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राज्यपाल लगा दे सकते हैं मुख्यमंत्री के मंसूबों पर ग्रहण

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राजनीतिक विश्लेषक
06 अगस्त, 2021

पटना. तीन विश्वविद्यालयों के चांसलर बनने के नीतीश कुमार के इरादे पर फिलहाल राज्यपाल फागू चैहान ग्रहण बन कर बैठ गये हैं. इसके लिए विधानमंडल के दोनों सदनों ने मानसून सत्र में विधेयक पारित किया है. यह राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है. बिना राज्यपाल की मंजूरी के यह विधेयक कानून नहीं बनेगा. कानून नहीं बनेगा तो मुख्यमंत्री राज्य में प्रस्तावित तीन नये विश्वविद्यालयों के चांसलर नहीं बन पायेंगे.

यह है मामला

विधानसभा के मानसून सत्र में मेडिकल, इंजीनियरिंग और खेल से जुड़े तीन अलग-अलग विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए तीन विधेयक पारित हुए. विधानसभा के बाद इसे विधान परिषद से भी मंजूरी मिल गयी. अगले दिन राज्यपाल के दस्तखत के लिए इसे राजभवन भेजा गया. शुक्रवार को पांचवें दिन भी राज्यपाल ने इन विधेयकों पर दस्तखत नहीं किया. इस सूचना से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बेचैनी बढ़ी हुई है. इसे राज्यपाल की नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है. असल में यह विधेयक विश्वविद्यालयों के मामले में राज्यपाल के अधिकार में कटौती करता है. बिहार में लंबे समय से विश्वविद्यालयों के चांसलर राज्यपाल ही होते रहे हैं. पहली बार मुख्यमंत्री को यह ओहदा देने का फैसला किया गया है.

विधानसभा में भी हुआ था विरोध

राजद के ललित कुमार यादव ने संशोधन के जरिये मुख्यमंत्री को चांसलर बनाने वाले विधेयक के प्रावधान का विरोध किया था. हालांकि, यह विरोध सिर्फ एक विश्वविद्यालय के विधेयक पर था. विधानसभा में इस पर मतदान हुआ. राजद के संशोधन के पक्ष में 89 और विरोध में 110 वोट पड़े. अगर उस दिन विपक्ष के सभी विधायक सदन में रहते तो विधेयक का चांसलर बनाने का प्रस्ताव पारित ही नहीं होता.

क्यों नाराज हैं महामहिम

मुख्यमंत्री से राज्यपाल की नाराजगी की कई वजहें गिनायी जा रही हैं. वह मोटे तौर पर भाजपा के मूड का प्रतिनिधित्व करते हैं.जातीय जनगणना सहित कई मुद्दे पर नीतीश के प्रति भाजपा की नाराजगी जग जाहिर हो चुकी है. इस मामले में राज्यपाल अपनी कसर भी पूरी करना चाहते हैं. यह नाराजगी आईपीएस अधिकारी राकेश कुमार दुबे के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर है. अफसरों के बीच चर्चा है कि राकेश कुमार दुबे के आरा स्थित सरकारी आवास पर राज्यपाल का जाना मुख्यमंत्री को अच्छा नहीं लगा था. दुबे के खिलाफ कार्रवाई में राज्यपाल की उस यात्रा को भी जिम्मेवार कारक माना जाता है. कम से कम राज्यपाल ने राकेश कुमार दुबे के खिलाफ कार्रवाई को इसी भाव से ग्रहण किया है. चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यपाल से मिलकर उनकी गलतफहमी दूर करना चाहते हैं. लेकिन, राजभवन उनसे मिलने के लिए उत्सुकता नहीं दिखा रहा है.

क्या कर सकते हैं फागू चैहान

विधेयक के मामले में राज्यपाल के पास चार विकल्प होता है. एक: विधेयक पर दस्तखत कर विधि विभाग को लौटा देंगे. दोः विधेयकों में संशोधन सुझा कर विधानसभा को लौटा देंगे. तीनः विधेयकों को विचार के लिए राष्ट्रपति के पास भेज देंगे. चार: विधेयक को अनिश्चित काल के लिए लम्बित कर रख देंगेे. इनमें पहला को छोड़कर अन्य तीन विकल्प सरकार के लिए ठीक नहीं कहे जा सकते.

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