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सत्ता और सियासत : यह दोहरा चरित्र क्यों?

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अविनाश चन्द्र मिश्र

23 जुलाई 2024

Patna : उदाहरण अनेक हैं, पर दो मामले ही सत्ता और सियासत के दोहरे चरित्र को उजागर करने के लिए पर्याप्त हैं. वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) के पिता जीतन सहनी (Jeetan Sahani) की हत्या से एक दिन पहले पटना के सरिस्ताबाद (Saristabad) में हुई दो बच्चों की मौत के मामले में पुलिस के अमानवीय व्यवहार से संवेदनहीनता शरमा गयी. पर, पुलिस को तनिक भी शर्म नहीं आयी. त्वरित कार्रवाई की बात तो सोची भी नहीं जा सकती, प्राथमिकी दर्ज कराने गये शोकाकुल परिजनों के साथ उसने जो व्यवहार किया उसे अभद्रता ही कहा जायेगा. हालांकि, हील हुज्जत के बाद प्राथमिकी दर्ज हुई, पर संतोषजनक कार्रवाई होती नहीं दिखी. हैरानी की बात यह कि पुलिस की तरह राजनीति की निष्ठुरता ने भी सभ्य समाज को शर्मसार कर दिया. मासूमों की हत्या पर किसी भी कोने से संवेदना का कोई स्वर नहीं फूटा.

प्रशासन बेफिक्र दिखा

यह जानकर भी कोफ्त होगा कि पुलिस की ऐसी ही अकर्मण्यता और राजनीति की संवेदनहीनता सारण (saran) के तिहरे हत्याकांड में दिखी. जीतन सहनी की हत्या के दूसरे दिन सारण जिले के रसूलपुर (Rasoolpur) थाना क्षेत्र के घानाडीह (ghanadih) गांव मे हुई इस जघन्यतम वारदात में एक बाप और उसकी दो बेटियों की एक साथ हत्या कर दी गयी. नरपिशाचों (Narapishachon) ने बेखौफ घर में घुस कर बड़ी निर्ममता से तीनों के गला रेत दिये. इसे बेहयापन ही कहेंगे कि जीतन सहनी की हत्या को लेकर आसमान सिर पर उठा लेने वालों की संवेदना हृदयहीनता के इस मामले में सुप्त पड़ी रह गयी. शासन-प्रशासन पूरी तरह बेफिक्र दिखा.पुलिस की कार्रवाई तो सुस्त नजर आयी ही.

संवेदनाओं का ज्वार

आखिर, ऐसा क्यों? इसलिए कि दोनों पीड़ित परिवार सामान्य वर्ग के हैं? जीतन सहनी क्या थे? वीआईपी सुप्रीमो पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के पिता होने के अलावा उनकी क्या पहचान थी? न समाजसेवी थे और न राजनीतिजीवी. सांसद-विधायक की बात दूर, कभी मुखिया-सरपंच भी नहीं रहे. मछली के छोटा मोटा कारोबारी थे. दरभंगा पुलिस (Darbhanga Police) के खुलासे के मुताबिक कानून विरुद्ध सूदखोरी का धंधा करते थे. मरणोपरांत शराबबंदी कानून (prohibition law) के उल्लंघन के संदेह में भी घिर गये. फिर उनके मामले में वीआईपी पहल क्यों?

ऐसा होना ही चाहिये

यह वक्त की बात है कि कोई विशेष औकात नहीं रहने के बावजूद मल्लाहों के नेता के तौर पर बिहार की राजनीति में जगह बना रखे मुकेश सहनी के पिता के साथ नृशंसता पर संवेदनाओं का ज्वार उठ गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) , लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) , केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) , बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार(Nitish Kumar) , विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav), भाकपा- माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य (Dipankar Bhattacharya) आदि तमाम नेताओं ने गहरी सहानुभूति जतायी. दारुण दुख की घड़ी में ऐसा होना ही चाहिये.मानवता यही सीख देती है.


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बेशर्मी से नजरंदाज कर दिया

लेकिन, क्या पटना के मृत दो बच्चों एवं सारण में मारे गये तीन लोगों के परिजनों को ऐसी सहानुभूति की जरूरत नहीं थी? जरूरत थी. मुकेश सहनी से कहीं ज्यादा. परन्तु, राजनीति ने उस जरूरत को महसूस नहीं किया. पीड़ित-प्रभावित लोग दबे-कुचले वर्ग के हैं और उनसे वोट का कोई सीधा स्वार्थ नहीं जुड़ता है इसलिए बड़ी बेशर्मी से नजरंदाज कर दिया. बड़े नेताओं की बात छोड़िये, स्थानीय स्तर के नेताओं ने भी मुंह में दही जमाये रखा. यह रही राजनीति की बात. राज्य की विधि-व्यवस्था में जंगल राज (Jangal raj) सरीखी गिरावट के आरोपों तले दबे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जीतन सहनी के मामले में अनपेक्षित सक्रियता और ऊपर से लेकर नीचे तक के पुलिस महकमे की अत्यधिक तत्परता भी सवालों के घेरे मे हैं.

एक पांव पर खड़े दिखे

जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री का ही निर्देश था कि पुलिस महानिदेशक (DGP) आर एस भट्टी (R S Bhatti) , अपर पुलिस महानिदेशक  मुख्यालय (Adg) जे एस गंगवार (J S Gangwar) , दरभंगा परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक बाबू राम (Babu Ram) , दरभंगा के वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी (Jagunath Reddy Jala Reddy) आदि सभी मामले के अनुसंधान में एक पांव पर खड़े दिखे. दरभंगा की ग्रामीण पुलिस अधीक्षक काम्या मिश्रा (Kamya Mishra) के नेतृत्व में तो एसआईटी ही बनी हुई है.सब ठीक है. शासन-प्रशासन के क्षेत्राधिकार की बात है. लेकिन, क्या पटना के मृत दो बच्चों एवं सारण में मारे गये तीन लोगों के परिजनों के आंसुओं में दर्द घुला हुआ नहीं है? जीतन सहनी के मामले जैसी सक्रियता और तत्परता का अल्पांश भी उन मामलों में दिखा? नहीं,तो फिर यह सत्ता और सियासत का दोहरा चरित्र नहीं तो और क्या है?

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