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माफिया राज : दबंग कारोबारियों ने भी लगाया जमकर चूना !

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    अमन राय
16 जुलाई 2023

Sahibganj : साहिबगंज में कथित रूप से पत्थर के अवैध उत्खनन से अर्जित अथाह धन के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्र एवं दो अन्य के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की विशेष अदालत में आरोप-पत्र दाखिल हुआ. आरोपों का सारांश यह कि हाल के वर्षों में सत्ता के संरक्षण और ‘सर्वशक्तिमान’ पंकज मिश्र (Pankaj Mishra) की कथित सरपरस्ती में एक हजार करोड़ से अधिक का अवैध उत्खनन हुआ. अकेले पंकज मिश्र ने नहीं, उनके दायें-बायें रहनेवाले दबंग कारोबारियों ने बड़े पैमाने पर सरकारी राजस्व को चूना लगाया. आरोप-पत्र में तीन – पंकज मिश्र, प्रेम कुमार और बच्चू यादव – के नाम दिये गये. पर, प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की छापेमारी के दरम्यान और कई नाम भी सामने आ गये. कुछ के यहां छापे भी पड़े. करोड़ों में नोटों की गड्डियों की बरामदगी हुईं.

यह भी हैं महत्वपूर्ण किरदार
रहस्य खुला कि इस प्रकरण के एक महत्वपूर्ण किरदार हीरा भगत भी हैं. बड़े कारोबारी हैं. मिर्जा चौकी के समीप उनका पत्थर खदान और क्रसर प्लांट है. कारोबार उनके पुत्र राजू भगत संभाल रहे हैं. पंकज मिश्र के ‘हित-अहित’ का ख्याल रखनेवाले वैसे तो अनेक लोग हैं, पर मुख्य भूमिका में हीरा भगत ही रहे हैं. प्रवर्तन निदेशालय की सामूहिक कार्रवाई में मिर्जाचौकी स्थित उनके घर से तकरीबन तीन करोड़ की बड़ी राशि मिली थी. वह उनकी खुद की ‘अर्जित’ थी या किसी और की ‘उगाही’ को उन्होंने अपने घर में ‘इत्मीनान’ दे रखा था, इसका मुकम्मल खुलासा नहीं हुआ है. साहिबगंज का संपूर्ण इलाका पंकज मिश्र से हीरा भगत की नजदीकी को बखूबी जानता-समझता और महसूस करता है. जब्त बड़ी राशि किसकी थी, यह भी जानता है.

पंकज मिश्र से गहरे रिश्ते
प्रवर्तन निदेशालय का भी प्रारंभिक आकलन-अनुमान ऐसा ही कुछ रहा. वैसे, पत्थर के कारोबार की तह की जानकारी रखने वालों की मानें, तो इस गोरखधंधे में 2-3 करोड़ रुपये की कोई वकअत नहीं होती. इसे देह के मैल के समान समझा जाता है. तब भी उक्त राशि की बरामदगी को पंकज मिश्र से जोड़कर देखा एवं मीडिया में परोसा गया. पंकज मिश्र से हीरा भगत के कथित गहरे रिश्तों के मद्देनजर ऐसा स्वाभाविक था. वैसे, जानकारी यह भी है कि हीरा भगत की रिश्तेदारी बिहार (Bihar) के एक बड़े भाजपा (BJP) नेता से भी है.

कृपा भगवान भगत पर भी!
भगवान भगत (Bhagwan Bhagat) का भी पत्थर का बहुत बड़ा कारोबार है. बरहरवा (Barharwa) प्रखंड के सतगाछी गांव के समीप उन्होंने करोड़ों की लागत से बड़ी राइस मिल स्थापित कर रखी है. सरकार से सब्सिडी भी मिली है. लोग हैरान हैं कि इतने बड़े कारोबारी ने सब्सिडी ली! कनफुसकियों में बात पसरी कि पत्थर की कथित काली कमाई को सफेद में बदलने का यह उपक्रम है. सच क्या है, यह जांच का विषय बनता है. स्थानीय लोग राइस मिल के गोरखधंधे की भी चर्चा करते हैं. पंकज मिश्र की हिस्सेदारी की बात करते हैं. कई लोगों को इस बात पर आपत्ति है कि इधर के दिनों में हर तरह के धंधे-गोरखधंधे से बेवजह पंकज मिश्र का नाम जोड़ दिया जाता है. जबकि ज्यादातर मामलों में वैसा कुछ नहीं रहता. आरोप और आपत्ति में सही क्या है, इसका खुलासा प्रवर्तन निदेशालय ही कर सकता है.


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इन्हीं का चलता है सिक्का
भगवान भगत बरहरवा रतनपुर के रहनेवाले हैं. राजकीय राजपथ के किनारे उनका क्रशर प्लांट है. इसी प्लांट के पीछे है पत्थर खनन (Stone Mining) क्षेत्र. ईडी द्वारा मीडिया को उपलब्ध करायी गयी जानकारी के मुताबिक 13.13 एकड़ का दो अलग-अलग खनन पट्टा है. लेकिन, कारोबार तकरीबन 21 एकड़ में फैला है. यानी आवंटित खदान से 7.80 एकड़ ज्यादा. अवैध खनन से मिली राशि में से 04 करोड़ 87 लाख रुपये पंकज मिश्र के खाते में ट्रांसफर किये गये. भगवान भगत के खदान की बायीं तरफ की खास जमीन में भगवान भगत के भाई भावेश भगत का हॉट मिक्स (बिटुमेन) प्लांट है. ऐसा कहा जाता है कि यह इतने प्रभावशाली हैं कि बरहरवा एवं पतना प्रखंडों में कथित रूप से इन्हीं का सिक्का चलता है. प्रशासन के लोगों की हर ख्वाहिश बिना किसी हिचक पूरी होती है. इसलिए कुछ अपवादों को छोड़ शेष ‘नतमस्तक’ रहते हैं. टिंकल भगत और कृष्णा साहा की हैसियत भी बहुत कुछ ऐसी ही है. ईडी ने भगवान भगत, टिंकल भगत और कृष्णा साहा को भी गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है.

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