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बेइज्जती नहीं, घनघोर बेइज्जती हो गयी उस दिन

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विशेष प्रतिनिधि
25 नवम्बर 2023

Patna : एक होती है बेइज्जती. यह साधारण किस्म की होती है. किसी की हो सकती है. मेरी, आपकी, उनकी….मतलब जिस-तिस की हो जाती है. बाज मौके पर तो यह इतनी महीनी से होती है कि आदमी को पता भी नहीं चलता है और उसकी बेइज्जती (Disgrace) हो चुकी होती है. बाद में पता चलता है तो आदमी देह झाड़कर मुस्कुरा देता है. कहता है-कोई बात नहीं. आखिर किसी अपने ने ही तो इज्जत उतारी है. मगर, अपने भगवानजी के साथ जो कुछ हुआ, वह बेइज्जती की सामान्य श्रेणी की घटना नहीं है. शास्त्रों में तो नहीं, राजनीतिक शास्त्र (Political Science) में इसे घनघोर बेइज्जती का ओहदा दिया गया है. तो बेइज्जती की शुरुआत शुरू से ही हो गयी थी.

बेभाव के फंस गये
शाहजी बिहार आये थे. समर्थकों ने समझाया कि ऐसे ही लोग कहने लगे हैं कि आप बेभाव के फंस गये हैं. पार्टी में आपको कोई पूछता नहीं है. अगर शाहजी के मंच पर नजर नहीं आये तो रहे-सहे समर्थक भी विदा हो जायेंगे. सो, हे प्रभु, कोई चक्र चलाइये. येन केन प्रकारेण शाहजी के मंच पर चढ़ जाइये. प्रभु ने चक्र चला दिया. दिल्ली से पटना तक के नेताओं से संपर्क किया. बड़ी मेहनत के बाद डेढ़ मिनट का समय मिला. भगवानजी ने आग्रह किया कि वह डेढ़ मिनट का समय वही हो जब शाहजी मंच पर रहें. साफ मना कर दिया गया.

गला साफ करने का मौका
कहा गया कि शाहजी के मंच पर आने से पहले जिन कुछ नेताओं को गला साफ करने का मौका मिलेगा, आप भी उसी मौके का फायदा उठाइये. एकाध बार गिरगिराने के बाद जब भगवानजी को लगा कि जिद करने पर यह डेढ़ मिनट भी हाथ से निकल जायेगा, वह गला साफ करने वालों की कतार में शामिल होने के लिए राजी हो गये. यह प्रथम अध्याय है. दूसरा अध्याय यह हुआ कि उन्होंने अपने खर्च पर रखे गये प्राइवेट सेक्रेटरी को कहा कि मधुबनी (Madhubani) के सर्किट हाउस में एक अदद कमरे का आरक्षण करा ले. प्राइवेट सेक्रेटरी ने कुछ देर बाद आकर बताया कि सर्किट हाउस में कमरा खाली नहीं है.

पूरा नहीं हुआ अरमान
भगवानजी ने अपने एक पुराने भक्त को फोन किया कि कम से कम झंझारपुर (Jhanjharpur) के किसी अच्छे होटल में कमरा बुक करा दे. भक्त ने पूरा प्रयास किया. पता चला कि उस छोटे शहर में जो कुछ बड़े कहे जाने वाले होटल हैं, वह पहले से बुक हैं. होटल की भाषा में इसे नो रूम कहा जाता है. मन मसोस कर उनकी सवारी निकली. तय पाया गया कि फारिग होने की नौबत आयी तो फोर लेन के होटल-ढावे का सहारा लेंगे. इस तरह मंच पर पहुंच गये. डेढ़ मिनट से भी कम समय में गला साफ कर लिया. अब अरमान था कि किसी तरह शाहजी से आमना-सामना हो जाये. यह अरमान मंच पर पूरा नहीं हुआ.


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लिस्ट में नाम नहीं
शाहजी के उतरने से पहले भगवानजी उतर गये. सीढ़ी के पास पोजीशन लेकर खड़े हो गये. यह क्या? शाहजी के साथ मंच से जो रेला उतरा, उसमें भगवानजी धक्का खाकर किनारे लग गये. आखिरी प्रयास में वह उस हाल में गये, जहां शाहजी के लिए भोजन पानी का इंतजाम था. हाल के गेट पर नाम पूछा. बताया कि लिस्ट में आपका नाम नहीं है. दरवाजे पर रुक गये. हां, मिशन इस हद तक कामयाब रहा कि जब शाहजी भोजन करके निकले तो उस समय भगवानजी को उनका दर्शन हो गया.

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