आशुतोष शाही प्रकरण : इस वजह से ठान ली थी मंटू शर्मा ने जानी दुश्मनी
विष्णुकांत मिश्र
29 जुलाई 2023
Muzaffarpur : कल्याणी चौक मुजफ्फरपुर शहर का हृदयस्थल है. एक समय में इस चौक को लोग ‘मिनी पार्लियामेंट’ कहते थे. शाम के समय शहर के हर तबके के ‘चिंतनशील’ लोगों का जुटान होता था. गप्पबाजी होती थी. वक्त बाजारु हो गया, बैठकबाजी खत्म हो गयी. चर्चा अब कल्याणी चौक (Kalyani Chowk) की जमीन , आसमान छू रही उसकी कीमत और जमीन के लिए बहाये जा रहे खून की. जमीन की कीमत कितनी हो सकती है इसका अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि वहां एक प्रसिद्ध जूता कंपनी की दुकान थी. खाली हुई, तो किसी दूसरे व्यवसायी ने हस्तगत किया.
ढाई करोड़ की पगड़ी
इस तरह की लेन-देन का कोई प्रमाण नहीं होता, पर चर्चाओं में ढाई करोड़ की ‘पगड़ी’ की बात है. जब ‘पगड़ी’ इतनी है, तो स्वामित्व की कीमत क्या होगी, यह बताने की शायद जरूरत नहीं. वैसे, लोग बताते हैं कि न्यूनतम पांच करोड़ रुपये प्रति कट्ठा है. उसी कल्याणी चौक पर है मछली मंडी वाली नौ कट्ठा पन्द्रह धूर जमीन. मुजफ्फरपर नगर निगम (Muzaffarpur Municipal Corporation) के पूर्व महापौर समीर कुमार (Sameer Kumar) और बड़े प्रोपर्टी डीलर आशुतोष शाही (Ashutosh Shahi) की हत्या के दूसरे कारण भी हो सकते हैं, पर मुख्य कारण इसी जमीन को माना जा रहा है. जानकारों की मानें तो जमीन का स्वामित्व सर सीपीएन सिंह के परिवार की चन्द्रलेखा सिंह (Chandralekha Singh) का था.
कई दबंगों की थी नजर
चन्द्रलेखा सिंह सर सीपीएन सिंह (Sir CPN Singh) के छोटे भाई राजेश्वर प्रसाद नारायण सिंह की पुत्रवधू और प्रेमप्रकाश नारायण सिंह उर्फ प्रेमकेश्वर नारायण सिंह की पत्नी हैं. मायका वाराणसी (Varanasi) में है. दिल्ली के महारानी बाग में रहती हैं. मुरौल प्रखंड के सम्भा गांव निवासी श्यामनंदन मिश्र यहां उनकी मैनेजरी संभालता था. वही जमीन की डीलिंग करता था. मछली मंडी वाले भूखंड पर तमाम दबंग धंधेबाजों की नजर थी. इसे पाने की चाहत एक बड़े राजनीतिज्ञ के चर्चित कारोबारी पुत्र की भी थी. चर्चाएं यह भी होती हैं कि उसी कल्याणी चौक पर उक्त बड़े राजनीतिज्ञ ने पूर्व में एक भूखंड खरीदा था. काफी प्रयास के बावजूद उस पर काबिज दुकानदारों एवं अन्य लोगों ने मुकम्मल रूप से उनका दखल-कब्जा नहीं होने दिया. वह भूखंड भी सर सीपीएन सिंह के परिवार के किसी सदस्य की है.
तेरह करोड़ में हुआ था सौदा
मछली मंडी वाले भूखंड पर काबिज होने के लिए कई सफेदपोश साम दाम दंड भेद अपना रहे थे. प्रारंभिक दौर में समीर कुमार बीस निकल गये. श्यामनंदन मिश्र (Shyamanandan Mishra) को प्रभावित कर उन्होंने लगभग 13 करोड़ में भूखंड का सौदा कर लिया. अब तक पांच लोगों को लील चुके इस भूखंड की कहानी दिमाग घुमा देने वाली है. समीर कुमार की हत्या के मामले में सुशील छापड़िया (Sushil Chapadia) की गिरफ्तारी हुई थी. जमीन के धंधे से गहरे रूप से जुड़े सुशील छापड़िया ने पुलिस को जानकारी दी थी कि इस भूखंड का सौदा 2016 में हुआ था. 13 करोड़ 15 लाख रुपये में. काजी मोहम्म्दपुर के विश्वजीत मिश्र, सम्भा गांव के श्यामनंदन मिश्र, मीठनपुरा के विजेन्द्र कुमार, पूर्व महापौर समीर कुमार तथा आशुतोष शाही साझेदार थे.
रास्ते में हो गया फरेब
एकरारनामे के अनुसार अग्रिम के तौर पर 02 करोड़ रुपये भूस्वामी को दिये जाने थे. श्यामनंदन मिश्र के माध्यम से उक्त रकम भेजी गयी. लेकिन, उन्हें (चन्द्रलेखा सिंह) 01 करोड़ 65 लाख रुपये ही मिले थे. 35 लाख रुपये रास्ते में हजम कर लिये गये. रुपये कम मिलने के कारण एकरारनामा रद्द हो गया. बाद में आशुतोष शाही ने जब भूस्वामी चन्द्रलेखा सिंह से दिल्ली (Delhi) में मुलाकात की तो इस रहस्य का खुलासा हुआ.
कर लिया इस्तेमाल
सच या झूठ, तब ऐसी चर्चा हुई थी कि इस फरेब की जानकारी समीर कुमार को मिली तो उन्होंने श्यामनंदन मिश्र की पिटाई करवा दी. आर्म्स एक्ट तथा शराबबंदी कानून के तहत मुसहरी थाने में प्राथमिकी दर्ज करा जेल भेजवा दिया. लोग बताते हैं कि श्यामनंदन मिश्र भी आपराधिक प्रवृत्ति का है. उसका संपर्क शंभु-मंटू गिरोह से जुड़े गोविंद कुमार से था. कहते हैं कि समीर कुमार द्वारा करायी गयी पिटाई से वह काफी गुस्से में था. उसके जेल से बाहर आने के बाद स्थानीय राजनीति में रुतबा और राज्य की सत्ता में रसूख रखने वाले सत्तारूढ़ दल से जुड़े चर्चित ‘नेताजी’ ने उस गुस्से का इस्तेमाल अपने हक में कर लिया.
धमकी मिली थी दोनों को
जानकारों के मुताबिक कल्याणी चौक इलाके का एक कुख्यात अपराधी, गन्नीपुर के दिवंगत लालाबाबू के परिवार के व्यवसायी शांति स्वरूप शर्मा उर्फ माधो और शक्ति स्वरूप शर्मा उर्फ उधो तथा बेगूसराय (Begusarai) निवासी शातिर रंजय उर्फ ओंकार मछली मंडी वाली जमीन में समीर कुमार की हिस्सेदारी के पक्ष में नहीं थे. सुशील छापड़िया द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार सिलौत गजपट्टी के गोविंद कुमार, सकरा के तुलसी मोहनपुर निवासी सुजीत कुमार तथा शहर के राजू तुरहा ने आशुतोष शाही तथा सुशील छापड़िया से मिलकर मछली मंडी वाली जमीन के सौदे से समीर कुमार को अलग रखने अन्यथा बुरे अंजाम भुगतने की बात कही थी. सुशील छापड़िया का कहना रहा कि श्यामनंदन मिश्र ने साजिश रची और गोविंद कुमार तथा सुजीत कुमार ने समीर कुमार की हत्या की. इसमें सच्चाई है या यह संपूर्ण बकबास है, इसका निर्धारण अदालत करेगी.
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मंटू शर्मा से अदावत
मछली मंडी की जमीन का अंतिम सौदा समीर कुमार की हत्या से पहले हुआ या बाद में, इसकी पक्की जानकारी नहीं. तटस्थ लोगों की समझ है कि उस सौदे में समीर कुमार को भी हिस्सा मिलना चाहिए था,पर नहीं मिला. रजिस्ट्री अतिप्रभावशाली विधान पार्षद दिनेश सिंह (Dinesh Singh) एवं सांसद वीणा देवी (Veena Devi) के पुत्र शुभम सिंह, गन्नीपुर के शक्ति स्वरूप शर्मा उर्फ उधो तथा 21 जुलाई 2023 को मौत की नींद सुला दिये गये काजी मोहम्म्दपुर थाना क्षेत्र के आमगोला निवासी आशुतोष शाही के नाम हुई. शुभम सिंह मधुर ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के डाइरेक्टर हैं. इनके हिस्से की रजिस्ट्री इसी कंपनी के नाम से हुई है. किसके हिस्से में कितनी जमीन गयी, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
छह लोग हैं आरोपित
वैसे, चर्चा है कि दिवंगत आशुतोष शाही के हिस्से में दो कट्ठा जमीन थी, जिस पर सारण जिले के परसा थाना क्षेत्र के बहलोलपुर निवासी कुख्यात मंटू शर्मा उर्फ प्रद्युम्न शर्मा ने नजर गड़ा रखी थी. आशुतोष शाही की विधवा दीपांदिता (Deepandita) ने इसकी चर्चा प्राथमिकी में की है.आशुतोष शाही हत्याकांड में मंटू शर्मा और वैशाली (Vaishali) जिले के लालगंज थाना क्षेत्र के जलालपुर गांव निवासी विक्रांत शुक्ला उर्फ विक्कू शुक्ला समेत छह लोगों को आरोपित किया गया है. उनमें अधिवक्ता कासिम हुसैन उर्फ डॉलर साहब भी हैं, जिनके घर में आशुतोष शाही और उनके दो अंगरक्षकों की हत्या हुई थी. मंटू शर्मा और विक्रांत शुक्ला उर्फ विक्कू शुक्ला से आशुतोष शाही का पंगा बेला थाना क्षेत्र की नंद विहार कालोनी के एक भूखंड को लेकर भी फंसा हुआ था. प्राथमिकी में उसकी भी चर्चा है.
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