उत्तर बिहार में खुलेगा खाद्य प्रसंस्करण विश्वविद्यालय
अरविन्द कुमार झा
24 अगस्त 2021
हाजीपुर. केन्द्र सरकार में मंत्री बनने के बाद पशुपति कुमार पारस सोमवार को पहली बार बिहार आये. अपने संसदीय क्षेत्र हाजीपुर भी गये. वहां उन्होंने एक बड़ी घोषणा की. जमीन की उपलब्धता के आधार पर उत्तर बिहार के हाजीपुर या मुजफ्फरपुर में खाद्य प्रसंस्करण विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा. तापमानलाइवडाॅटकाम से खास बातचीत में पशुपति कुमार पारस ने जानकारी दी कि देश में फिलहाल तीन खाद्य प्रसंस्करण विश्वविद्यालय हैं- दिल्ली, मुम्बई और जालंधर में. इन विश्वविद्यालयों में खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित शिक्षण एवं प्रशिक्षण दिये जाते हैं. केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ने उत्तर बिहार में इसकी स्थापना के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हाजीपुर या मुजफ्फरपुर में यथा शीघ्र जमीन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया. उनके मुताबिक विश्वविद्यालय की स्थापना का मकसद बिहार के लोगों को खाद्य प्रसंस्करण के मुतल्लिक विस्तृत जानकारी देना है ताकि राज्य में औद्योगिक विकास की रफ्तार और तेज हो. रोजगार के अधिकाधिक अवसर सृजित हों. किसानों को संबंधित फसलों के उत्पादन की नयी तकनीकी से अपेक्षित लाभ हो.
पशुपति कुमार पारस ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण विश्वविद्यालय में फल एवं सब्जी, मत्स्य पालन, डेयरी उद्योग, पोल्ट्री, बकरी पालन आदि से संबंधित कम से कम 11 विषयों की पढ़ाई होगी और तत्संबंधी प्रशिक्षण दिये जायेंगे. इसके अलावा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए तकनीकी सलाह एवं सब्सिडी भी उपलब्ध करायी जायेगी. बिहार में कृषि आधारित उद्योग जैसे गन्ना, केला, लीची, आम, मखाना के अलावा डेयरी एवं मत्स्य पालन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं. ये सब रोजगारोन्मुखी भी हैं. राजनीतिक बातों के तहत पशुपति कुमार पारस ने दावा किया कि दिवंगत लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के वही वास्तविक राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं. उनकी कर्मभूमि हाजीपुर संसदीय क्षेत्र के बहुमुखी विकास के लिए कटिबद्ध एवं समर्पित हैं. जातीय जनगणना के संदर्भ में उनका कहना रहा कि 2026 में संभावित संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के मद्देनजर यह उचित है. इससे नया जातीय गणित सामने आयेगा. परन्तु, साथ में यह भी जोड़ा कि इस मुद्दे पर राजग का जो निर्णय होगा वह उसके साथ रहेंगे. इस दौरे में पशुपति कुमार पारस के साथ लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष सांसद प्रिंस पासवान के अलावा सभी दलीय सांसद और दलित सेना के बिहार प्रदेश प्रधान महासचिव घनश्याम दाहा भी थे.