मंत्री जी का संदेश मिला नहीं कि काम का भाव बढ़ गया
राजनीतिक विश्लेषक
23 अगस्त 2021
पटना. संदेश पहुंचाना मुश्किल काम है. बड़ी दिक्कत यह कि संदेश अपने मूल रूप में पहुंच जाये. संदेश कुछ भेजा जाता है. लोगों तक पहुंचते-पहुंचते उसका मूल रूप समाप्त हो जाता है. कभी-कभी तो एकदम से उल्टा रूप. देखिये न, सरकार के एक मंत्री ने पदभार ग्रहण करते ही कड़ा संदेश दे दिया-काम करने वालों को इनाम दिया जायेगा. वह भी नकद. अपने वेतन से देंगे. उन्होंने दिया भी. इनाम के साथ-साथ उन्होंने दंड का भी विधान किया-काम में कमजोर और बेईमान लोगों को दंड देंगे. कड़ा दंड. संदेश का मूल रूप यह था कि उनके विभाग के मुलाजिम और हाकिम ईमानदारी और तेजी से काम करें. यह तो मंत्रीजी के संदेश के मूल भाव की बात हुई. देखिये कि यह संदेश नीचे तक किस रूप में पहुंचा. कई अंचलों से शिकायत आ रही है कि मंत्रीजी का ईमानदारी से काम करने वाला संदेश मिलने के बाद से अचानक हरेक काम का भाव बढ़ गया है. सीओ साहब कर्मचारियों का हलका बदलने के लिए दस पांच हजार रुपया लेते थे, संदेश मिलने के बाद उसका रेट पचास हजार तक पहुंच गया है. मंत्रीजी के गृह जिला में मुजफ्फरपुर-वैशाली सड़क के एक अंचल ने तो और कमाल किया. हलका बदलने का रेट साठ हजार कर दिया. क्यों भाई? इसलिए किया क्योंकि मंत्रीजी की सवारी इस रास्ते से जब गुजरती है तो पार्टी के लोग स्वागत-सत्कार के नाम पर सीओ साहब से कुछ न कुछ खींच लेते हैं. अनुमान है कि मेन रोड जाम होने की हालत में मंत्रीजी का काफिला इसी रोड से गुजरेगा. सो, खर्च बढ़ना तय है. हर आइटम में घूस का रेट बढ़ा दिया गया है. बिना झंझट वाली जमीन के दाखिल खारिज का रेट चार हजार रुपया था. वह छह हजार हो गया है. बाकी आइटम में भी डेढ़ से दो गुना इजाफा किया गया है. अफसर समझदार हैं. उन्होंने मंत्रीजी की ईमानदारी की घोषणा को गंभीरता से लिया है. वे अपने पूर्व के अनुभव का लाभ उठा रहे हैं. लालू जी के राज में भी एक मंत्री ने पदभार ग्रहण करते समय भीषण ईमानदारी की घोषणा की थी. फिर तो इतनी जबरदस्त बेईमानी का जोर चला कि पूछिए मत. मंत्रीजी खुद जेल गये. कई अफसरों को साथ ले गये. अभी तक मुक्त नहीं हो पाये हैं. सुशासन बाबू को चाहिये कि वह अपने मंत्रियों को खतरनाक और बहुत हद तक न पूरी करने वाली घोषणा करने पर रोक लगायें. जनता पर उल्टा असर पड़ता है.