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राजनीति का कमाल : इनका दीर्घ जीवन चाहती है भाजपा !

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विशेष प्नतिनिधि
३० जून 2023
PATNA : राजनीति में आश्चर्य करने जैसी कोई बात नहीं होती है. राज्य का बच्चा – बच्चा जानता है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राजद (RJD) अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad) एक – दूसरे के जानी दुश्मन हैं. बस, चले तो दोनों एक – दूसरे को नेस्तनाबूत कर दें. भाजपा धरम – करम वाली पार्टी है. वह लालू प्रसाद को निस्तेज करने के लिए अनुष्ठान भी करवा सकती है. मगर, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भाजपा इस समय लालू प्रसाद के दीर्घ जीवन के लिए अनुष्ठान करवा रही है. राजनीति के गलियारे की चर्चाओं के मुताबिक दुआ कर रही है कि इनका जीवन लंबा हो. क्योंकि कथित रूप से किसी तांत्रिक (Tantrik) ने भाजपा को कह दिया है कि लालू प्रसाद की‌ राजनीतिक सक्रियता से ही उसे बिहार (Bihar) का राजपाट मिल सकता है. लालू प्रसाद निष्क्रिय हुए नहीं कि राजपाट हासिल करने का सपना अब जो धरायेगा, वह धरा ही रह जायेगा.


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दिखने लगा है असर
तांत्रिक के कथन और अनुष्ठान का प्रभाव साफ-साफ नजर आने लगा है. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पटना में बैठ गये हैं. उनके पास उन तमाम लोगों की बैठकी शुरू हुई थी, जिनके कारण उनके शासन को जंगलराज का खिताब मिला था और उसी के सहारे भाजपा और तब के उसके सहयोगी जदयू (JDU) को पंद्रह साल के उनके शासन को विदा करने का यश मिल गया था. बाद में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने राज्य में अमन चैन और कामकाज का माहौल बनाया. लालू प्रसाद के युवराज तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejaswi Prasad Yadav) ने पार्टी की रीति नीति में सुधार किया. विधानसभा के 2020 के चुनाव में लालू प्रसाद एक दिन के लिए भी बिहार नहीं आये. तेजस्वी प्रसाद यादव ने चुनाव के पोस्टर पर उनका फोटो तक नहीं लगाया. भारी सफलता मिल गयी. सत्ता से युवराज की मामूली दूरी रह गयी थी. तेजस्वी प्रसाद यादव अभी शासन में हैं. फूंक- फूंक कर कदम उठा रहे हैं. उन पर कोई लांक्षण भी नहीं लगा सकता है. लेकिन, लालू प्रसाद के जमते ही पार्टी के पुराने लक्षण बारी-बारी से सामने आने लगे है.

लालू प्रसाद और नीतीश कुमार.

हाजिर हो रहे हैं सब के सब
सरकारी अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में तेजस्वी प्रसाद यादव के बदले राजद अध्यक्ष की चली. चर्चा है कि उनके नाम पर माल टानने का भी खेल चला. पता नहीं क्यों, अपराध की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. तेजस्वी प्रसाद यादव ने जिन दागी चेहरों को अपने आसपास फटकने से रोक दिया था, सब के सब लालू प्रसाद की सेवा में हाजिर हो रहे हैं. यही सब भाजपा को प्रोत्साहित कर रहा है. गणित यह लगाया जा रहा है कि राजनीति में बेचारे बने नीतीश कुमार में इतनी ताकत नहीं रह गयी है कि लालू प्रसाद को मनमर्जी करने से रोक दें. विधायकों की संख्या बल का असर है कि लालू प्रसाद किसी अधिकारी को फोन कर दें तो वह इनकार नहीं कर सकता है. नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) विरोधी पंद्रह राजनीतिक दलों की कुछ दिनों पूर्व पटना (Patna) में हुई बैठक में उनका रुतबा – रुआब जिस अंदाज में लौटता दिखा‌, उसके बाद तो और भी नहीं. देखिए, भाजपा की मंशा कितनी जल्दी पूरी होती है.

#tapmanlive                                                                                                                                              चित्र : सोशल मीडिया

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