप में देखा जा रहा है.

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