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हरिहरनाथ मंदिर : गुप्तेश्वर पांडेय की हो गयी विदाई

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अवध किशोर शर्मा
10 अक्तूबर 2024

Sonpur : बिहार धार्मिक न्यास पर्षद (Bihar Religious Trust Board) के इस निर्णय का कोई न कोई आधार अवश्य होगा. पर, आम लोगों को हैरानी इस‌ पर हुई कि जिस व्यक्ति की कारगर पहल से बाबा हरिहरनाथ मंदिर (Baba Hariharnath Temple) के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ, उसे ही मंदिर न्यास समिति से बाहर कर दिया गया.‌ बात पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) की है. गुप्तेश्वर पांडेय रामानुजाचार्य स्वामी गुप्तेश्वर जी महाराज के नाम से देश और दुनिया में सनातन धर्म (Sanatan Dharma) का अलख जगा रहे हैं. विडम्बना देखिये कि बिहार धार्मिक न्यास पर्षद ने उन्हें ही मंदिर न्यास समिति (Temple Trust Committee) से बाहर कर दिया.

न्यास समिति का पुनर्गठन
गौर करने वाली बात है कि पुनर्गठित मंदिर न्यास समिति में एक-दो अपवादों को छोड़ सभी पुराने सदस्य ही रखे गये हैं. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि अध्यक्ष पद से गुप्तेश्वर पांडेय को हटाने के लिए ही हरिहरनाथ मंदिर न्यास समिति का पुनर्गठन किया गया. वैसे, तीन सदस्य और हटाये गये हैं. वरिष्ठ पत्रकार दीपक पांडेय (Deepak Pandey) व स्वयं प्रकाश (Svayan Prakaash) तथा सबलपुर बभनटोली निवासी श्यामकिशोर शर्मा (Shyamkishor Sharma). कहा जाता है कि ऐसा इन तीनों की गुप्तेश्वर पांडेय से निकटता रहने की वजह से हुआ है.

जाते-जाते हटा दिये
बिहार धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन (Akhilesh Kumar Jain) ने अवकाश ग्रहण करने से पूर्व 28 अगस्त 2024 को नवगठित समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों की सूची पर हस्ताक्षर किये थे. सूची के अनुसार बाबा हरिहरनाथ मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद मुकेश (Pramod Mukesh), उपाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह उर्फ विनोद सम्राट, सचिव विजय कुमार सिंह लल्ला, सह-सचिव सामाजिक कार्यकर्ता ओमप्रकाश सिंह, कोषाध्यक्ष, सह- कोषाध्यक्ष निर्भय कुमार सिंह तथा मिथिलेश कुमार, कृष्णा प्रसाद महतो, दिनेश साहनी, गणिनाथ राय, चंद्रभूषण तिवारी एवं पूर्व मुखिया त्रिभुवन राय को सदस्य मनोनीत किया गया है.

हरिहरात्मक यज्ञ का आयोजन
गुप्तेश्वर पांडेय को संत बनने से पूर्व ही हरिहरनाथ मंदिर न्यास का अध्यक्ष बनाया गया था. तब हरिहरनाथ मंदिर और न्यास समिति का डंका बजने लगा था. संत के रुप में इस वर्ष सोनपुर मेला ग्राउंड में उनके नेतृत्व में संपन्न हरिहरात्मक यज्ञ की सफलता इसका उदाहरण है. इस यज्ञ की उपलब्धि इस बात से और बढ़ गयी थी कि इसमें हरिहरक्षेत्र श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम दिव्य देश पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य एवं बिहार प्रदेश उदासीन महामंडल के अध्यक्ष व सोनपुर स्थित लोकसेवा आश्रम के व्यवस्थापक संत विष्णुदास उदासीन उर्फ मौनी बाबा का साथ मिला था.


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उठ रहा सवाल
यहां धार्मिक न्यास पार्षद के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है मठ मंदिरों की समिति में सदस्य बनाने का आधार या पात्रता क्या है ? होना तो यह चाहिए था कि धार्मिक न्यास पर्षद विज्ञापन प्रकाशित कराता और सदस्य बनने के इच्छुक लोगों से आवेदन मांगता. मैरिट के आधार पर सदस्य चुना जाता. लेकिन ऐसा हरिहरनाथ मंदिर ही नहीं बल्कि राज्य के किसी भी मंदिर न्यास समिति के साथ नहीं हो रहा है.

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