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‘सृजन’ लूट-कथा : रजनी प्रिया ने संभाली कमान, भरने लगी सड़ांध!

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‘सृजन’ महाघोटाला रूपी महापाप की सिरजनहार बहुत ही कम पढ़ी – लिखी अभावग्रस्त विधवा मनोरमा देवी थीं. मासूम चेहरा और शातिर दिमाग वाली मनोरमा देवी आखिर कौन थीं? यह जानने की जिज्ञासा हर किसी की होगी. यह भी कि कैसे इस महिला ने ‘सृजन’ की शुरुआत की? कैसे इस संस्था को बुलंदी दिलायी और फिर लूट-खसोट और अय्याशी की गिरफ्त में फंस यह कैसे अधोगति को प्राप्त हो गयी? इन तमाम सवालों का जवाब इस अंतर्कथा में है. संबद्ध आलेख की यह तीसरी कड़ी है:


शिवकुमार राय
16 अगस्त 2023

Bhagalpur : ‘सृजन परिवार’ में रजनी प्रिया (Rajni Priya) का पदार्पण कैसे हुआ, अब यह जानते हैं. मनोरमा देवी (Manorama Devi) के छोटे पुत्र अमित कुमार की शादी 2008 में हुई. झारखंड प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष अनादि ब्रह्म की पुत्री रजनी प्रिया उर्फ प्रिया कुमार से. अनादि ब्रह्म कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री सुबोधकांत सहाय (Subodhkant Sahai) के रिश्ते में भाई बताये जाते हैं. भागलपुर के अधिसंख्य लोगों का मानना है कि सृजन (Srijan) के मामलों में रजनी प्रिया का जैसे-जैसे हस्तक्षेप बढ़ा वैसे-वैसे फर्जीवाड़े का आकार भी बढ़ता चला गया. मनोरमा देवी का विक्रमशिला कालोनी, छोटी लाइन में ‘डा. अवधेश मेंशन’ के नाम से आलीशान मकान है. उसके बगल में भी करीब-करीब वैसा ही एक और मकान है. अमित कुमार तिलकामांझी के तुलसीनगर में दिवंगत पिता डा. अवधेश कुमार के नाम पर ए कुमार इंस्टीच्यूट आफ एजुकेशन और उसी के तहत लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी का अध्ययन केन्द्र चलाते थे. बाद में अध्ययन केन्द्र को बंद कर इथिकल हैकिंग का कम्प्यूटर कोर्स चलाने लगे. फिर ए कुमार इंस्टीच्यूट आफ एजुकेशन की जगह कुमार क्लासेज (Kumar Classes) का संचालन करने लगे.

पतित पत्रकारों की संलिप्तता
उसी भवन में ई-बिहार झारखंड नाम से न्यूज पोर्टल की शुरुआत हुई. ‘लीडर्स स्पीक’ नामक पत्रिका की भी. अमित कुमार (Amit Kumar) उस पत्रिका के प्रधान संपादक (Chief Editor) थे . ऐसा माना जाता है कि यह सब फर्जीवाड़े पर आवरण डालने का उपक्रम था. कहा जाता है कि पूर्व में भी मुख्यतः इसी मकसद से सृजन माइंड पत्रिका और सृजन मासिक समाचार- पत्र का प्रकाशन शुरू हुआ था. अकुशल हाथों में कमान रहने के चलते लम्बा नहीं खींच पाया. जिस मकान में अमित कुमार का संस्थान चलता था वह संभवतः विपिन शर्मा का है. संस्थान में उनकी भी हिस्सेदारी की बात कही गयी थी. लोग कहते हैं कि संस्थान के निचले तले को अय्याशी का अड्डा बना दिया गया था. वहां कुछ खास लोगों की पहुंच थी. सिंडीकेट (Syndicate) से जुड़े जिला प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों, बड़े संरक्षक राजनीतिज्ञों, धन्ना सेठों, सफेदपोशों एवं कतिपय पतित पत्रकारों की. पतित पत्रकारों ने जो गुल खिलाये उसकी एक अलग घिनौनी कहानी है. उस कहानी के छोटे-बड़े अठारह पत्रकार पात्र हैं.

ये सब थीं सदस्य
12 फरवरी 2017 को मनोरमा देवी का निधन हो जाने के बाद संस्था की कमान पूरी तरह से रजनी प्रिया उर्फ प्रिया कुमार के हाथ में आ गयी. डा. विनोदानंद प्रसाद (Dr. Vinodanand Prasad) की पत्नी शुभलक्ष्मी प्रसाद (Shubhalakshmi Prasad) इसकी अध्यक्ष थीं. शहर में इनकी कोई खास पहचान नहीं है. प्रबंधक की जिम्मेवारी सरिता झा संभाल रही थीं, जो घोटाले के सिलसिले में जेल भी गयीं. वह भी मनोरमा देवी की काफी करीबी थीं. सीमा देवी, जसीमा खातून, राजरानी वर्मा, अर्पणा वर्मा, रूबी कुमारी, रानी देवी, सुनीता देवी और सुना देवी सृजन की कार्यकारिणी की सदस्य थीं. कार्यकारिणी की सदस्य ही पदधारक हुआ करती थीं. रूबी कुमारी दिवंगत मनोरमा देवी के खासमखास रहे विपिन शर्मा की पत्नी हैं. घोटाले के सतह पर आने के बाद से पति-पत्नी दोनों फरार हो गये. बाद के दिनों में अलग-अलग उनकी गिरफ्तारी हुई.


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चलती दीपक वर्मा की भी थी
संस्था में उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की पार्टी से जुड़े रहे अभिषेक उर्फ दीपक वर्मा का भी वर्चस्व था. उनकी पत्नी अर्पणा वर्मा कार्यकारिणी की सदस्य थीं, भाभी राजरानी वर्मा भी उसमें शामिल थीं, समर समरेन्द्र की पत्नी. घोटाले के उजागर होने के बाद से फरार दीपक वर्मा को उपेन्द्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी से निकाल दिया. वैसे, वह पहले भाजपा (BJP) में थे. 2015 के विधान परिषद के चुनाव में राजग (NDA) में भागलपुर-बांका की सीट रालोसपा (RLSP) के कोटे में गयी तो वह भाजपा को छोड़ उसके उम्मीदवार बन गये. कहते हैं कि अप्रत्यक्ष रूप से सृजन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. इसके बावजूद मुंह की खा गये थे. दीपक वर्मा (Deepak Verma) का नाम बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (Sabour) के नियुक्ति घोटाला (Niyukti Ghotala) में भी जुड़ा था. वह आरोपित तत्कालीन कुलपति जदयू (JDU) के दिवंगत विधायक डा. मेवालाल चौधरी (Dr. Mevalal Chowdhary) के खासमखास थे.

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