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भारत – नेपाल सीमा : तस्कर गिरोहों की गिरफ्त में अर्थव्यवस्था!

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ललित झा
09 जुलाई 2023
Jaynagar : यह कहने में तनिक भी गुरेज नहीं की‌ एक हजार आठ सौ पचास‌‌ किलोमीटर लंबी भारत- नेपाल सीमा (Indo-Nepal border) पूरी तरह से अंतराष्ट्रीय तस्कर गिरोहों (international smuggling syndicates) की गिरफ्त में है. ये गिरोह इतने‌ ताकतवर हैं कि सीमा पर सब कुछ उनकी ही‌ मर्जी के अनुसार होता है. हालांकि, भारत का सीमा सुरक्षा बल (Seema Suraksha bal) तथा नेपाली सुरक्षा बल‌ (Nepali Security Force) की‌ वहां सघन तैनाती है. इसके बाबजूद तस्करी की‌ रफ्तार थम नहीं रही है. ऐसा क्यों, यह आम समझ से परे है. इसी तस्करी के कारण नेपाली रुपये  (nepali rupee) की मांग काफी बढ़ गयी है. दूसरी ओर उपलब्धता अधिक होने से भारतीय रुपया कमजोर पड़ गया है. इसकी बड़ी वजह चीन निर्मित सामानों की तस्करी है. हो यह‌ रहा है कि इस गोरखधंधे में लिप्त व्यापारियों को भुगतान नेपाली रुपया, डॉलर या फिर चीनी मुद्रा में करना पड़ता है. परिणामस्वरूप भारतीय व्यापारी इन्हीं मुद्राओं को‌ खरीदने को बाध्य हैं.

इस कारण बढ़ी है मांग
चैंबर ऑफ कॉमर्स जयनगर के महासचिव अनिल बैरोलिया (Anil Barolia) के अनुसार पहले भारत के सीमावर्ती बाजारों में भी प्रति दिन करोड़ों नेपाली करेंसी जमा होती थी. नेपाल के लोग इन बाजारों में नेपाली करेंसी से खरीदारी‌ करते थे. इधर नेपाल सरकार‌ द्वारा लगाये गये प्रतिबंध के कारण वहां के लोगों का आना बहुत कम हो गया है. इससे नेपाली करेंसी का आवक प्रभावित हुआ है. जानकारों के मुताबिक वैदेशिक रोजगाड़ी में विदेश गये नेपाल तथा मधेस के लोग अपना पारिश्रमिक हुंडी कारोबारी के माध्यम से नेपाल भेजते हैं. ये हुंडी कारोबारी उनसे विदेशी मुद्रा लेकर, चीनी एजेंट को देते हैं तथा बदले में उन्हें नेपाली करेंसी मे भुगतान करते हैं. इस कारण भी खुले बाजार में नेपाली करेंसी की मांग बढ़ी है.‌भारतीय मुद्रा के अवमूल्यन का यह सिलसिला नवंबर 2022 से बना‌ हुआ है.

भारत-नेपाल सीमा का एक दृश्य यह भी .

नेपाल के अंदर भी
इस संदर्भ में स्वस्तिका सटही काउंटर के संचालक रविंद्र निरौला का कहना हैं कि उनके पास आजकल भारतीय रुपया लेने कोई नही आ रहा है. बल्कि अधिसंख्य लोग भारतीय रुपया लेकर आते हैं और बदले में नेपाली रुपया चाहते हैं. चिंता की बात यह कि अब नेपाल के अंदर के बाजारों में भी लोग भारतीय रुपया लेने से इनकार करने लगे हैं. जगह – जगह दुकानों , पेट्रोल पंपों पर भारतीय रुपया में भुगतान नहीं लेने‌, नेपाली मुद्रा में ही भुगतान करने की सूचना चिपका दी गयी है. यहां हैरानी की बात यह है कि भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन (Devaluation of indian currency) नेपाल सरकार द्वारा नही किया गया है. अवैध मुद्रा विनिमय तथा हवाला या हुंडी कारोबारियों के साथ मिलकर कुछ लोगों ने ऐसी परिस्थितियां बना रखी हैं. विश्लेषकों का मानना है कि हालात बदलने के लिए भारत सरकार (Indian government) को बिना देर किये‌ एक साथ कई स्तरों पर कार्य करना होगा.


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बदलना होगा चरित्रसीमा पर तैनात सुरक्षा व्यवस्था का चरित्र पीपुल फ्रेंडली तथा तस्करी विरोधी बनाना होगा, जबकि हो रहा है ठीक इसके उलट. इसी तरह भारत नेपाल सीमा समन्वय समिति को प्रभावकारी बनाने की जरूरत है. चीन निर्मित सामानों की तस्करी पर कठोर अंकुश लगाना होगा. सीमावर्ती क्षेत्रों में संचालित 100 से अधिक अवैध सटहि काउंटरों को सरकार के निर्देशन तथा नियम कानून के अनुसार संचालन सुनिश्चित करना होगा. सीमावर्ती क्षेत्रों में संचालित बैंकों में विदेशी मुद्रा विनिमय केंद्र (foreign exchange center) खोला जाना चाहिए ताकि मुद्रा विनिमय के लिए लोगों को‌ इधर – उधर भटकना नहीं पड़े. वर्तमान में नेपाल की राजनीतिक व आर्थिक परिस्थितियों में चीन का प्रभाव जिस तेजी से बढ़ रहा है वह भारत और नेपाल के मैत्री संबंधों के हित में कतई नहीं है.

( लेखक नेपाल से प्रकाशित हिन्दी पत्रिका ‘हिमालिनी’ के राजनीतिक संपादक हैं.)

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