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छपरा का राखी गुप्ता प्रकरण : ‘आ बैल मुझे मार’!

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राजेश पाठक
05 मार्च, 2023

CHAPRA : ‘सिर मुड़ाते ओले पड़े.’ काफी चर्चित मुहावरा है. सामान्य बोलचाल में आमलोग भी इस मुहावरे का बेधड़क इस्तेमाल करते हैं. इसका अर्थ है काम शुरू करते ही व्यवधान खड़ा हो जाना. छपरा नगर निगम (Chapra Nagar Nigam) की बहुचर्चित महापौर राखी गुप्ता (Rakhi Gupta) पर यह मुहावरा बिल्कुल सटीक बैठ रहा है. बड़े ख्वाब लिये नवम्बर 2022 में महापौर का पद संभालने वाली राखी गुप्ता अपने इस नये दायित्व को समझ ही रही थी कि कुर्सी के नीचे से जमीन खिसकने लगी. पद छिन जाने का खतरा गहराने लगा. बात यहां तक की जाने लगी है कि राखी गुप्ता और उनके पति वरुण प्रकाश (Varun Prakash) लाख जतन कर लें, यह खतरा शायद ही टल पायेगा. चालाकी कहें या नासमझी या फिर धन की बदौलत असंभव को संभव बना देने का गुरुर, कानून को ठेंगा दिखाने की करतूत ही अब उनके गले की फांस बन गयी है. दिलचस्प बात यह कि ऐसी विकट स्थिति अपने ही पुत्र को संतान नहीं मानने के कारण पैदा हुई है. राखी गुप्ता पुत्र को अपनी संतान मान लेतीं, तो महापौर (Mayor) का पद भले हासिल नहीं होता, समाज में ऐसी फजीहत नहीं झेलनी पड़ती. विश्लेषकों का मानना है कि जान बूझकर मुसीबत मोल ले वह ‘आ बैल मुझे मार’ लोकोक्ति को चरितार्थ कर रही हैं. मामला तीन संतान रहते महापौर पद का चुनाव लड़ने और जीतने से जुड़ा है.

जेठानी और देवरानी में है प्रतिद्वंद्विता
पहले परिचय जान लें. छपरा नगर निगम की 42 वर्षीया महापौर राखी गुप्ता के 40 वर्षीय पति वरुण प्रकाश छपरा के सरकारी बाजार (आजाद रोड) के रहने वाले हैं. उनके पिता श्रीप्रकाश सर्राफ (Sriprakash Sarraf) शहर के बड़े व्यवसायी थे. श्रीप्रकाश ऑर्नामेंट्स के नाम से स्वर्णाभूषण का अच्छा खासा विश्वसनीय व्यवसाय था. व्यवसाय अब भी है, लेकिन दो भागों में विभक्त है. स्वर्गीय श्रीप्रकाश सर्राफ के दो पुत्र हैं. वरुण प्रकाश और अरुण प्रकाश. दुनिया की जो रीति है उसी के अनुरूप श्रीप्रकाश ऑर्नामेंट्स भी विभाजित है. अरुण प्रकाश (Arun Prakash) की पत्नी हैं चांदनी प्रकाश (Chandani Prakash). वह भी पढ़ी-लिखी इंजीनियर हैं. राखी गुप्ता की तरह सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ी हैं. तदनुरूप सक्रियता बनाये रखती हैं. इस मामले में भाइयों के आपसी संबंध जो हों, जेठानी और देवरानी के बीच अघोषित प्रतिद्वंद्विता दिखती रहती है. महाशिवरात्रि महोत्सव इसका ताजा उदाहरण है. कटरा नेवाजी टोला में है मनोकामना मंदिर. उसके प्रबंधन ने महापौर राखी गुप्ता को मुख्य अतिथि बना दिया तो छत्रधारी बाजार स्थित रामजानकी मंदिर ने चांदनी प्रकाश को अध्यक्ष का पद ही सौंप दिया. शहर के लोग ‘तीन संतान विवाद’ को इस प्रतिद्वंद्विता से भी जोड़कर देखते हैं. कनफुसकियों में ये बातें भी हैं कि राखी गुप्ता का महापौर का पद चांदनी प्रकाश को नहीं पच पा रहा है. सच क्या है, यह नहीं कहा जा सकता.

पुत्र को डाल दिया मौसी की गोद में
वरुण प्रकाश और राखी गुप्ता की दो पुत्रियां -13 वर्षीया श्रीयांशी प्रकाश (Shreyanshi Prakash) एवं 9 वर्षीया शिवांशी प्रकाश (Shivanshi Prakash) एवं एक पुत्र 6 वर्षीय श्रीश प्रकाश (Shrish Prakash) है. यानी तीन संतान हैं. 4 अप्रैल 2008 से प्रभावी बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 18 में प्रावधान है कि दो से अधिक संतान के माता-पिता नगर निकाय का चुनाव नहीं लड़ सकते. राखी गुप्ता के मामले में इस कानून का उल्लंघन हुआ है, ऐसा प्रतिद्वंद्वियों का आरोप है. वैसे, राखी गुप्ता का कहना है कि उनकी सिर्फ दो पुत्रियां हैं. एक पुत्र भी हुआ था. पैदा होने के कुछ ही माह बाद उन्होंने उसे अपने एक करीबी रिश्तेदार को गोद दे दी. सबूत के तौर पर वह 4 फरवरी 2022 का एक निबंधित गोदनामा प्रस्तुत करती हैं. उसमें कहा गया है कि वरुण प्रकाश (Varun Prakash) ने पुत्र श्रीश प्रकाश को अपनी निःसंतान मौसी उर्मिला शर्मा (Urmila Sharma) को दत्तक पुत्र के तौर पर दे दिया है. 64 वर्षीया उर्मिला शर्मा गोपालगंज (Gopalganj) शहर के पुरानी चौक की रहने वाली हैं. उनके 76 वर्षीय पति ठाकुर प्रसाद (Thakur Prasad) सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं.

नहीं है तब का कोई लिखित प्रमाण
गोदनामा में कहा गया है कि इस दंपत्ति को कोई संतान नहीं थी. दोनों ने श्रीश प्रकाश को गोद लेने की इच्छा प्रकट की. वरुण प्रकाश एवं राखी गुप्ता ने पूर्व में ‘दत्तक’ के तौर पर उन्हें संतान सौंपने का वचन दिया था. 01 सितम्बर 2017 को राखी गुप्ता को तीसरी संतान के रूप में श्रीश प्रकाश का जन्म हुआ. पूर्व के वचन को निभाते हुए 22 जनवरी 2018 को बसंत पंचमी के दिन वरुण प्रकाश एवं राखी गुप्ता ने अपने पुत्र को ठाकुर प्रसाद एवं उर्मिला शर्मा की गोद में डाल दिया. हालांकि, इसका उस वक्त का कोई लिखित प्रमाण नहीं है. इसकी खानापूर्त्ति 04 फरवरी 2022 को तब हुई जब राखी गुप्ता के महापौर पद का चुनाव लड़ने में ‘तीन संतान’ के बाधक बन जाने की बात उठी.

व्यावहारिक नहीं दिखता गोदनामा
वरुण प्रकाश और राखी गुप्ता के तर्क जो हों, परिस्थितिजन्य साक्ष्य इस गोदनामे को खानापूर्त्ति ही बताते हैं. भारतीय समाज में ऐसा बहुत कम उदाहरण होगा कि दो पुत्रियों के बाद पैदा हुए पुत्र को किसी ने दूसरे को गोद दे दिया हो. यहां तो पुत्र की चाहत में पुत्रियों की कतार लग जाती है. ऐसे में वरुण प्रकाश (Varun Prakash) और राखी गुप्ता (Rakhi Gupta) ने सचमुच ऐसी सदाशयता दिखायी है तो सामाजिक स्तर पर दोनों निःसंदेह प्रणम्य हैं. लेकिन, इस गोदनामे में सदाशयता जैसी बात नहीं दिखती है. इसलिए कि ठाकुर प्रसाद 76 साल के और उनकी पत्नी उर्मिला शर्मा 64 साल की हैं. 22 जनवरी 2018 को श्रीश प्रकाश को इन दोनों ने जब गोद ली उस वक्त ठाकुर प्रसाद 71 और उर्मिला शर्मा 59 साल की रही होंगी. इतनी बड़ी उम्र में चार-पांच माह के बच्चे को गोद लेना क्या व्यावहारिक लगता है?


पता नहीं कैसे वरुण प्रकाश और राखी गुप्ता ने इसे प्रकाशित कराया. गौरतलब है कि इसके प्रकाशन से पौने दो माह पूर्व इन्हीं दोनों ने 04 फरवरी 2022 को ‘गोदनामा’ कराया था. उसमें उर्मिला शर्मा और ठाकुर प्रसाद को श्रीश प्रकाश का माता-पिता घोषित कर दिया गया. फिर उक्त समाचार पत्र में वैसी चर्चा क्यों? इस तरह कहा जा सकता है कि ‘फंदा’ खुद वरुण प्रकाश और राखी गुप्ता ने तैयार कर लिया.


प्रतिद्वंद्वियों ने बताया प्रपंच
प्रतिद्वंद्वियों का कहना है कि यह सब दो से अधिक संतान से संबंधित कानून से बचने के लिए राखी गुप्ता और वरुण प्रकाश ने प्रपंच रचा है. छपरा के दहियावां टोला (Dahiyavan Tola) के शत्रुघ्न राय उर्फ नन्हें राय (Shatrughan Ray urf Nanhe Ray) की पत्नी पूर्व महापौर सुनीता देवी (Sunita Devi) ने इस मुद्दे को उठाया है. अक्तूबर 2022 में संपन्न छपरा नगर निगम के महापौर पद के चुनाव में सुनीता देवी भी उम्मीदवार थीं. तीसरे स्थान पर अटक गयी थीं. राखी गुप्ता (Rakhi Gupta) का मुकाबला रफी इकबाल (Rafi Iqbal) से हुआ था. दो से अधिक संतान के मुद्दे पर रफी इकबाल ने मौन धारण कर रखा है. इसकी भी शहर में चर्चा है. राखी गुप्ता की तीन संतान का मुद्दा पहले भी उठा था. नामांकन के वक्त शपथ पत्र में उन्होंने दो संतान रहने की बात कही थी. पुत्रियों की चर्चा की थी, पुत्र की नहीं. प्रतिद्वंद्वियों ने उसी वक्त निर्वाचन पदाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराया था. नगर निकाय चुनाव (Nagar Nikay Election) के निर्वाचन पदाधिकारी उपविकास आयुक्त होते हैं. सुनीता देवी तो मुखर थीं हीं, एक अन्य प्रत्याशी रीना यादव ने भी राखी गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठायी थी. बहरहाल, राज्य निर्वाचन आयोग ने सुनीता देवी के आवेदन को संज्ञान में लिया है. फैसला क्या होता है, यह देखना दिलचस्प होगा.

फंदा’ खुद राखी गुप्ता ने ही तैयार किया!
वैसे, उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि महापौर पद के लिए राखी गुप्ता का नामांकन 22 सितम्बर 2022 को हुआ था. उसके साथ शपथ-पत्र भी था. उसमें उनकी तीसरी संतान का जिक्र नहीं था, निर्वाचन पदाधिकारी के संज्ञान में नहीं आया. अधिवक्ता वीरेन्द्र कुमार (Birendra Kumar) ने 26 सितम्बर 2022 को जब उन्हें शिकायत-पत्र के साथ सबूत सौंपा तो फिर उस पर गौर क्यों नहीं फरमाया गया? अन्य प्रमाणों के अलावा आवेदनकर्त्ता ने एक दैनिक समाचार पत्र (Dainik News Paper) का 27 मार्च 2022 का अंक सबूत के तौर पर पेश किया. उसमें वरुण प्रकाश (Varun Prakash) और उनकी पत्नी राखी गुप्ता (Rakhi Gupta) के सामाजिक कार्यों की उपलब्धियों का वर्णन है. उसी में वरुण प्रकाश का संक्षिप्त जीवन-परिचय है. अन्य बातों के अलावा संतान के तौर पर दोनों पुत्रियों श्रीयांशी प्रकाश एवं शिवांशी प्रकाश तथा पुत्र श्रीश प्रकाश का जिक्र है. पता नहीं कैसे वरुण प्रकाश और राखी गुप्ता ने इसे प्रकाशित कराया. गौरतलब है कि इसके प्रकाशन से पौने दो माह पूर्व इन्हीं दोनों ने 04 फरवरी 2022 को ‘गोदनामा’ (Godnama) कराया था. उसमें उर्मिला शर्मा (Urmila Sharma) और ठाकुर प्रसाद (Thakur Prasad) को श्रीश प्रकाश का माता-पिता घोषित कर दिया गया. फिर उक्त समाचार पत्र में वैसी चर्चा क्यों? इस तरह कहा जा सकता है कि ‘फंदा’ खुद वरुण प्रकाश और राखी गुप्ता ने तैयार कर लिया.

नहीं दिखता बचने का कोई उपाय
यहां गौर करनेवाली बात यह भी है कि बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 18 के संदर्भ में निर्वाचन आयोग (Nirvachan Ayog) की ओर से जो स्पष्टीकरण-निर्देश जारी हुआ था, उसके आलोक में उक्त गोदनामे का कोई महत्व नहीं है, अर्थहीन है. यह स्पष्टीकरण-निर्देश नगर निकायों के चुनाव से पहले 02 सितम्बर 2022 को जारी हुआ था, जो जैविक एवं दत्तक संतान के संदर्भ में था. इसमें राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) के सचिव मुकेश कुमार सिन्हा (Mukesh Kumar Sinha) ने स्पष्ट किया था कि दो से अधिक संतान के निर्धारण का आधार जैविक माता-पिता ही होगा. यानी जिसने जन्म दिया वही माता-पिता. इसमें दत्तक संतान की मान्यता नहीं होगी. बताया जाता है कि राज्य निर्वाचन आयोग को इस आशय का स्पष्टीकरण-निर्देश इसलिए जारी करना पड़ा कि 2012 और 2017 के नगर निकाय चुनावों में दो से अधिक संतान वाले उम्मीदवारों ने संबंधित कानून से बचने के लिए गोदनामे को अपना ‘हथियार’ बना लिया था. राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा गोदनामे को मान्यता नहीं देने के स्पष्टीकरण-निर्देश के परिप्रेक्ष्य में राखी गुप्ता (Rakhi Gupta) का महापौर का पद समाप्त होने की प्रबल संभावना है. वैसे, इस पर अंतिम निर्णय राज्य निर्वाचन आयोग को करना है. मामला अदालत में भी जा सकता है.

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