भारी कौन…एनडीए या महागठबंधन?
अविनाश चन्द्र मिश्र
26 मई 2024
बिहार के अधिकतर संसदीय क्षेत्रों के मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग कर लिया है. उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम (EVM) में बंद हो गयी है. ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों के मतदान के रूझानों को लेकर एनडीए और महागठबंधन के अपने-अपने दावे हैं. व्यक्तिगत बातचीत में एनडीए (NDA) के नेता मानते हैं कि तीन-चार सीटों पर संभावना कमजोर है. बाकी पर उनकी जीत पक्की है. महागबंधन के नेता ऐसे किसी प्रतिष्ठामूलक दावे से अपने को मुक्त रख कर बिहार (Bihar) में एनडीए को धूल चटाने की बात करते हैं. कुछ नेता ऐसे भी हैं जो दावा करते हैं कि चार-पांच सीटों को छोड़ सभी पर महागठबंधन के उम्मीदवार विजयी हो रहे हैं.
पहले जैसा आसान नहीं
इन दावों की हकीकत 04 जून 2024 को सामने आ पायेगी जब मतों की गिनती की जायेगी. पर, एनडीए हो या महागठबंधन, दोनों अनौपचारिक बातचीत में साफ-साफ कुछ कहने से बच रहे हैं. दोनों गठबंधनों के नेता मानते हैं कि किसी लहर के न होने के कारण मतदाताओं के मानस को खोल पाना पहले की तरह आसान नहीं है. 2019 की तरह यह काफी कठिन हो गया है. पटना (Patna) के राजनीतिक गलियारे और संवाद जगत में भी छह चरणों के मतदान हो जाने के बावजूद तस्वीर साफ नहीं हो पायी है. सत्ता राजनीति (Politics) का ऊंट किस करवट बैठ रहा है, इसका अनुमान लगा पाना कठिन ही बना हुआ है.
शायद ही दोहरा पायेगा
पर, यह तो मान लिया गया है और सुदूर इलाकों से ऐसा संकेत भी मिल रहा है कि बिहार (Bihar) में एनडीए अपना पिछला रिकार्ड शायद ही दोहरा पायेगा. पिछले चुनाव में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का जदयू एनडीए का हिस्सा था. भाजपा, जदयू और लोजपा ने 40 में से 39 सीटें झटक ली थी. इनमें भाजपा को 17, जदयू को 16 और लोजपा को छह सीटें मिली थीं. महागठबंधन के खाते में एक सीट गयी थी. पर, जदयू के एनडीए में रहने के बाद भी वह राजनीतिक परिदृश्य अब बदल गया है. उसके लिए अपनी सीटों को बचाये रखना बड़ी चुनौती है.
कमजोर दिख रही पकड़
19 अप्रैल 2024 को प्रथम चरण में औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई संसदीय क्षेत्रों में मतदान हुआ. इन सभी क्षेत्रों पर एनडीए काबिज है. इनमें दो में उसकी पकड़ कमजोर दिख रही है. सत्ता विरोधी रूझान तो अपनी जगह है ही, औरंगाबाद और नवादा में अगड़ा पिछड़ा की भावना भी भड़काने की कोशिश की गयी. ‘मोदी की गारंटी’ का अंदरूनी प्रभाव पड़ा हो तो बात दूसरी होगी अन्यथा इन दोनों को एनडीए की मुट्ठी से फिसला हुआ माना जा सकता है. औरंगाबाद से सुशील कुमार सिंह (Sushil Kumar Singh) और नवादा से विवेक ठाकुर (Vivek Thakur) भाजपा के उम्मीदवार हैं. गया और जमुई में भी मुकाबला कांटे का है. गया में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Jitanram Manjhi) जूझ रहे हैं तो जमुई में चिराग पासवान (Chirag Paswan) की प्रतिष्ठा दांव पर है. वहां उनके बहनोई अरुण भारती (Arun Bharti) को कड़ी चुनौती मिल रही है.
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तीन पर संभावना क्षीण
दूसरे चरण की पांच सीटों में तीन पर एनडीए की संभावना क्षीण है. इस चरण में 26 अप्रैल 2024 को बांका, भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया और किशनगंज में मतदान हुआ. किशनगंज (Kishanganj) को छोड़ सभी एनडीए के खाते की सीटें हैं. किशनगंज पर कांग्रेस (Congress) काबिज है. माना जा रहा है कि इनमें कटिहार से एनडीए को हाथ धोना पड़ जा सकता है. वहां कांग्रेस के तारिक अनवर (Tarik Anwar) का सितारा बुलंद दिख रहा है. किशनगंज अपरिवर्तित रह सकता है. पूर्णिया में पप्पू यादव (Pappu Yadav) का शोर ज्यादा है, पर हकीकत कुछ और है. वैसे, पप्पू यादव के लिए शोर से ही सुकून निकल जाये तो वह अलग बात होगी.
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