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सीमांचल की राजनीति : रंग ला देगा वैश्य समाज का बदल रहा मिजाज!

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अशोक कुमार
27 सितम्बर 2023

Purnea : राजनीतिक दलों के प्रति आस्था एवं समर्पण के मामले में सीमांचल के वैश्य समाज (Vaishya Society) के लोगों का मन मिज़ाज चौंकाने वाले अंदाज में बदल रहा है. क्षेत्रीय राजनीति महसूस कर रही है कि वैश्य समाज के अंदर दल विशेष का पिछलग्गू रहने की सामान्य धारणा को तोड़ने की व्याकुलता बड़ी तेजी से बढ़ रही है. किसी और का नेतृत्व स्वीकार करने और उसका झंडा ढो़ने की बजाय अपने समाज से ही राजनीतिक नेतृत्व (Political Leadership) उभार उसे अधिकाधिक मजबूत बनाने की सोच को व्यापक समर्थन मिल रहा है. सिर्फ सीमांचल में ही नहीं, पूरे राज्य में यह सोच सियासी हवा के रुख को नयी दिशा देती नजर आ रही है. पहल अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन कर रहा है.

मिल रही मजबूती
2024 के संसदीय चुनाव (Parliamentary Elections) से पहले वैश्य वोटों की एकजुटता के लिए चलायी जा रही वैश्य समाज की मुहिम को निरंतर मजबूती मिल रही है. ऐसा माना जा रहा है कि अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन की राज्य के जिन कुछ संसदीय क्षेत्रों पर नजर है उनमें पूर्णिया भी शामिल है. ऐसा इसलिए कि इस संसदीय क्षेत्र में वैश्य समाज के लगभग सात लाख मतदाता रहने का अनुमान है. अपने ही समाज से सांसद निर्वाचित कराने की उसकी चाहत बहुत लंबी है. बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में पूर्णिया विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधित्व का अवसर इस समाज को मिला है, लोकसभा में प्रतिनिधित्व के लिए यह लंबे समय से लालायित है. वैश्य‌ बिरादरी की समझ है कि दल विशेष का पिछलग्गू रहने की वजह से ही इसे वैसा कोई मौका नहीं उपलब्ध हो पा रहा है. वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल भर किया जा रहा है.


‘कलंक’ से मुक्ति की छटपटाहट
एक तबके का मानना है कि इससे वैश्य समाज पर एक दल विशेष का ‘अंध समर्थक’ होने की तोहमत चिपक गयी है. समाज का बड़ा तबका अब इसे ‘कलंक’‌ समझने लगा है. इससे मुक्ति की छटपटाहट उसमें स्पष्ट तौर पर दिख रही है. और कोई नहीं, अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन बिहार की कमान संभाल रखे पूर्वी चंपारण (East Champaran) जिले के ढाका के भाजपा (BJP) विधायक पवन जायसवाल पूर्णिया के वैश्यों की इस चाहत को नया उभार दे रहे हैं. बहरहाल, बदले सामाजिक हालात में समाजसेवी संगठन की भूमिका को अपना रहे अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन को पूर्णिया एवंं कोशी (Koshi) प्रमंडलों में सांगठनिक विस्तार और मजबूती देने के लिए पूर्णिया के कसबा निवासी वैश्य महासम्मेलन के नेता अनिल कुमार साहा को जिम्मेवारी सौंपी गयी है.

इसलिए भी है समाज उद्वेलित
‌सुनील कुमार चौधरी (Sunil Kumar Chaudhary) वैश्य महासम्मेलन के पूर्णिया जिला अध्यक्ष की जिम्मेवारी संभाल रहे हैं. वैश्य महासम्मेलन के बैनर तले महात्मा गांधी सेवा सदन के तत्वावधान में गरीबों एवं असहायों को जो सहयोग – सहायता प्रदान की जाती है उसमें डा.ओ पी साह और सुनील कुमार चौधरी की अहम भूमिका रहती है. सुनील कुमार चौधरी को क्षोभ इस बात का है कि उनके ही संख्या बल पर राजनीतिक पार्टियां फूलती- फलती हैं और इस समाज के लोगों से सिर्फ झंडा व झोला ढ़ुलवाया जाता है. उदाहरण वह पूर्णिया के चर्चित समाजसेवी अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक का पेश करते हैं. कहते हैं कि राजनीति के इस महारथी ने अब तक के अपने जीवन में भाजपा की राजनीति को संवारने में लगा दिया. लेकिन, सिर्फ पैसों के अभाव के कारण इस वैश्य नेता को हांसिए का राजनीतिक जीवन (Political Life) जीने को मजबूर होना पड़ा. ऐसे और भी कई उदाहरण है, जो वैश्य समाज को उद्वेलित कर रहे हैं.


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देखना दिलचस्प होगा
पूर्णिया प्रमंडल अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन के अध्यक्ष पद पर शहर के पुराने वैश्य नेता और नामचीन सर्जन डा.ओ पी साहा (Dr. O P Saha) को बैठाया गया है. अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन के पूर्णिया प्रमंडलीय संयोजक और कोशी प्रमंडलीय प्रभारी अनिल कुमार साहा का कहना है कि जब स्वजातीय मतों की ताकत का हमें एहसास हो गया है , तो फिर सीमांचल सहित पूरे राज्य में वैश्य समाज को समुचित प्रतिनिधित्व पाने के लिए जोरदार अभियान चलाया जाना चाहिये. गौर करने वाली बात है कि इस रूप में अंगड़ाई ले रही वैश्य समाज की यह आकांक्षा भाजपा की राजनीति में गहरी चिंता भर रही है. फलाफल क्या‌ निकलता है, देखना दिलचस्प (Interesting) होगा.

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