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वैश्य समाज : यह क्या कर बैठे तारकिशोर प्रसाद?

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संजय वर्मा
12 अप्रैल 2023

PATNA : बिहार में जातिगत जनगणना (Caste Census) कराने का निर्णय हुआ. प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू हुई. तब तक इसका सामाजिक (Social) एवं राजनीतिक (Political) मतलब और मकसद सामान्य समझ में नहीं आ पाया. इधर गणना के लिए जातियों का कोड नम्बर जारी हुआ, तो लोगों की पिल्ही चमक गयी. कोड नम्बर पर नहीं, जातियों-उपजातियों के वर्गीकरण में कथित पक्षपात व पारदर्शिता के अभाव पर. हुआ यह कि उपजातियों को नजरंदाज कर कुछ बड़ी जातियों को अलग-अलग एक जाति (Cast) मान लिया गया. दूसरी तरफ शेष की उपजातियों को भी जाति के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया. और की बात अपनी जगह है, वैश्य समाज इससे अधिक प्रभावित हुआ है. इस समाज की राजनीति करने वालों की मानें, तो 24 प्रतिशत आबादी वाले वैश्य वर्ग में 56 उपजातियां हैं.

तारकिशोर प्रसाद ने बनाया दबाव
ऐसा कहा जा रहा है कि इन उपजातियों की अलग-अलग कोडिंग कर वैश्य वर्ग के अस्तित्व को कमजोर करने का प्रयास किया गया है. वैसे तो यह न्यायोचित नहीं ही है. दूसरी बड़ी जातियों की उपजातियों को अलग जाति नहीं बनाया जाना भी वैश्य (Vaishya) समाज को काफी चुभ रहा है. इसे समझ का फेर ही कहेंगे कि वैश्य समाज के कतिपय जातिवादी नेताओं ने सरकार पर दबाव बना अपनी-अपनी जाति को अलग कोड नम्बर दिलवाया. हैरानी की बात यह कि वैसे नेताओं में पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore Prasad) भी हैं, जो कलवार (Kalwar) जाति से आते हैं. जानकारों की मानें, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) वैश्य समाज की तमाम जातियों-उपजातियों को समूह में एक कोड नम्बर देना चाहते थे. कथित रूप से उन पर दबाव बना तारकिशोर प्रसाद ने कलवार जाति को अलग कोड नम्बर दिलवा दिया.

सूरी जाति के लिए भी हुई पहल
इस जाति के कुछ विधायक अलग से मुख्यमंत्री से मिले. उनमें पवन जायसवाल (Pawan Jaiswal), डा. दिलीप जायसवाल (Dr. Dilip Jaiswal), विनोद प्रसाद (Vinod Prasad) आदि थे. कलवार जाति को अलग से कोड नंबर के लिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया. राजद (RJD) के एक मंत्री ने सूरी जाति के लिए पहल की है. अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रदेश भाजपा (BJP) कार्यसमिति के सदस्य डा. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता (Dr. Jagannath Prasad Gupta) ने इस पर गहरी आपत्ति जतायी है. उन्हें इस बात की काफी तकलीफ है कि विगत 40 वर्षों से वैश्य समाज की सभी 56 जातियों-उपजातियों को एकजुट करने के उनके संघर्ष पर इन नेताओं ने पानी फेर दिया.

डा. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता ने उठाया सवाल
उनका मानना है कि संकीर्ण सोच व तुच्छ स्वार्थ के लिए समाज के तथाकथित दुश्मनों ने वैश्य (Vaishya) एकजुटता को छिन्न-भिन्न कर दिया है. डा. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता ने जायज सवाल उठाया है कि जब कुर्मी, कोइरी, यादव, ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत जातियों की उपजातियों को अलग-अलग कोड नम्बर देने की जगह एक कोड नम्बर दिया गया तो फिर वैश्य-बनिया को जातियों-उपजातियों में खंड-खंड कर अलग-अलग कोड नम्बर दिया जाना राजनीतिक (Political) षड्यंत्र का हिस्सा है. वैश्य समाज इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. वैश्य समाज की राजनीति कर स्वार्थ साधने वाले नेताओं को भी माफ नहीं करेगा. समाज के लोगों से ऐसे नेताओं से सावधान रहने की अपील भी उन्होंने की है. इसके साथ ही डा. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से वैश्य समाज की सभी 56 उपजातियों को समूह में एक कोड नम्बर देने की मांग की है.

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