बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन : हरिहर क्षेत्र मेला में हुआ था पहला अधिवेशन
अवध किशोर शर्मा
14 अक्तूबर 2024
Sonpur : बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन इस वर्ष अपना 106वां स्थापना दिवस मनायेगा. यहां यह जानने वाली बात है कि बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन (Bihar Hindi Sahitya Sammelan) भले अभी पटना (Patna) में फहर रहा है, पर इसकी स्थापना 19 अक्टूबर 1919 को मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के हिन्दू भवन (Hindu Bhawan) में हुई थी. हिन्दी साहित्य सम्मेलन का प्रथम अधिवेशन स्थापना के अगले माह यानी नवम्बर 1019 में हरिहर क्षेत्र (Harihar Kshetr) सोनपुर मेला (Sonpur Mela) में हुआ था. इसमें डा. राजेन्द्र प्रसाद और जगन्नाथ प्रसाद की अहम भूमिका थी. 1935 तक इसका मुख्यालय मुज़फ्फरपुर में ही रहा. उसके बाद पटना आ गया.
हिंदू महासभा की बड़ी भूमिका
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का प्रथम अधिवेशन हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला में इस वजह से कराया गया था कि उस समय मेला क्षेत्र और उसके आसपास का इलाका हिंदी साहित्य को लेकर ज्यादा उत्साहित था. राष्ट्रभाषा हिन्दी (Rashtrabhasha Hindi) के प्रचार-प्रसार का प्रमुख केन्द्र बन गया था. कहते हैं कि हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) ने इसमें बड़ी भूमिका निभायी थी. बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का प्रथम अधिवेशन 08 और 09 नवम्बर 1919 को संपन्न हुआ था.
देवनागरी लिपि के प्रचार पर जोर
1925 में विशेष अधिवेशन भी वहीं हुआ था जिसमें हिन्दी-उर्दू के लिपिगत विवाद को समाप्त कर देवनागरी लिपि के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया गया था. राष्ट्रभाषा हिन्दी तथा देवनागरी लिपि का प्रचार आंदोलन यहां हिन्दू महासभा के प्लेटफार्म से शुरू हुआ था. उस समय जगह-जगह दीवालों पर देवनागरी लिपि में हिन्दी के प्रचारात्मक दोहे मोटे-मोटे अक्षरों में लिखे गये थे.
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मथुरा प्रसाद दीक्षित थे प्रधानमंत्री
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन के प्रधानमंत्री पंडित मथुरा प्रसाद दीक्षित थे. स्वागतकारिणी के सभापति थे मुजफ्फरपुर नगरपालिका के तब के अध्यक्ष वैद्यनाथ प्रसाद सिंह. अधिवेशन के सभापति पंडित जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी थे. सम्मेलन में डा. राजेन्द्र प्रसाद, आचार्य बदरी नाथ वर्मा, राय बहादुर द्वारकानाथ पांडेय, जगन्नाथ प्रसाद, सोना सिंह चौधरी, पंडित पारसनाथ त्रिपाठी, पंडित जीवानंद शर्मा, पंडित रामदहिन मिश्र, रामदयालु सिंह आदि मौजूद थे.
महंत ने भी दिखायी थी दिलचस्पी
साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री पंडित मथुरा प्रसाद दीक्षित के सहयोगी के रूप में रामधारी प्रसाद विशारद, राघव प्रसाद सिंह वैनी, रामवृक्ष ‘बेनीपुरी, लतीफ हुसैन तथा पीर मुहम्मद मुनिस थे. कमला दत्त पांडेय, राम स्वारथ सिंह, संत रामकृपाल दास आदि ने इसमें सक्रिय रूप से भाग लिया. हरिहरनाथ मंदिर के महंत तथा स्थानीय जमीन्दारों ने भी गहरी दिलचस्पी दिखायी थी.
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