हो ही गया पालाबदल का बड़ा राजनीतिक खेल
अशोक कुमार
29 जून, 2022
PURNEA : यह फिर स्थापित हुआ कि सीमांचल (Simanchal) में जिस तरह नदियों से कटाव का खतरा बराबर बना रहता है, उसी तरह ‘प्रवासी राजनीतिक पार्टियों’ में बिखराव का बड़ा खतरा आकार लिये रहता है. इतिहास गवाह है कि इस अंचल (Anchal) में जिस ‘अप्रवासी राजनीतिक पार्टियों’ ने हाशिये पर पड़े स्थानीय नेताओं को अपने कंधे पर बैठा सदन में पहुंचाया, देर-सबेर उनसे उन्हें ‘विश्वासघात’ ही झेलना पड़ा. दिवंगत पूर्व केन्द्रीय मंत्री तसलीम उद्दीन (Taslim Uddin) रहे हों, फिर गोपाल कुमार अग्रवाल (Gopal Kumar Agrawal), समाजवादी पार्टी (Samajvadi Party) ने सहारा दिया, विधायक बने. पर, ज्यादा दिनों तक साथ नहीं निभाया.
सच साबित हुई tapmanlive.com की भविष्यवाणी
तसलीम उद्दीन अपने कुनबे के साथ लालू प्रसाद (Lalu Prasad) से जा मिले तो गोपाल कुमार अग्रवाल जदयू (JDU) से जुड़ गये. इस बार ‘धोखा’ एआईएमआईएम (AIMIM) ने खाया. इस पार्टी के चार विधायकों – अंजार नईमी, शाहनवाज आलम, रूकनुद्दीन अहमद और इजहार अस्फी ने पालाबदल खुद को राजद से जोड़ लिया. इससे एआईएमआईएम के बिहार (Bihar) प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान (Akhtarul Iman) की दबंगता तो धरी रह ही गयी, झटका पार्टी सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Ovaisi) को भी लगा.
अख्तरूल ईमान को यह सोचने के लिए विवश होना पड़ा कि पार्टी के पुराने समर्पित नेताओं-कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर जिन बाहरी लोगों को उम्मीदवार बनवाया, जीत दिलवायी, वे सब राजनीति में नफा-नुकसान तलाशनेवाले मौकापरस्त ‘कारोबारी’ थे. वैसे, अख्तरूल ईमान का कहना रहा कि इन ‘मीरजाफरों’ (Mirzafaron) के पालाबदल का न तो उन पर कोई असर पड़ा है और न पार्टी सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी पर. उनका कहना रहा कि एआईएमआईएम के टिकट पर विधानसभा पहुंचे चारो विधायकों ने ऐसे समय में जनता के साथ विश्वासघात किया जब सीमांचल (Simanchal) बाढ़ और कटाव की भीषण त्रासदी झेल रहा है.
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