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माफिया राज : यह भी है एक ‘खौफनाक’ चेहरा !

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शिव कुमार राय
15 जुलाई 2023

Sahibganj : करीबियों की की नजर में ‘पत्थर किंग’ तो प्रतिद्वंद्वियों के शब्दों में ‘पत्थर माफिया’ प्रकाश चन्द्र यादव उर्फ मुंगेरी यादव (Prakash Chandra Yadav urf Mungeri Yadav) संताल परगना के पत्थर व्यवसाय का एक बड़ा ‘खौफनाक’ नाम रहा है. आधिकारिक आंकड़े तो उपलब्ध नहीं हैं, इलाकाई लोगों के मुंह से यह अवश्य सुना जाता है कि पत्थर का उनका व्यवसाय हजार करोड़ से अधिक का है. कुछ लोग वैध के साथ अवैध कारोबार की बात भी करते हैं. यह मौखिक आंकड़ा झामुमो (JMM) के सत्तारूढ़ होने से पहले का है. हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के मुख्यमंत्री और पंकज मिश्र (Pankaj Mishra) के उनके विधायक प्रतिनिधि बनने के बाद मुंगेरी यादव का ‘साम्राज्य’ बिखर गया. सामान्य समझ है कि राजेश यादव उर्फ दाहू यादव (Rajesh Yadav urf Dahu Yadav) और बच्चू यादव (Bachchu Yadav) को व्यवसाय के मोर्चे पर रख पंकज मिश्र ने अपना ‘साम्राज्य’ खड़ा कर लिया. स्थानीय लोग बताते हैं कि राजेश यादव उर्फ दाहु यादव और बच्चू यादव पहले मुंगेरी यादव के दायें-बायें रहा करते थे. बदले हालात में पंकज मिश्र के हो गये.

तब भी हैं जेल में
कुछ माह पूर्व प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने साहिबगंज के पत्थर कारोबारियों की घर तलाशी ली. पंकज मिश्र के ठिकानों को भी खंगाला. कहां क्या मिला क्या नहीं, यह अलग विषय है. लोगों को हैरानी हुई कि उस कार्रवाई की आंच प्रकाश चन्द्र यादव उर्फ मुंगेरी यादव तक क्यों नहीं पहुंची? जिज्ञासा स्वाभाविक है. दरअसल, मुंगेरी यादव का संपर्क-संबंध भाजपा के नेताओं से है. दूसरा यह कि वह प्रवर्तन निदेशालय का गवाह बन गये हैं. ऐसा भी नहीं कि उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई. कार्रवाई हुई, प्रवर्तन निदेशालय की नहीं, झारखंड पुलिस की. कथित रूप से साहिबगंज के सत्ता संरक्षित ‘साम्राज्य’ को छिन्न-भिन्न करने की प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई की खीझ उतारने के लिए पूर्व के एक मामले में दबोच कर उन्हें जेल में डाल दिया गया.

मुंगेरी यादव जब गिरफ्तार हुए थे.

पहले थे मुंशी
प्रकाश चन्द्र यादव उर्फ मुंगेरी यादव मूलतः मुंगेर के रहने वाले हैं. सफियासराय थाना क्षेत्र के जानकीनगर (मिल्कीचक) के. वर्षों से साहिबगंज के जिरवाबाड़ी ओपी क्षेत्र की नेताजी सुभाष कालोनी में बसे हैं. आसनसोल (Asansol) और कोलकाता (Kolkata) में भी उनके सुरक्षित ठिकाने हैं. बताया जाता है कि पटना में भी उनका एक आलीशान मकान है जिसमें अस्पताल चलता है. मुंगेरी यादव पहले किसी पत्थर कारोबारी के यहां मुंशी का काम करते थे. व्यवसाय का गुर वहीं से सीख उन्होंने अपना ‘प्रभुत्व’ कायम कर लिया. उनकी गिरफ्तारी 29 जुलाई 2022 को पटना जाने के क्रम में रांची हवाई अड्डा पर हुई.15 जनवरी 2022 को राजमहल थाने में दर्ज आर्म्स एक्ट के एक मामले में. उस दिन तीन वाहनों पर सवार समर्थकों के साथ कहीं जा रहे थे. राजमहल के कैलाश पोटरी के पास पुलिस ने उन सबको रोक वाहनों की तलाशी ली. एक वाहन में प्रकाश यादव उर्फ मुंगेरी यादव, पटना (Patna) जिले के बाढ़ के गुलाबबाग गांव निवासी रणवीर कुमार और पंडारक निवासी विजय यादव थे. विजय यादव के पास से एक रायफल और 80 एम के 40 कारतूस मिले. साथ के दो अन्य वाहनों पर रणवीर कुमार के साथ गये बाढ़ और आसपास के लोग थे.

इस मामले में हुई गिरफ्तारी
विजय यादव (Vijay Yadav) ने खुद को मुंगेरी यादव का अंगरक्षक बताया था. पुलिस ने रायफल और कारतूस जब्त कर निजी मुचलके पर सभी को छोड़ दिया था. विजय यादव के पास रायफल के लाइसेंस की मूल प्रति नहीं थी. फोटो प्रति थी. जांच में रहस्य खुला कि लाइसेंस दोनाली बंदूक की थी. जबकि जब्त रायफल एकनाली थी. जानकारों के मुताबिक दोनाली बंदूक के लाइसेंस पर एकनाली रायफल के साथ घूमना संज्ञेय अपराध है. इस आधार पर 7 मार्च 2022 को उक्त तमाम 11 लोगों के खिलाफ राजमहल थाने में आर्म्स एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई. 25 जुलाई 2022 को प्रकाश चन्द्र यादव उर्फ मुंगेरी यादव के ख्लिाफ गिरफ्तारी का वारंट निकला और 29 जुलाई 2022 को रांची (Ranchi) से पटना जाने के दौरान एयरपोर्ट से उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया. अगस्त 2022 में क्राइम कंट्रोल एक्ट (CCA) के तहत नजरबंद कर दिया गया. मामले को मुंगेरी यादव झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) में ले गये. वहां उनकी याचिका खारिज हो गयी. तब यह मामला सर्वोच्च अदालत में पहुंचा. सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने मुंगेरी यादव की नजरबंदी को अवैध बता उन्हें जेल से मुक्त करा दिया. साथ ही तमाम मामलों में जमानत भी मिल गयी.


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विश्वासघाती भूमिका
मुंगेरी यादव की गिरफ्तारी के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है. बताया जाता है कि इसमें संताल परगना के उस दबंग नेता की विश्वासघाती भूमिका रही है, जो सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है. जैसी कि चर्चा है उस नेता ने मुंगेरी यादव के रद्द खनन पट्टों को फिर से शुरू करवा देने के नाम पर उनसे 50 लाख रुपये लिये थे. काम नहीं होने पर उन्होंने ही रुपये लौटाने के लिए रांची बुलाया और पुलिस को सूचना देकर गिरफ्तार करवा दिया. मुुंगेरी यादव निश्चित तौर पर इसको बकवास बतायेंगे, लेन-देन से साफ इनकार करेंगे.

बाढ़ से है संबंध
रणवीर कुमार (रणवीर कुमार) बाढ़ के दबंग नेता कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया (Karanveer Singh Yadav urf Lallu Mukhiya) के भाई हैं. प्रकाश यादव उर्फ मुंगेरी यादव से उनकी नजदीकी रिश्तेदारी है. बताया जाता है कि रणवीर कुमार की पुत्री की शादी प्रकाश चन्द्र यादव उर्फ मुंगेरी यादव के पुत्र से हुई है. रणवीर कुमार के परिवार का रिश्ता पाटलिपुत्र के भाजपा सांसद पूर्व कन्द्रीय मंत्री डा.रामकृपाल यादव (Dr.Ramkripal Yadav) से भी है. संभवतः वैसा ही समधियाना है जैसा प्रकाश यादव उर्फ मुंगेरी यादव से है. ऐसा कहा जाता है कि रणवीर कुमार की मुंगेरी यादव से सिर्फ रिश्तेदारी ही नहीं है, उसमें अपनापन की गहराई भी है, एक-दूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा है.

तय करते हैं रणनीति
इसको इस रूप में भी समझा जा सकता है कि कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया की बाढ़ की राजनीति की रणनीति प्रकाश चन्द्र यादव उर्फ मुंगेरी यादव तय करते हैं. कर्णवीर सिंह यादव विगत दो वर्षों के दौरान विधानसभा और विधान परिषद के चुनावों में उम्मीदवार थे. जीत नहीं हुई, पर उपलब्धियां उत्साहजनक रही. खासकर बाढ़ विधानसभा क्षेत्र (Barh Assembly Constituency) में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उन्हें जो मत मिले उससे भविष्य में वहां यादव समाज की जीत की उम्मीद भी पैदा हुई. ऐसी चर्चा है कि इन दोनों ही चुनावों में कथित रूप से प्रकाश चन्द्र यादव उर्फ मुंगेरी यादव की भी ऊर्जा खपी थी.

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