लखीसराय : वोट दिलायेगा बकरा!
विष्णुकांत मिश्र
06 अप्रैल 2023
Lakhisarai : थोड़ा अटपटा लगेगा, पर चौक-चौराहों सेे लेकर चौपालों तक फिलहाल यही चर्चा है. राजनीति (Politics) की हल्की-फुल्की समझ रखने वाले लोग भी इसमें रूचि ले रहे हैैं. एक-दूसरे से पूछ रहे हैं- ‘बकरा (Goat) वोट दिला देगा!’ वोेट और बकरे की इस चर्चा का खास आधार है. लखीसराय में वोट केे लिए एक साथ तकरीबन 450 बकरों की ‘बलि’ दी गयी! किसी देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए नहीं, जनता जनार्दन की ‘कृपा प्राप्ति’ के लिए. जदयू (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व क्षेत्रीय सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajiv Ranjan Singh urf Lalan Singh) ने महाभोज (Mahabhoj) रूपी यह अनुष्ठान कराया. इसमें महागठबंधन (Mahagathbandhan) के तमाम घटक दलों के स्थानीय नेताओं-कार्यकर्त्ताओं को आमंत्रित किया गया था. सभी उपस्थित कार्यकर्त्ता ही थे, ऐसी बात नहीं. तब भी लोग काफी संख्या में जुटे थे. मांसाहारी को ‘मांस-भात’ और शाकाहारी को ‘दाल-भात’ का ‘प्रसाद’ ग्रहण कराया गया.
अनुष्ठान सिर्फ लखीसराय में ही क्यों?
ऐसा अनुष्ठान क्यों? वह भी सिर्फ लखीसराय में? मुंगेर (Munger) संसदीय क्षेत्र बाढ़ (Barh) से लेकर मुंगेर-जमालपुर तक पसरा हुआ है. तो फिर लखीसराय के ही कार्यकर्त्ताओें को ‘संतुष्ट’ करने की जरूरत क्यों महसूस हुई? अनुष्ठान क्यों के संदर्भ में ललन सिंह (Lalan Singh) का कहना रहा कि कार्यकर्त्ता उनके लिए भगवान हैं. उनका सम्मान करना पूजा है. सामान्य समझ में कार्यकर्त्ताओं को सम्मानित करना उनकी ‘महानता’ तो है, पर यहां दिलचस्प सवाल यह है कि उनके ‘भगवान’ मांस-भात रूपी प्रसाद से ही प्रसन्न हो जाते हैं? ललन सिंह 2009 से चुनावी राजनीति में हैं. अपने ‘भगवान’ की इस रूप में चुनाव पूर्व पूजा उन्होंने पहली बार की है. ‘भगवान’ प्रसन्न हुए भी या नहीं, यह 2024 का चुनाव परिणाम बतायेगा. फिलहाल महाभोज (Mahabhoj) में कनफुसकियों में यह बात भी फैलती रही-‘मीट खाओ नोेच के, वोट करो सोच के.’
450 बकरों की बलि
ललन सिंह ने 2019 में भी लखीसराय में ऐसा अनुष्ठान किया था. उनके ‘भगवान’ (God) तब राजग के कार्यकर्त्ता थे. 2019 के संसदीय चुनाव में ‘मनौती’ पूरी हुई, ‘भगवान’ को मांस-भात का ‘प्रसाद’ चढ़ाया गया था. ‘वैष्णवी भगवान’ को दाल-भात का. वह अनुष्ठान भी उसी के आर के हाईस्कूल (High School) के बड़े मैदान में हुआ था, जहां 02 अप्रैल 2023 को महागठबंधन के कार्यकर्त्ताओं के लिए किया गया. अनुष्ठानकर्त्ता का दावा है कि महाभोज मेें 20 हजार लोगों को ‘प्रसाद’ खिलाया गया. 20 हजार वर्गफीट में अलग-अलग 11 पंडाल लगाये गये थे. करीब 35 क्विंटल मांस (Meat) की व्यवस्था थी. साढ़े चार सौ से अधिक बकरा झारखंड एवं जमुई (Jamui) से लाये गये थे. सबकोे ‘बलि’ लखीसराय नगर भवन (Nagar Bhawan) में चढ़ायी गयी. 2019 में मांस-भात कम पड़ गये थे. व्यवस्था दुरुस्त नहीं रहने से अफरातफरी की स्थिति पैदा हो गयी थी. शुरू में कुछ लोगों को खाना परोसने के बाद ललन सिंह आयोजन स्थल से निकल गये थे. इस बार भी करीब-करीब वैसी ही स्थिति बन गयी थी. अंतर सिर्फ इतना कि ललन सिंह अंतिम समय तक जमे रहे.
अजय सिंह थे, पर कटे-कटे दिखे
2019 के महाभोज में पूर्व विधान पार्षद संजय प्रसाद (Sanjay Prasad) मुख्य व्यवस्थापक की भूमिका में थे. कारण जो रहा हो, इस बार परिदृश्य से ओझल रहे. लखीसराय जिला जदयू के अध्यक्ष रामानंद मंडल (Ramanand Mandal), लखीसराय नगर परिषद के सभापति अरविंद पासवान (Arvind Paswan) आदि उस जिम्मेवारी को निभा रहे थे. पूर्व विधायक फूलेना सिंह (Fulena Singh), लखीसराय जिला परिषद के अध्यक्ष रविरंजन कुमार उर्फ टनटन (Ravi Ranjan Kumar urf Tantan), जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू (Ramshankar Sharma urf Nunu Babu), पूर्व जिला पार्षद आशुतोष कुमार (Ashutosh Kumar) तो थे ही, भाजपा (BJP) से जुड़े घोसैठ के मुखिया आलोक कुमार (Alok Kumar) भी सक्रिय दिखे. ललन सिंह और सूर्यगढ़ा के राजद विधायक प्रहलाद यादव (Prahlad Yadav) की गलबहियां खासे चर्चा में रहीं. राजद के विधान पार्षद अजय कुमार सिंह (Ajay Kumar Singh) भी थे, पर ललन सिंह से कटे-कटे नजर आये. हालांकि, दोनों नेे ‘प्रसाद’ साथ बैठकर ग्रहण किया. 2019 के महाभोज में विधान पार्षद नीरज सिंह (Niraj Singh) भी मेजबान की भूमिका में थे. पता नहीं क्यों, इस बार उनकी झलक नहीं दिखी.
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