दरभंगा एम्स : चयन नदी सरीखी जमीन का, चौंक गयी राजनीति!
विजयशंकर पांडेय
01 दिसम्बर 2024
Darbhanga : दरभंगा एम्स (AIIMS) के मामले में एक कहानी यह भी जुड़ी. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पलटी मार लेने से अस्तित्व में आयी महागठबंधन (grand alliance) की सरकार में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) को स्वास्थ्य विभाग (health department) मिला, तो राजद (RJD) अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad) के खासमखास पूर्व विधायक भोला यादव (Bhola Yadav) दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (Darbhanga Medical College and Hospital) परिसर की जगह 40 वर्षों से बंद अशोक पेपर मिल (Ashoka Paper Mill) परिसर में एम्स के निर्माण की बातें करने लगेे. बातचीत का अंदाज ऐसा कि स्वास्थ्य मंत्री वही हों. जो हो, आम समझ में एम्स के निर्माण में रोड़ा अटका रहे नीतीश कुमार को इस रूप में राजद का साथ मिलने से अतिरिक्त बल मिल गया. भोला यादव का स्वार्थ क्या था, किसके इशारे और किस आधार पर उन्होंने उक्त बातें कही, यह जन सामान्य की समझ में नहीं आयी.
हैरान रह गये लोग
कारण जो रहा हो, दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर हायाघाट (Hayaghat) में 300 एकड़ के बड़े परिसर वाली अशोक पेपर मिल की जमीन पर बात नहीं बन पायी. पर, भोला यादव की अशोक पेपर मिल परिसर में एम्स के निर्माण संबंधित बातों से मिथिलांचल (mithilanchal) ही नहीं, संपूर्ण बिहार (Bihar) के लोग हैरान रह गये. हर दिमाग को यह सवाल मथने लगा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सहमति- स्वीकृति के बाद जब बिहार सरकार ने दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल परिसर में 81 एकड़ 09 डिसमिल जमीन आवंटित कर दी, शिलान्यास और निर्माण की प्रक्रिया शुरू होती, तो फिर दूसरी जमीन की तलाश क्यों की जाने लगी?
आनन-फानन में निर्णय
ऐसे ही उमड़ते-घुमड़ते सवालों के बीच मकर संक्रांति से दो दिन पूर्व 12 जनवरी 2023 को ‘समाधान यात्रा’ के क्रम में नीतीश कुमार दरभंगा पहुंचे. उसी दरम्यान एम्स की बाबत नयी जमीन की चर्चा हुई और मात्र सात दिन पहले पदभार ग्रहण करने वाले जिलाधिकारी राजीव रौशन (Rajeev Roshan) आनन-फानन में उन्हें शोभन- एकमी बायपास (Shobhan- Ekmi Bypass) पर ले गये. मुख्यमंत्री ने ‘छोटी-मोटी नदी’ सरीखी जमीन देखी और उसकी व्यावहारिकता, उपयोगिता व प्रासंगिकता को गहराई से समझे-परखे बिना सहमति प्रदान कर दी. अनायास हुए इस ‘चयन’ ने सबको चौंका दिया. वैसे, ऐसा अनायास हुआ या स्थानीय स्तर की किसी बड़़ी राजनीतिक ताकत ने जिलाधिकारी के जरिये सुनियोजित तरीके से कराया, इसे भी एक रहस्य माना गया .
सवाल यह भी है
एम्स शोभन-एकमी बायपास रोड में तो खुलेगा, पर दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर में उसके नहीं खुलने का वास्तविक कारण क्या है? राज्य सरकार की ओर से जो बताया गया वही सच है या इसके पीछे कुछ और खेल हुआ है? बातें कई तरह की होती हैं. कुछ लोगों का कहना है कि दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पताल के इर्दगिर्द फैले निजी चिकित्सा तंत्र को लाभ पहुंचाने के ख्याल से ऐसा निर्णय लिया गया है. तर्क यह कि एम्स के तीन किलोमीटर के दायरे में निजी चिकित्सा तंत्र का वजूद वर्जित है. स्पष्ट है, एम्स बनता तो तीन किलोमीटर के दायरे के निजी चिकित्सा तंत्र को अपना कारोबार समेट लेना पड़ता. कहते हैं उस तंत्र को बनाये रखने के लिए एम्स को शोभन-एकमी बायपास रोड में ले जाया गया. यहां समझने वाली बात है कि जिस किसी ने इस तंत्र के हित का ख्याल रखा उसके हित में भी उसने कुछ न कुछ तो किया ही होगा!
इतनी भी जानकारी नहीं!
स्थल बदलाव की बाबत सत्ता पक्ष का कहना रहा कि ऐसा शहर में यातायात की समस्या के गहरा जाने की आशंका और जरूरत लायक जमीन की अनुपलब्धता के मद्देनजर किया गया. सवाल उठा कि यदि ऐसा है, तो नीतीश कुमार जब दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल परिसर को एम्स के लिए सर्वाधिक उपयुक्त जगह बता रहे थे, उस वक्त उन्हें इतनी भी जानकारी नहीं थी? भूमि हस्तांतरण के वक्त भी सभी इन तथ्यों से अनभिज्ञ थे या फिर ‘राजशाही जिद’ के आगे मुंह नहीं खोल पाये? बेनीपुर के विधायक विनय कुमार चौधरी (Vinay Kumar Chaudhary) जदयू के प्रदेश प्रवक्ता हैं. शोभन पर सवाल उठा तब सबूत दिखाने लगे कि दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के पास एम्स के निर्माण के लायक अपेक्षित जमीन ही नहीं है.
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तब मुंह क्यों नहीं खुला?
हो सकता है सच यही हो, पर इस मुद्दे पर उन्होंने उस वक्त मुंह में दही क्यों जमा रखा था जब नीतीश कुमार की जिद के तहत भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी की जा रही थी? इस बारे में भाजपा (BJP) के नेताओं का कुछ और ही मानना रहा. तत्कालीन केन्द्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे (Ashwini Choubey) और दरभंगा के भाजपा सांसद गोपालजी ठाकुर (Gopalji Thakur) ने आरोप मढ़ा कि ऐसा इस कूट-चाल के तहत किया गया कि एम्स के निर्माण का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) को नहीं मिले. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तर्क रखा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल परिसर की जमीन पसंद नहीं आयी इसलिए दूसरी जमीन की तलाश की गयी.
ऐसा जानबूझ कर किया
नीतीश कुमार के इस कथन में सत्यता कितनी थी, संबंधित तथ्यों को पढ़ने-गुनने से खुद-ब-खुद समझ में आ जा सकती है. भाजपा सांसद गोपालजी ठाकुर ने तब कहा था कि 2024 के संसदीय चुनाव से पहले एम्स का शिलान्यास रोकने के ख्याल से नीतीश कुमार ने ऐसा जान-बूझकर किया. उन्होंने इसके और भी कारण गिनाये. मेडिकल माफिया और अतिक्रमणकारियों की हितरक्षा का आरोप लगाया. मेडिकल माफिया को निजी अस्पतालों के संचालकों और नकली दवा के कारोबारियों के रूप में व्याख्यायित किया. अतिक्रमण से उनका मतलब दरभंगा मेडिेकल कालेज एवं अस्पताल परिसर की उस 73 एकड़ जमीन से है, जो अस्पताल प्रशासन के नियंत्रण से बाहर है.
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