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समस्तीपुर : मुश्किल में पड़ जायेंगे तब अख्तरूल इस्लाम

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प्रवीण कुमार सिन्हा
20 जून, 2022

SAMASTIPUR : बिहार सरकार ने नगर निकायों के प्रमुखों यथा महापौर-उपमहापौर, सभापति-उपसभापति और अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव का अधिकार सीधे मतदाताओं को सौंपकर, इन पदों की ‘खरीद-फरोख्त’ की ‘परिपाटी’ कोे एक झटके में खत्म कर दिया है. ऐसा इस राज्य (State) में पहली बार हो रहा है इसलिए इसे ऐतिहासिक माना जा रहा है. इन पदों के लिए चयन अब तक स्थानीय निकायों के निर्वाचित जनप्रतिनिधि करते थे. कथित रूप से इसमें धन-बल एवं बाहुबल का खुला खेल होता था. परिणामस्वरूप तिकड़मों के सहारे निर्वाचित पदधारी सीधे तौर पर जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होते थे, आम लोगों से सीधा संवाद कायम नहीं हो पाता था. तत्संबंधी कानून में संशोधन के बाद अब इनका चयन खुद जनता करेगी. इससे निर्वाचित पदधारी का जनता से जमीनी जुड़ाव होगा और उसके प्रति वह जवाबदेह भी होंगे.


नगर निकायों के चुनावों की तारीख की घोषणा अभी नहीं हुई है. इसके बावजूद नवगठित समस्तीपुर नगर निगम के चुनाव की सरगर्मी बनी हुई है. महापौर एवं उपमहापौर के पदों पर काबिज होने के लिए नयी पीढ़ी के दावेदारों में कुछ अधिक उत्साह दिख रहा है. कतिपय पुराने अखाड़िये तो बाना भांज ही रहे हैं. महापौर का पद सामान्य के लिए रहेगा या किसी वर्ग विशेष के लिए सुरक्षित हो जायेगा, यह अभी अस्पष्ट है.


पंचायतीराज में भी लागू हो
सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि नगर निकायों को उठापटक की राजनीति से त्राण मिल जायेगा. इससे विकास के कार्यों को गति मिलेगी. उजियारपुर (Ujiyarpur) संसदीय क्षेत्र से राजग (NDA) केे उम्मीदवार रहे अनंत कुशवाहा (Anant Kushwaha) का सुझाव है कि सरकार नगर निकायों के पदधारियों के चुनाव की नयी प्रक्रिया को त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के चुनावों में भी अपनाये. यानी जिला परिषद के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख एवं उपप्रमुख के चुनाव भी खुद जनता करे. जिला पार्षदों और पंचायत समिति सदस्यों का यह अधिकार सरकार निरस्त कर दे. जनता की सीधी भागीदारी से स्वच्छ छवि के जनप्रतिनिधि चुनकर आयेंगे जो सरकारी योजनाओं को पूरी ईमानदारी से धरातल पर उतार, क्षेत्र के विकास के लिए कारगर प्रयास करेंगे. इससे भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा.

नयी पीढ़ी में अधिक उत्साह
नगर निकायों के चुनावों की तारीख की घोषणा अभी नहीं हुई है. इसके बावजूद नवगठित समस्तीपुर नगर निगम (Samastipur Nagar Nigam) के चुनाव की सरगर्मी बनी हुई है. महापौर एवं उपमहापौर के पदों पर काबिज होने के लिए नयी पीढ़ी के दावेदारों में कुछ अधिक उत्साह दिख रहा है. कतिपय पुराने अखाड़िये तो बाना भांज ही रहे हैं. महापौर का पद सामान्य के लिए रहेगा या किसी वर्ग विशेष के लिए सुरक्षित हो जायेगा, यह अभी अस्पष्ट है. इसके बावजूद इस पद के लिए संभावित उम्मीदवार के तौर पर कई नाम चर्चा में हैं. उनमें गुदरी बाजार निवासी तारकेश्वर नाथ गुप्ता (Tarkeshwar Nath Gupta) भी हैं जो समस्तीपुर नगर निगम के अस्तित्व में आने से पहले समस्तीपुर नगर परिषद के अध्यक्ष थे, अंतिम अध्यक्ष. तारकेश्वर नाथ गुप्ता का दावा है कि उनके कार्यकाल में समस्तीपुर शहर का काफी विकास हुआ. हालांकि, उनका ज्यादा समय अध्यक्ष का पद बचाये रखने में ही बीता, विकास के कार्य के लिए समय बहुत कम मिला. उनके खिलाफ कई बार अविश्वास प्रस्ताव आये. कई तरह के आरोप लगे.


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बचाते रहे अध्यक्ष की कुर्सी
उन तमाम आरोपों को झूठा साबित कर अपनी प्रबंधन क्षमता के बल पर वह अविश्वास प्रस्ताव को हर बार औंधे मुंह गिराते रहे. जोड़-तोड़ से अध्यक्ष की कुर्सी बचाते रहे. इसमें उन्हें कथित रूप से समस्तीपुर के राजद विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन (Akhtarul Islam Shahin) का सहयोग मिला. राजद से जुड़े तारकेश्वर नाथ गुप्ता विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन के बहुत ही करीबी माने जाते हैं. राजद (RJD) विधायक के छोटे भाई हैं रजिउल इस्लाम रिज्जू (Rajiul Islam Rijju). चर्चा है कि महापौर पद के चुनाव में भागीदारी निभाने का इरादा उनका भी है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर अब तक ऐसी कोई बात नहीं कही गयी है. तब भी यदि रजिउल इस्लाम रिज्जू मैदान में उतरते हैं तो तारकेश्वर नाथ गुप्ता को लेकर अख्तरुल इस्लाम शाहीन के समक्ष धर्मसंकट की स्थिति पैदा हो जा सकती है.

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