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182 छात्रों का भविष्य संवार दिया डा. दिलीप जायसवाल ने

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अशोक कुमार
17 अगस्त 2021

पूर्णिया. अक्सर विवादों में रहने वाले पूर्णिया विश्वविद्यालय की अंधेरगर्दी का यह भी एक प्रमाण है. राज्य सरकार की बगैर अनुमति के उसने शैक्षणिक सत्र 2018-20 में स्नातकोत्तर विभागों के व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में पढ़ाई शुरू कर दी थी. उस सत्र में182 छात्रों का अवैध तरीके से नामांकन कर लिया था. परीक्षाएं भी ले ली थी. चूंकि उन पाठ्यक्रमों को सरकार की स्वीकृति नहीं थी इसलिए उसके परीक्षाफल का प्रकाशन रूका हुआ था. यह नामांकन उस वक्त हुआ था जब डा. राजेश सिंह पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति थे. परीक्षाफल प्रकाशित नहीं होने से छात्रों का भविष्य अंधकार में घिर गया था. मामला विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य विधान पार्षद डाॉ दिलीप जायसवाल के संज्ञान में आया तो उन्होंने संबंधित छात्रों को संकट से उबारने की सार्थक पहल की. राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के समक्ष तर्क रखा कि विश्वविद्यालय की इस मनमानी के लिए उक्त छात्र किसी भी रूप में दोषी नहीं हैं. इस तर्क से विभाग सहमत हुआ और उसने परीक्षाफल प्रकाशित करने की अनुमति विश्वविद्यालय को दे दी. हालांकि, इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी अपने स्तर से प्रयास किया था. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के सचिव असंगबा चुबा आओ ने छात्रों के हितों को दृष्टिगत रख 17 अगस्त 2021 को इस आशय का आदेश पारित किया. उन्होंने विश्वविद्यालय से यह भी जानकारी मांगी कि शैक्षणिक सत्र 2018-20 के बाद के सत्रों में भी तो इस प्रकार के नामांकन नहीं लिये गये हैं? गौरतलब है कि शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति से बगैर अनुमति के नामांकन पर यह पूछा था कि संबंधित विषयों में प्राध्यापकों की बहाली नहीं हुई तो फिर नामांकन क्यों किया गया,पढ़ाई कैसे हुई? कुलपति ने जवाब दिया कि दूसरी जगहों से प्राध्यापक मंगवाकर पढ़ाई पूरी करायी गयी थी. बहरहाल, विधान पार्षद डा. दिलीप जायसवाल की सकारात्मक पहल और शिक्षा विभाग के तदनुरूप निर्णय से भविष्य संवर जाने से उक्त छात्रों और उनके अभिभावकों में हर्ष व्याप्त है.

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