लंगट सिंह कालेज में स्थापित हुई मृदुला सिन्हा की प्रतिमा
मदनमोहन ठाकुर
19 नवम्बर 2024
Muzaffarpur : बिहार (Bihar) के राज्यपाल-सह- कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Rajendra Vishwanath Arlekar) ने सोमवार को स्थानीय लंगट सिंह महाविद्यालय (Langat Singh College) की बाल वाटिका में गोवा (Goa) की पूर्व राज्यपाल पद्मश्री डा. मृदुला सिन्हा (Dr. Mridula Sinha) की चतुर्थ पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया. प्रतिमा अनावरण के बाद महाविद्यालय के आचार्य कृपलानी सभागार में ‘सहजता से भव्यता’ विषय पर परिचर्चा आयोजित हुई. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, भीमराव अम्बेदकर बिहार विश्वविद्यालय (Bhimrao Ambedkar Bihar University) के कुलपति (Vice Chancellor) प्रो. दिनेश चन्द्र राय, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेणु देवी, पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा, लंगट सिंह महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. ओ पी राय (Pro. O P Rai) , प्रो. तारण राय और डा. मृदुला सिन्हा के पुत्र नवीन सिन्हा ने संयुक्त रूप से इसका उद्घाटन किया.
लोक संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाया
कार्यक्रम में भीमराव अम्बेदकर बिहार विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अपराजिता कृष्ण, रामवृक्ष बेनीपुरी महिला महाविद्यालय (Ramvriksha Benipuri Women’s College) की प्राचार्य प्रो. ममता रानी, महिला पोलिटेक्निक के प्राचार्य प्रो. वरुण कुमार राय आदि उपस्थित थे. स्वागत भाषण प्रो. ओ पी राय ने किया. इस अवसर पर राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने डा. मृदुला सिन्हा के गोवा के राज्यपाल (Governor) रहते मिले उनके सान्निध्य के अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी प्रतिमा का अनावरण करना उनके लिए सौभाग्य की बात है. राज्यपाल ने कहा कि डा. मृदुला सिन्हा का हिन्दी से काफी लगाव था. अपने साहित्य के माध्यम से उन्होंने लोक संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाया. वह हमेशा साहित्य लेखन और काव्य सृजन में लगी रहती थीं.
साहित्यिक अवदान
मुजफ्फरपुर जिला निवासी डा. मृदुला सिन्हा राजनीति से तो जुड़ी थी हीं, साहित्यिक अवदान भी उनका कम नहीं है. वह प्रसिद्ध कथाकार – उपन्यासकार थीं. कविताएं भी लिखती थीं. महत्वपूर्ण बात यह कि उन्हें गोवा की पहली महिला राज्यपाल बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. अलग-अलग समय में भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष भी रही थीं. उनके पति रामकृपाल सिंह भी महत्वपूर्ण पदों पर रहे थे.
46 से ज्यादा पुस्तकें
मृदुला सिन्हा रचित 46 से ज्यादा पुस्तकों में ‘एक थी रानी ऐसी भी’ काफी मशहूर हुई थी. उस पर फिल्म भी बनी थी. उनके चर्चित उपन्यासों में ‘ज्यों मेंहदी का रंग’, ‘नई देवयानी’, ‘घरवास’, ‘सीता पुनि बोली’, ‘सावित्री’, ‘तिशय’ आदि हैं. कहानी संग्रहों में ‘एक दीये की दिवाली’, ‘अपना जीवन’ ने खूब ख्याति अर्जित की. बच्चों के लिए भी उन्होंने बहुत सारी पुस्तकें लिखीं.
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ऐसे की ‘खोईक्षा’ की व्याख्या
सबसे बड़ी खासियत यह कि डा. मृदुला सिन्हा महिलाओं के लोक जीवन की अद्भुत समझ रखती थीं. महिलाओं को मिलने वाली ‘खोईक्षा’ की उनकी व्याख्या का कोई जवाब नहीं. इस व्याख्या में उन्होंने खोईक्षा के धान (Dhan) , दूब, हल्दी और आजमाईन के गुण समझाये हैं. धान इसलिए कि उसे बोया जाता है एक खेत में, पैदावार दूसरे खेत में होती है. दूसरे खेत में नहीं लगाये जाने पर उपज नहीं होती है. धान एक खेत से जब दूसरे खेत में लगाया जाता है, तो थोड़े दिनों तक पीला रहता है, पर अनुकूल वातावरण मिलते ही हरा-भरा हो जाता है. ऐसी ही होती हैं भारत की बेटियां. खोईक्षा में दूब इसलिए कि सूखने के बाद भी अनुकूल वातावरण मिलने पर फिर से हरी-भरी हो जाती है. हल्दी और आजमाइन दर्दनाशक हैं, जो नये घर की पीड़ा को दूर कर देती हैं.
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