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राजनीति : मतलब क्या है उनकी इस मुलाकात-बात का ?

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विजय शंकर पांडेय
14 जुलाई 2023
Darbhanga : पूर्व सांसद कीर्ति झा आजाद (Kirti Jha Azad) फिर कांग्रेस का ‘हाथ’ थामेंगे? पिछले रविवार को दरभंगा में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह (Dr. Akhilesh Prasad Singh) से अचानक हुई उनकी मुलाकात-बात से यह चर्चा स्थानीय राजनीति को सरगर्म किये हुए है. यहां यह जानने की जरूरत है कि मुलाकात की पहल कीर्ति झा आजाद ने नहीं की थी. पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री अली अशरफ फातमी की पुत्री की शादी में शामिल होने दरभंगा आये डा. अखिलेश प्रसाद सिंह खुद कटहलबाड़ी स्थित कीर्ति झा आजाद के आवास पर पहुंच गये थे. दरभंगा में उनका आवास अली अशरफ फातमी (Ali Ashraf Fatmi) के घर के रास्ते में ही है. शादी समारोह में लगुए – भगुए के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भी आये थे. लोगों की निगाहें जल संसाधन मंत्री संजय झा (Sanjay Jha) को ढूंढ रही थीं, कहीं नजर नहीं आये.

आमंत्रण के लिए आभार
ऐसा कहा जाता है कि उक्त मुलाकात के दरम्यान डा. अखिलेश प्रसाद सिंह ने तृणमूल कांग्रेेस (TMC) में सांगठनिक जिम्मेवारी संभाल रहे कीर्ति झा आजाद को कांग्रेस से जुड़ने को आमंत्रित किया. कीर्ति झा आजाद ने इस आमंत्रण के लिए आभार जताया, पर कोई स्वस्ति नहीं दी. इतना अवश्य कहा कि उनकी राजनीति की पृष्ठभूमि कांग्रेस (Congress) की है. अब भी वह कांग्रेस में ही हैं .बस नाम में थोड़ा अंतर है. कीर्ति झा आजाद बड़े कांग्रेसी परिवार से हैं. उनके पिता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद (Bhagwat Jha Azad) खांटी कांग्रेसी थे. ऐसा कहा जाता है कि अंतिम समय में कांग्रेस नेतृत्व ने उनके साथ जो उपेक्षापूर्ण व्यवहार किया उससे उस पार्टी के प्रति कीर्ति झा आजाद के मन में वितृष्णा भर गयी. पिता के जीवित रहते उन्होंने खुद को भाजपा (BJP) की राजनीति से जोड़ लिया.


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यह होगा अगला पड़ाव
कीर्ति झा आजाद दिल्ली से विधायक बने. फिर दरभंगा से तीन बार सांसद. केन्द्र में मंत्री नहीं बनाये जाने का खुन्नस और दिल्ली क्रिकेट असोसिएशन में कथित अनियमितताओं को लेकर दिवंगत पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) से विवाद उनके भाजपा से दूर होने का कारण बन गया. भाजपा से अलग होने के कुछ दिनों बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बुलावे पर कांग्रेस में शामिल हो गये. वहां उनकी काबिलियत को सम्मान नहीं मिला. 2019 में उम्मीदवारी दरभंगा संसदीय क्षेत्र से चाह्ते थे, उम्मीदवार धनबाद से बन दिया गया. वहां जो होना था सो हुआ. उसके बाद उनका जुड़ाव तृणमूल कांग्रेस से हुआ. उस पार्टी में भी कोई सुखद स्थिति नहीं है . ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह से अप्रत्याशित मुलाकात से 2024 के संसदीय चुनाव (Parliamentary Elections) की बाबत कोई बेहतर संभावना बनती है तो कीर्ति झा आजाद का राजनीतिक पड़ाव फिर से कांग्रेस को माना जा सकता है.

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