जनसुराज : बदल गया मिजाज ! क्या हुआ तेरा वादा ?
राजकिशोर सिंह
10 नवम्बर 2024
Patna : चुनावी राजनीति को नयी समझ देने के लिए सघन अभियान चला रहे जन सुराज (Jan Suraj) पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) को ‘प्रथम ग्रासे मक्षिका पातः’ यानी पहले ही निवाले में मक्खी गिर जाने जैसे हालात से रू-ब-रू होना पड़ गया. सबको मालूम है कि 02 अक्तूबर 2024 को अस्तित्व में आयी जन सुराज पार्टी की चुनावी यात्रा की शुरूआत बिहार विधानसभा के उपचुनाव (By-election) से हुई है. पार्टी का प्रथम उम्मीदवार एस के सिंह के नाम से ज्यादा चर्चित लेफ्टिनेंट जनरल श्रीकृष्ण सिंह (Lieutenant General Shri Krishna Singh) को बनाया गया. उन्हें तरारी (Tarari) के चुनावी मोर्चे पर तैनात किया गया. लेकिन, जंग-ए-चुनाव में वह उतरते उससे पहले दुर्भाग्य ने उनका पांव रोक दिया. अवसर हाथ से निकल गया.
इस वजह से वापस ली गयी उम्मीदवारी
दरअसल, नोएडा में रहने वाले श्रीकृष्ण सिंह हैं तो तरारी विधानसभा क्षेत्र के ही, परन्तु यहां की मतदाता सूची (voter list) में उनका नाम ही दर्ज नहीं है. तरारी ही नहीं, बिहार (Bihar) के दूसरे किसी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में भी नाम नहीं है. इस तकनीकी गड़बड़ी की वजह से तरारी में उनका नामांकन नहीं हो पाता. परिणामतः उम्मीदवारी वापस ले ली गयी. ऐसा ही कुछ बेलागंज (Belaganj) में हुआ. वहां जिस प्रो. खिलाफत हुसैन (Pro. Khilafat Hussain) को जन सुराज पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया, उन्होंने घोषणा के दो दिन बाद चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. उम्मीदवारी वापस कर दी.
तब भी कड़ा हो गया है मुकाबला
इन दोनों अप्रत्याशित वाकयों को लेकर प्रशांत किशोर की खूब किरकिरी हुई. सवाल उठा कि वह देश के बड़े चुनावी रणनीतिकार हैं, उनसे ऐसी चूक कैसे हो गयी? इस सवाल का कोई तर्कसंगत जवाब नहीं आया. बहरहाल, उम्मीदवार चयन को लेकर प्रशांत किशोर की भले फजीहत हुई हो, जन सुराज पार्टी के मैदान में उतरने से उपचुनाव का राजनीतिक व सामाजिक समीकरण बहुत कुछ बदल गया है. मुकाबला कड़ा हो गया है. इससे राजद (RJD) और उसके सहयोगी भाकपा-माले (CPI-ML) की सेहत प्रभावित हो सकती है. उपचुनाव के लिए मतदान 13 नवम्बर 2024 को होगा और परिणाम दस दिनों बाद 23 नवम्बर 2024 को आयेगा.
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दागदार छवि के हैं तीन उम्मीदवार
प्रशांत किशोर की आलोचना इस बात को लेकर भी हो रही है कि उपचुनाव में उन्होंने जो चार उम्मीदवार खड़े किये हैं उनमें तीन के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं. गौर करने वाली बात है कि पूरे ताम-झाम के साथ सक्रिय राजनीति में उतरने से पहले प्रशांत किशोर ने साफ-सुथरी छवि का उम्मीदवार उतार चुनावी राजनीति को नयी दिशा देने का वादा किया था. यह उस वादे के सर्वथा विपरीत है. कैसे? इसे इस रूप में समझिये. जन सुराज पार्टी के बेलागंज (Belaganj) के 10 वीं पास उम्मीदवार मोहम्मद अमजद (Mohammad Amjad) के खिलाफ हत्या के प्रयास, सार्वजनिक शांति भंग करने और आपराधिक धमकी से संबंधित पांच मामले लंबित हैं. इमामगंज (Imamganj) में उम्मीदवारी जितेन्द्र पासवान (Jitendra Paswan) को मिली है. वह 12 वीं पास है. उनके विरुद्ध धोखाधड़ी और बेईमानी से संबंधित दो मामले लंबित हैं.
यह तर्क है उसका
इसी तरह रामगढ़ (Ramgarh) के उम्मीदवार सुशील कुमार सिंह (Sushil Kumar Singh) के खिलाफ एक मामला लंबित है. आरोप हत्या के प्रयास और सार्वजनिक शांति भंग करने का है. सिर्फ तरारी की उम्मीदवार किरण सिंह (Kiran Singh) की छवि साफ-सुथरी है. वैसे दागी उम्मीदवार के बारे में जन सुराज पार्टी का अपना तर्क है. यह कि आरोप राजनीतिक है.
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