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अनंत सिंह ने ऐसा हड़का दिया कि…!

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संजय वर्मा
03 मई 2023

PATNA : बड़ी दिलचस्प कथा है यह. जदयू (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajiv Ranjan Singh urf Lalan Singh) की खुशफहमी तात्कालिक तौर पर काफूर हो जाने की कथा. खुशफहमी 2024 के चुनाव में मुंगेर (Munger) संसत्दीय क्षेत्र में ‘अपराजेय’ हो जाने की थी. आधार जदयू के महागठबंधन का हिस्सा बन जाना था. इस पलटीमार राजनीति (Political) के एक महत्वपूर्ण किरदार ललन सिंह भी थे. और बातें अपनी जगह हैं, उनका मुख्य उद्देश्य मुंगेर से अपनी जीत सुनिश्चित कराना था. अपने तई उन्होंने वैसा कर-करा भी लिया. मुंगेर में जीत के लिए जदयू और राजद (RJD) समर्थक सामाजिक समूहों का एकजुट समर्थन ही पर्याप्त है. ऊपर से स्वजातीयों का साथ … कौन हरायेगा? इस गणित से भाजपा (BJP) को पसीना छूट रहा था. ललन सिंह से टकराने के लिए कायदे का उम्मीदवार नजर नहीं आ रहा था. लेकिन, इधर एक ऐसा वाकया हो गया कि हालात काफी कुछ बदल गये. दिलचस्प बात यह कि इस बदलाव की पृष्ठभूमि खुद ललन सिंह ने ही बना दी.

संदर्भ महाभोज से जुड़ गया
वाकया महागठबंधन के कार्यकर्त्ताओं के सम्मान में उनके द्वारा दिये गये महाभोज (Mahabhoj) से जुड़ा है. हालांकि, देर-सबेर होना ऐसा ही था. संयोगवश संदर्भ महाभोज बन गया. बात थोड़ी पुरानी है, परन्तु उसकी प्रासंगिकता कायम है. पहले महाभोज की बात. आयोजन पंडारक (Pandarak) के सुदूरवर्ती टाल क्षेत्र में हुआ. पोखर पर गांव में. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वैसे ही तबके के लगभग उतने ही लोग शामिल हुए जितने कुछ दिनों पूर्व लखीसराय (Lakhisarai) के महाभोज में ‘मांस-भात’ का प्रसाद पाये थे. सलाद और दही के साथ मांसाहार और शाकाहार, दोनों का इंतजाम करीब-करीब वैसा ही और उतना ही था. थोड़ा और खुलासा करें तो तकरीबन 450 बकरों की ‘बलि’ यहां भी चढ़ायी गयी.

ललन सिंह का मकसद कुछ और था
बेऊर जेल (Beur Jail) में दस वर्षीया सजा काट रहे पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह (Anant Singh) की पत्नी और मोकामा (Mokama) से राजद की विधायक नीलम देवी (Nilam Devi) की मौजूदगी महाभोज का मुख्य आकर्षण रही. नीलम देवी के साथ अनंत सिंह के खासमखास माने जाने वाले राजद के विधान पार्षद कार्तिक कुमार उर्फ कार्तिक मास्टर (Kartik Kumar urf Kartik Master) भी थे. आयोजन स्थल मोकामा विधानसभा क्षेत्र में था. महागठबंधन के कार्यकर्ताओं के सम्मान में आयोजित हुआ था. आमलोगों ने नीलम देवी और कार्तिक मास्टर की उपस्थिति को उसी नजरिये से देखा. लेकिन, ललन सिंह का मकसद कुछ और था, जो शायद पूरा नहीं हो पाया. सच क्या है यह नहीं कहा जा सकता, पर ऐसी चर्चा है कि इस महाभोज के आयोजन में कार्तिक मास्टर का भी बड़ा योगदान रहा.

बायें से ललन सिंह, कार्तिक मास्टर और नीलम देवी.

नीरज कुमार भी थे
लोग तुलना करते हैं कि लखीसराय (Lakhisarai) के महाभोज में जो भूमिका सूर्यगढ़ा (Surajgarha) के राजद विधायक प्रहलाद यादव (Prahlad Yadav) की थी, करीब-करीब वैसी ही यहां कार्तिक मास्टर की रही. ऐसा स्वाभाविक भी था. इसलिए कि क्षेत्रीय जदयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने यह आयोजन सिर्फ अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए नहीं, महागठबंधन के कार्यकर्ताओं के लिए किया था. उनमें राजद के कार्यकर्त्ता भी थे. भोज खाने वाले अन्य चर्चित चेहरों में जदयू के प्रवक्ता विधान पार्षद नीरज कुमार (MLC Niraj Kumar) भी थे. हालांकि, जब तक वह वहां रहे, नीलम देवी और कार्तिक मास्टर से दूर-दूर ही रहे, कभी आमने-सामने नहीं हुए. भोजन भी उन्होंने अलग किया. ललन सिंह, नीलम देवी और कार्तिक मास्टर एक टेबल पर जमे.

लगा दी फटकार
यहां तक तो सबकुछ खुशगवार रहा. परन्तु, इसके बाद की जो बातें चर्चा में हैं वे ललन सिंह की बेचैनी का वाहक बनी हुई हैं. कहा जाता है कि नीलम देवी और कार्तिक मास्टर की महाभोज में भागीदारी जेल में सजा काट रहे पूर्व विधायक अनंत सिंह (Anant Singh) को नागवार गुजरी. अपनी वर्तमान गति-दुर्गति का हवाला दे उन्होंने दोनों को कड़ी फटकार लगा दी. करीब के लोगों पर विश्वास करें, तो अनंत सिंह ने उन दोनों से पूछा कि जिस ललन सिंह और नीरज कुमार की साजिश के चलते उन्हें जेल की काल कोठरी में दिन गिनने पड़ रहे हैं, उनके आयोजन में शिरकत करने की जरूरत क्या थी?


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हो गया मनमुटाव!
अनंत सिंह ने यह भी कहा कि राजद और महागठबंधन से जुड़ाव है, पर इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें (अनंत सिंह) जिसने बर्बाद किया, उसके पीछे-पीछे घूमने लग जायें. कहते हैं कि विधायक नीलम देवी ने इसका ठीकरा विधान पार्षद कार्तिक मास्टर के माथे फोड़ दिया. बहरहाल, इस कथित फटकार से ललन सिंह को अप्रत्यक्ष सियासी झटका तो लगा ही, लोग महसूस कर रहे हैं कि अनंत सिंह और कार्तिक सिंह के बीच भी मनमुटाव जैसी स्थिति पैदा हो गयी है. विधान पार्षद कार्तिक मास्टर की वयोवृद्ध मां के निधन पर मातमपुर्सी के लिए नीलम देवी के नहीं पहुंचने को इसी नजरिये से देखा जा रहा है. वैसे, अनंत सिंह से जुड़े कुछ लोगों ने औपचारिकता निभायी थी.

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