फर्क तो पड़ गया है जी, नया हिस्सेदार खड़ा हो गया है
विशेष प्रतिनिधि
27 जुलाई 2023
Patna: याद कीजिए. बहुत पहले टेलीविजन (Television) पर एक विज्ञापन आता था. इसमें एक आदमी बिना हेलमेट के टू व्हीलर की सवारी करता था. हेलमेट (Helmet) नहीं पहनने को लेकर टोकने पर कहा-कोई फर्क नहीं पड़ता है जी. अगला दृश्य यह है कि एक्सीडेंट (Accident) में वह आदमी मर जाता है. फ्रेम में लगे फोटो से आवाज आती है-फरक तो पड़ता है जी. बिहार (Bihar) में सरकारी दलों के फेरबदल के समय भी यही कहा गया कि कोई फर्क नहीं पड़ेगा. सुशासन बाबू के राज में सब पहले की तरह चलेगा.
रिश्वत की रकम
सरकार से जुड़े समझदार लोग अब बता रहे हैं कि फरक पड़ गया. रिश्वत की रकम (Bribe Amount) पहले की तुलना में बढ़ गयी. क्योंकि एक नया हिस्सेदार पैदा हो गया . कोई मंत्री अपने हिस्से की रकम में से किसी को देगा नहीं. नये हिस्सेदार के लिए वह बढ़े हुए दर पर रकम की मांग करता है. पुरानी वाली सरकार में ऐसा नहीं था. दोनों फरीक के मंत्री अपना हिस्सा लेते थे. उसीमें से पार्टी फंड में दान दे देते थे. हां, कुछ नेताओं को पर्वी-त्योहारी के रूप में अलग से रकम दे दी जाती थी. पार्टी के फंक्शन के लिए धन देना रिश्वत की श्रेणी में कभी नहीं रहा है.
ये भी पढें :
मेरी भी अब कोई व्यक्तिगत इच्छा नहीं रही
आदित्य सचदेवा प्रकरण: नीतीश कुमार के लिए अग्निपरीक्षा!
राजनीति : तब बदल जायेंगे पशुपति कुमार पारस के भगवान !
मुनाफा कम हो गया
सरकार (Government) की मुफ्त वाली योजनाएं रिश्वतखोरी के लिए अधिक मुफीद मानी जाती है. राज्य के बच्चों को सरकार मुफ्त में किताब, जूता, पोशाक और साइकिल देती है. किताब की छपाई में पहले भी रिश्वतखोरी होती थी. अब भी हो रही है. पहले की सरकार में एक हिस्सा मंत्री के पास चला जाता था. बदलाव यह हुआ है कि इसबार भी हिस्से का बंटवारा पुराने पैटर्न पर हुआ है. हां, एक नया हिस्सेदार आ गया है. अधिकारी, मंत्री (Minister) के बाद तीसरे रिश्तेदार के पास भी रकम जा रही है. इससे धंधे में लगे लोगों का मुनाफा कम हो गया है.
वसूली के गुण पर विभाग
यह तो सबको पता है कि कोई भी कारोबारी मुनाफा नहीं छोड़ता है. यहां भी नहीं छोड़ा जा रहा है. तीसरे हिस्सेदार को दी जाने वाली रकम की भरपाई किताब की गुणवत्ता को कमजोर करके की जा रही है. यह हालत सिर्फ एक विभाग का नहीं है. बालू से तेल पहले भी निकाला जाता था. अब भी निकाला जा रहा है. इसमें भी तीसरा हिस्सेदार आ गया है. मंत्रियों को भी क्यों दोष दीजिएगा. इनमें से ज्यादा ऐसे ही हैं, जिन्हें वसूली के गुण पर विभाग दिया गया है. हम-आप में से कोई भी इस धंधे में रहेंगे तो देना ही होगा. रिश्वत की रकम न लगे तो लोकतंत्र (Democracy) बहुत कमजोर हो जाता है.
#tapmanlive