संजय सिंह प्रकरण : डोली लूटने वाले थे नक्सली तभी…
अभिषेक सुमन
14 अगस्त 2024
Sasaram: यह हर संवेदनशील व्यक्ति (Sensitive Person) को मालूम है कि लालू – राबड़ी शासनकाल को ‘जंगल राज’ की संज्ञा जिन कुछ जघन्य कांडों और कारनामों को लेकर दी गयी थी उसका एक लोमहर्षक अध्याय शाहाबाद के ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ प्रमंडलीय वन पदाधिकारी संजय सिंह की हत्या का भी है. 22 साल पूर्व के इस मामले में आरोपित नक्सलियों में छह को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा मिल चुकी है. और भी कई दंडित हुए हैं. बात पुरानी जरूर है , पर उसकी प्रासंगिकता (Relevance) बनी हुई है.
हाथ साफ कर लिया
शाहाबाद (Shahabad) के तत्कालीन प्रमंडलीय वन पदाधिकारी संजय सिंह को नक्सलियों ने लक्षित जरूर कर रखा था, पर उस दिन काम तमाम कर देने की कोई पूर्व निर्धारित योजना नहीं थी. नक्सलियों के जिस दस्ते ने नौहट्टा के रेहल में इस कांड को अंजाम दिया वह एक नवविवाहिता की डोली लूटने के मकसद से वहां मोर्चा संभाले हुए था. दुर्भाग्यवश (Unfortunately) डोली से पहले कुछ वन अधिकारियों के साथ संजय सिंह पहुंच गये. वनोत्पाद की तस्करी एवं अवैध पत्थर खनन पर सख्ती से खार खाये नक्सलियों को बड़ी सहजता से शिकार हाथ लग गया, हाथ साफ कर लिया.
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करना चाहता था जबरन शादी
15 फरवरी 2002 की तारीख थी. सीबीआई के अनुसंधान और फिर अदालत में सुनवाई के दौरान जो तथ्य सामने आये उसके मुताबिक नक्सलियों की योजना एक नवविवाहित महिला की डोली लूटने की थी. अनुसंधान के क्रम में रेहल निवासी गनौरी यादव ने जांच अधिकारी को बताया था कि पलामू जिले की रहने वाली वह महिला विधवा थी. पर, उसी रेहल के सुमेद यादव की जानकारी में वह विधवा नहीं, परित्यक्ता थी. जो हो, इसी दस्ते के बभनतलाब निवासी नक्सली रामबचन यादव (Rambachan Yadav) के प्रेमजाल में फंस गयी थी. रामबचन यादव उससे शादी करना चाहता था.
भई ने विरोध किया
पिपरडीह ग्राम पंचायत के तत्कालीन मुखिया बंडा गांव निवासी सुग्रीव सिंह ने जांच अधिकारियों के समक्ष इस रहस्य का खुलासा किया कि रामबचन यादव उस महिला से जबरिया शादी करना चाहता था. महिला का भाई होमगार्ड का जवान था. रामबचन यादव के नक्सली संगठन (Naxalite Organization) से जुडे होने की जानकारी मिलने पर उसने विरोध किया. परिवार वालों ने महिला की शादी रामबचन यादव से करने से मना कर दिया. रेहल के ही एक विधुर (Widower) से उसकी शादी तय कर दी. उस विधुर को दो बच्चे भी थे.
महिला नक्सली भी थी
गुस्साये रामबचन यादव ने घर पर चढ़ धमका दिया. उस धमकी को नजरंदाज कर 14 फरवरी 2002 को महिला की शादी करा दी गयी. . 15 फरवरी 2002 को दुल्हन की डोली के साथ बारात लौटने वाली थी. रेहल निवासी गनौरी यादव और बंडा गांव निवासी भाजपा नेता सुग्रीव सिंह (Sugriva Singh) समेत कई लोगो ने जांच अधिकारियों को बताया कि खूंख्वार कमांडर निराला यादव के नेतृत्व में नक्सलियों का सशस्त्र दस्ता (Armed Squad) डोली लूट लेने की नीयत से रेहल रेंज हाऊस के आसपास डेरा डाले हुए था. दस्ते में महिला नक्सली भी थी.
उसे भी मिली सजा
लेकिन, नवविवाहिता की डोली आने से पहले वन विभाग के अधिकारियों की सफेद जिप्सी पहुंच गयी. उसी सफेद जिप्सी पर प्रमंडलीय वन अधिकारी संजय सिंह (Sanjay Singh) सवार थे. संजय सिंह की हत्या के मामले में दो चरणों में कमांडर निराला यादव (Nirala Yadav) समेत जिन छह नक्सलियों को आजीवन कारावास की सजा मिली है उनमें उक्त महिला का तथाकथित प्रेमी (Lover) रामबचन यादव भी है.
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