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सूर्य नमस्कार : स्वस्थ जीवन का आधार

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तापमान लाइव ब्यूरो
16 नवम्बर 2023

New Delhi : भारतीय ऋषि-मुनियों ने सूर्य की किरणों के लाभों को देखकर ही इसकी पूजा-पाठ का विधान बनाया था. सूर्य ऊर्जा सीधे प्राप्त करने के लिए एक व्यायाम बनाया जिसे सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) कहते हैं. इस आसन के अभ्यास में सूर्य की किरणें पड़ने से खून साफ और शरीर स्वस्थ होता है. सूर्य नमस्कार आसन में सूर्य की किरणें और ऊर्जा शरीर के अंदर पहुंच जाती है. इससे खून में गति आती है. सूर्य नमस्कार को प्राणायाम के साथ करने से इससे प्राप्त होने वाला लाभ बढ़ जाता है क्योंकि प्राणायाम से मनुष्य की प्राणशक्ति बढ़ जाती है और शरीर में स्फूर्ति आ जाती है. इससे चेहरे पर चमक और निखार आता है. इन आसनों के साथ सूर्य से प्राप्त रोशनी से पाचन क्रिया मजबूत होती है.

प्राणायाम का प्रभाव
प्राणायाम का प्रभाव आंतरिक शरीर पर भी पड़ता है. इसका प्रभाव नाभि में उपस्थित कुण्डलिनी (ऊर्जा) शक्ति, सशक्त ग्रंथियों और चक्रों पर पड़ता है. इससे आध्यात्मिक व अलौकिक शक्ति का भी विकास होता है. मन, आत्मा की शुद्धि और बुद्धि के विकास के लिए प्राणायाम के साथ सूर्य नमस्कार को अच्छा साधन बताया गया है. सूर्य नमस्कार में मन को शांत व एकाग्र रखना चाहिए. यह केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है बल्कि इससे बल और बुद्धि का विकास होता है. इसलिए लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मन को एकाग्र व स्थिर (Concentrated and Steady) करके ही अधिक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है.


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व्यायाम का समय
सूर्य नमस्कार के साथ मंत्रोच्चार का भी नियम बनाया गया है. मंत्र ध्वनि अथवा शब्दों का समूह होता है, जिसका उच्चारण अभ्यास के समय करने से शरीर के सभी स्थूल व सूक्ष्म अंगों में कम्पन उत्पन्न होता है और वह गतिशील होता है. इससे खून का बहाव सामान्य होता है. सूर्य नमस्कार का आविष्कार (Invention) सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा (Energy) को प्राप्त करने के लिए किया गया है. इसलिए इस व्यायाम (Exercise) का अभ्यास सूर्य निकलते समय ही करना चाहिये.

अत्यंत लाभकारी गुण
अभ्यास के लिए ऐसा स्थान हो जहां सूर्य की किरणें पूरे शरीर पर पड़े. सुबह सूर्य निकलने से 3 घंटे बाद तक सूर्य नमस्कार किया जा सकता है. क्योंकि सुबह सूर्य से निकलने वाली किरणों में अत्यंत लाभकारी गुण होते हैं. सूर्य नमस्कार आसन नियमित करना चाहिए. कभी-कभी अभ्यास करने से पूर्ण लाभ नहीं मिलता. यह आसन खाली पेट किया जाता है और इसमें खान-पान का ध्यान रखना आवश्यक है. अभ्यास के क्रम में चाय, सिगरेट, शराब आदि का सेवन न करें. इससे शारीरिक हानि (Physical Harm) होती है. यह आसन स्त्रियों के लिए भी लाभकारी है.

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