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यूं ही मूंछों पर ताव नहीं दे रहे ललन सिंह …!

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संजय वर्मा
01 जुलाई 2023

Patna : 2024 के संसदीय चुनाव में मुंगेर (Munger) में क्या होगा? राजनीति को अभी इस सवाल में दिलचस्पी नहीं है. आम जिज्ञासा फिलहाल यह है कि जदयू (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajeev Kumar Singh Urf Lalan Singh) के खिलाफ भाजपा का उम्मीदवार कौन होगा? ललन सिंह इसी मुंगेर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं. अभी तक तीन चुनाव लड़े हैं. दो में जीत हुई है. उन जीतों में भाजपा (BJP) का बड़ा योगदान रहा है. इसको इस रूप में समझा जा सकता है कि 2014 में भाजपा से अलग लड़े तो मुंह की खा गये. जदयू वर्तमान में महागठबंधन (Mahagathbandhan) का हिस्सा है. स्वाभाविक तौर पर 2024  में राजद का साथ मिलेगा. परिस्थितियां अनुकूल हो जाने से फूल कर कुप्पा हैं. जिस तरह से घेराबंदी हो रही है उसमें ऐसा होना भी चाहिए.

भाजपा की चिंता यह भी

उधर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की लखीसराय की ‘हुंकार रैली’ के बाद लगभग स्पष्ट हो गया है कि यह सीट किसी सहयोगी दल को नहीं दे भाजपा खुद मैदान में उतरेगी. परिस्थितियां बदल जाये तो वह अलग बात होगी. भाजपा प्रत्याशी उतारती है तो मुंगेर संसदीय क्षेत्र (Munger Parliamentary Constituency) से चुनाव लड़ने का उसका यह पहला अनुभव होगा. उसके लिए चिंता की बात यह भी है कि भाजपा के लोगों का ही मानना है कि सांगठनिक दुर्बलता के कारण प्रथम प्रयास में कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां पैदा हो सकती हैं. खासकर ललन सिंह जैसे ‘सर्वगुण संपन्न अखाड़िये’ को टक्कर देने में समर्थ उम्मीदवार के चयन में. ऐसा नहीं कि भाजपा में उम्मीदवार का अकाल है. संभावित के रूप में कई चेहरों की चर्चा है. पर, प्रायः सबके साथ कुछ न कुछ अगर-मगर जुड़े हुए हैं.

है बहुत बड़ा परन्तु

भाजपा के अंदर जो नाम लिये जा रहे हैं उनमें बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह (Giriraj Singh),  लखीसराय के विधायक विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha), बेगूसराय निवासी राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा (Rakesh Sinha) और पूर्व केन्द्रीय मंत्री‌ आरसीपी सिंह (RCP Singh) शामिल हैं. आयातित के रूप में पूर्व सांसद वीणा देवी (Veena Devi) और विधायक नीलम देवी (Nilam Devi) के नाम की चर्चा है. कहा यह भी जा रहा है कि नवादा की सीट भाजपा अपने हिस्से में रख लेती है तब वहां के रालोजपा सांसद चंदन सिंह (Chandan Singh) को मुंगेर के मैदान में उतारा जा सकता है. बशर्ते रालोजपा का राजग से और चंदन सिंह का‌ रालोजपा (RLJP) से जुड़ाव बना रहा तब. पर, यहां एक बहुत बड़ा परन्तु है, जो मुंगेर के मैदान में उतरने से सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी और भाई चंदन सिंह का पांव ठिठका दे सकता है.

लखीसराय की हुंकार रैली में अमित शाह.

कौन जुटायेगा हिम्मत?

विश्लेषकों का मानना है कि सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) ही नहीं, सरकारी ठेका-पट्टों से जुड़ा कोई भी सियासी शख्स वर्तमान में सत्ता पक्ष से पंगा फंसा नयी मुसीबत मोल नहीं लेना चाहेगा. इस समझ के तहत कि विरोधियों का हिसाब करने में अमित शाह को वक्त लगता है. यहां वक्त की मुरव्वत नहीं है. ‘गुनाह’ की ‘सजा’ तुरंत मिल जाती है – त्वरित न्याय! ऐसे में कौन हिम्मत जुटायेगा? कभी बड़े बाहुबली रहे पूर्व सांसद सूरजभान सिंह भी इसके अपवाद नहीं माने जा रहे हैं. कभी-कभार भाजपा के संभावित उम्मीदवार के रूप में जेल में बंद पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह की पत्नी राजद (RJD) विधायक नीलम देवी के नाम की चर्चा उठ जाती है. करीब के‌ लोग बताते हैं कि अनंत सिंह (Anant Singh) भी खुद ऐसा चाहते हैं, पर उनके दाहिना हाथ माने जाने वाले विधान पार्षद कार्तिक कुमार उर्फ कार्तिक मास्टर (Kartik Kumar Urf Kartik Master) रह-रह कर धधक उठती प्रतिशोध की आग पर राख डाल देते हैं.


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नहीं चाहते अदावत का विस्तार

कार्तिक मास्टर अदावत का विस्तार नहीं चाहते हैं. समझ संभवतः यह कि इससे ‘साम्राज्य’ पर और बड़ा संकट‌‌ उत्पन्न हो जा सकता है. वैसे, विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार में नीलम देवी को मंत्री बना इस आशंका को समाप्त कर दिया जा सकता है. भाजपा में कोई नया प्रयोग हो तो वह अलग बात होगी, प्राथमिकता ब्रह्मर्षि समाज से ही उम्मीदवार उतारने की है.‌ वैसे, नये प्रयोग पर निर्णय हुआ तो नजरें धानुक समाज की ओर मुड़ सकती हैं. इस क्षेत्र में धानुक समाज के मतों की संख्या भी परिणाम को प्रभावित करने लायक है. धरातलीय सच क्या है यह नहीं कहा जा सकता, इन मतों पर भगवा में रमे पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की अच्छी पकड़ रहने की बात कही जाती है.

आरसीपी सिंह का दंभ

लखीसराय (Lakhisarai) की ‘हुंकार रैली’ में आरसीपी सिंह ने कहा भी कि 2024 के चुनाव में वह ललन सिंह की जमानत जब्त करा देंगे. इस परिप्रेक्ष्य में ऐसा माना ज सकता है कि नया प्रयोग हुआ तब अवसर आरसीपी सिंह को मिल सकता है.‌ धानुक समाज से दूसरा नाम जमालपुर (Jamalpur) से जदयू के विधायक रहे पूर्व मंत्री शैलेश कुमार (Shailesh Kumar) का लिया जा रहा है. शैलेश कुमार का इन दिनों ललन सिंह से छत्तीस का रिश्ता है. पर, उनकी संभावना इस वजह से ज्यादा चमकदार नहीं दिखती है कि जब प्रयोग ही होगा तो फिर आरसीपी सिंह क्यों नहीं? बहरहाल, प्रयोग और उसका फलाफल वक्त के गर्भ में है, अभी यह कहा जा सकता है कि क्षेत्र का जो सामाजिक-राजनीतिक समीकरण है उसमें भाजपा की ऐसी पहल ललन सिंह को कमजोर नहीं करेगी, और अधिक मजबूत बना देगी. क्यों और कैसे, यह‌ बताने-समझाने की शायद जरूरत नहीं है.

(भाजपा के दावेदारों‌ की संभावनाओं पर चर्चा अगली कड़ी में)

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