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मोकामा : ललन सिंह की खामोशी का अर्थ क्या?

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राहुल कुमार सिंह
04 जुलाई, 2022

MOKAMA (Patna) : नगर परिषद के अध्यक्ष पद के चुनाव में सर्वाधिक दिलचस्प भूमिका जदयू (Jdu) नेता नलिनी रंजन शर्मा उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) की हो सकती है. वैसे, अभी उन्होंने खामोशी की चादर ओढ़ रखी है. उनकी इस खामोशी ने भी कई लोगों को बेचैन कर रखा है. हालांकि, चर्चा है कि अध्यक्ष का पद सामान्य के लिए रहा तो ललन सिंह के भाई राजेश कुमार (Rajesh Kumar) चुनावी अखाड़े में कूद सकते हैं. पर, ललन सिंह इससे इत्तेफाक नहीं रखते. उनका कहना रहा कि ऐसा कुछ नहीं है. इस चुनाव का वह नजारा देखेंगे और मजा लेंगे.

बंटू सिंह भी हैं चुप
जेल में बंद मोकामा के सजायाफ्ता राजद विधायक अनंत सिंह (Anant Singh) के ‘हनुमान’ हैं बंटू सिंह (Bantu Singh). चुनाव के मामले में वह भी फिलहाल मुंह नहीं खोल रहे हैं. इंतजार करने को कह रहे हैं. चुनाव (Election) में अनंत सिंह के प्रभुत्व का असर पड़ेगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. मोकामा नगर परिषद (Mokama Nagar Parishad) के अध्यक्ष पद पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लगातार दस वर्षों से काबिज कृष्णवल्लभ उर्फ टुन्ना सिंह (Tunna Singh) भी अपनी सत्ता को पन्द्रह वर्षीय विस्तार देने की जुगत भिड़ा रहे हैं. कृष्णवल्लभ उर्फ टुन्ना सिंह ने 2012 में अपनी पत्नी रेणु देवी (Renu Devi) को अध्यक्ष निर्वाचित कराया था. तब यह पद महिला के लिए सुरक्षित था.


जदयू नेता नलिनी रंजन शर्मा उर्फ ललन सिंह की हो सकती है. वैसे, अभी उन्होंने खामोशी की चादर ओढ़ रखी है. उनकी इस खामोशी ने भी कई लोगों को बेचैन कर रखा है. हालांकि, चर्चा है कि अध्यक्ष का पद सामान्य के लिए रहा तो ललन सिंह के भाई राजेश कुमार  चुनावी अखाड़े में कूद सकते हैं.


राजू सिंह की भी थी कभी धमक
2017 में आरक्षण मुक्त हुआ, कृष्णवल्लभ उर्फ टुन्ना सिंह खुद काबिज हो गये. स्थानीय लोगों की मानें, तो धनबल और बाहुबल, दोनों इनके पास है. एक समय इनके भाई राजू सिंह (Raju Singh) की खूब धमक थी. पेशे से इंजीनियर राजू सिंह के गिरोह का मोकामा (Mokama) और आसपास के इलाकों में आतंक कायम था. अपराध जगत के सूत्रों के मुताबिक जेल में बंद कुख्यात नागा सिंह (Naga Singh) ने अपराध का ककहरा इसी राजू सिंह के ‘विद्यालय’ में सीखा था. बाद के दिनों में राजू सिंह ने नागा सिंह के दोस्त पोचू सिंह (Pochu Singh) की हत्या करवा दी.

टुन्ना सिंह भी नहीं हैं किसी से कम
नागा सिंह ने बगावत कर दी. राजीव गोप (Rajiv Gop) के साथ राजू सिंह गिरोह से अलग हो गया. सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) से हाथ मिला राजू सिंह उसके पूरे गिरोह का सफाया कर दिया. राजू सिंह की सूरजभान सिंह से जानी दुश्मनी थी. उस वारदात में राजू सिंह (Raju Singh) समेत छह लोग एक साथ मारे गये थे. कृष्णवल्लभ उर्फ टुन्ना सिंह भी किसी से कम नहीं हैं. हर तरह से सामना करने में सक्षम-समर्थ बताये जाते हैं.


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बाहुबलियों की रही है बड़ी भूमिका
इतिहास बताता है कि मोकामा नगर परिषद के अध्यक्ष पद के चुनाव में बाहुबलियों की बड़ी खतरनाक भूमिका रही है. नगर निकायों के नये स्वरूप वाले 2002 के प्रथम चुनाव में यह पद अनुसूचित जाति (महिला) के लिए सुरक्षित था. उस चुनाव में नागा सिंह ने ललन सिंह के मंसूबों को ध्वस्त कर रेखा देवी को अध्यक्ष एवं अपनी मां निर्मला देवी (Nirmala Devi) को उपाध्यक्ष निर्वाचित करा दिया. 2007 के चुनाव में नागा सिंह कमजोर पड़ गया. उस वक्त सूरजभान सिंह के खास रहे नलिनी रंजन शर्मा उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) ने अपने परिवार की बबीता देवी (Babita Devi) को अध्यक्ष बनवा दिया. तब यह पद सामान्य (महिला) के लिए सुरक्षित था.

बढ़ी हुई हैं धड़कनें
2012 में बाहुबल का जोर लगभग थम गया. नेपथ्य में बाहुबल और प्रत्यक्ष में धनबल के सहारे कृष्णवल्लभ उर्फ टुन्ना सिंह की पत्नी रेणु देवी (Renu Devi) अध्यक्ष बन गयीं. 2017 में टुन्ना सिंह खुद काबिज हो गये. इस बार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन सीधे जनता करेगी. इससे उक्त तमाम दावेदारों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं.

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