मधुबनी के जगदीश नंदन महाविद्यालय में व्याख्यानमाला
संवाददाता
29 जुलाई 2022
MADHUBANI : ‘ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (Lalit Narayan Mithila University) की स्थापना एवं स्वर्ण जयंती वर्ष तक का सफर’ विषय पर मधुबनी के जगदीश नंदन महाविद्यालय (Jagdish Nandan College) में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. व्याख्यानमाला शृंखला के प्रथम दिन शुक्रवार (Friday) को आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इसी महाविद्यालय के अंग्रेजी के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. चन्द्रशेखर झा आजाद (Dr. Chandrashekhar Jha Azad) थे. अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डा. लक्ष्मीकांत मिश्र (Dr. Laxmikant Mishra) ने की. डा. चन्द्रशेखर झा आजाद का कहना रहा कि विश्व (World) का सबसे पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला (भारत) है. इसकी स्थापना 27 सौ वर्ष पूर्व हुई थी. वहां विश्व के 10 हजार 500 से अधिक छात्र अध्ययन करते थे.
बहुविषयक आधुनिक विश्वविद्यालय
कोलकाता विश्वविद्यालय (Kolkata University) की स्थापना 24 जनवरी 1857 को हुई थी. यह दक्षिण एशिया का पहला बहुविषयक आधुनिक विश्वविद्यालय था. उसके बाद 1857 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) की स्थापना हुई. यह भारत (India) के चौथे सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. बिहार (Bihar) में पटना विश्वविद्यालय (Patna University) सबसे पुराना है. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की स्थापना 05 अगस्त 1972 को हुई. प्रधानाचार्य डा. लक्ष्मीकांत मिश्र (Laxmikiant Mishra) ने कहा कि मिथिला विश्वविद्यालय में प्रारंभ से ही इंटर (Intermediate) से लेकर स्नातकोत्तर (Graduate) तक की पढ़ाई हो रही है. इस बीच कई रोजगारपरक शिक्षा की भी शुरुआत हुई.
डब्ल्यूआईटी की स्थापना
विश्वविद्यालय एवं इसके अंगीभूत महाविद्यालयों में एमबीए (MBA), बीबीए (BBA), बीसीए (BCA), एमसीए (MCA), बायो टेक्नोलॉजी (Bio Technology), शिक्षा शास्त्र (B.Ed.) आदि अनेक विषयों की पढ़ाई प्रारंभ हुई. तकनीकी शिक्षा के अंतर्गत छात्राओं के लिए डब्ल्यू आई टी (WIT) की स्थापना की गयी. इस कार्यक्रम में राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष (Head of Department) डा. अनिल कुमार चौधरी, डा. अरुण कुमार ठाकुर, डा. हेमचन्द्र कुमार, डा. संगीता कुमारी साह, डा. उमाकांत पासवान, डा. अरशद खान, डा. रचना शालिनी, डा. अब्दुल गनी, डा. सुप्रिया कुमारी, हरेकृष्ण झा हरि, डा. रिंकी कुमारी, वरुण कुमार प्रभात आदि के व्याख्यान हुए. मंच संचालन डा. अरुण कुमार ठाकुर और धन्यवाद ज्ञापन डा. अनिल कुमार चौधरी ने किया.
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