इस बौखलाहट के पीछे है बहुत गहरा रहस्य
संजय वर्मा
06 अगस्त 2023
Patna : ‘संगत से गुण होत है, संगत से गुण जाय…’ कबीर दास (Kabir Das) के इस प्रचलित दोहे का अप्रत्याशित ज्वलंत उदाहरण गुरुवार को देश ने देखा. असभ्यता, अभद्रता और अशिष्टता के रूप में. ऐसे ओछे आचरण को आम बोलचाल में जो कहा जाता है उसका यहां उल्लेख करना उचित नहीं. भावावेश में हुआ हो या होशोहवास में, मुंगेर (Munger) के जदयू (JDU) सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajeev Ranjan Singh urf Lalan Singh) के इस उग्र आचरण को लोकतांत्रिक मान्यताओं एवं परम्पराओं के प्रतिकूल ही कहा जायेगा. खुद को राजनीति में शुचिता, शुद्धता और शालीनता का पर्याय बताने वाली पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से ऐसे अशोभनीय व्यवहार की कल्पना नहीं की जा सकती. इसलिए नहीं कि लोकतंत्र की दृष्टि से पवित्र जगह में उनकी ऐसी उग्रता का संभवत: कोई पूर्वोदाहरण नहीं है.
गहरा गयी है आशंका
अब यह कुख्यात गंवारू राजनीतिक दल से जुड़ने का असर है या भाजपा के प्रति दीर्घ प्रतिशोध का प्रस्फुटन, यह नहीं कहा जा सकता. भाजपा (BJP) से प्रतिशोध की भावना के एक नहीं, नये- पुराने अनेक कारक हैं. उनमें एक केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलना भी है. लेकिन, विश्लेषकों की समझ में वर्तमान बौखलाहट बिहार (Bihar) में उनके करीबियों के खिलाफ केन्द्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई की उपज है. आशंका यह कि देर सबेर इन ऐजेंसियों के हाथ बड़े – बड़े नेताओं की गर्दनों तक पहुंच जा सकते हैं. राजनीति महसूस कर रही है कि प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के निदेशक संजय मिश्र (Sanjay Mishra) के सेवा विस्तार से यह आशंका कुछ अधिक गहरा गयी है. संजय मिश्र 12 सितम्बर 2023 तक निदेशक पद पर रहेंगे. सामान्य समझ है कि उससे पहले उन्हें यह सब काम निबटा देना है . सेवा विस्तार का मुख्य मकसद यही बताया जा रहा है.
एक-एक कर तीन छापेमारियां
चर्चा अब बिहार में केन्द्रीय जांच एजेंसियों (Central Investigative Agencies) की कार्रवाई की. पहले पटना के राजीव कुमार सिंह उर्फ गब्बू सिंह फिर हरियाणा के कलसी ग्रुप और बाद में बेगूसराय के अजय कुमार सिंह उर्फ कारू सिंह. तीनों के तीनों बड़े कारोबारी, बिल्डर और ठेकेदार. छोटे- मोटे उद्योगपति भी. सियासी गलियारों की चर्चाओं पर भरोसा करें तो ये तीनों सत्तारूढ़ जदयू के शीर्ष नेतृत्व की नाक के बाल हैं. स्वाभाविक रूप से राज्य सरकार के ठेका- पट्टों पर इन तीनों का लगभग एकाधिकार है. लालू प्रसाद (Lalu Prasad) और भ्रष्ट आचरण के आरोपों में घिरे उनके परिवारजनों के खिलाफ सीबीआई, आयकर एवं प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाइयों के बीच एक – एक कर हुई उक्त तीनों के खिलाफ कार्रवाई ने जदयू (JDU) नेतृत्व की पेशानी पर बल डाल दिया.
दिशा नीतीश कुमार की ओर
थोड़ा अतीत में चलें तो इस छापेमारी का राजनीतिक निहितार्थ आसानी से समझ में आ जायेगा. 2015 में भी महागठबंधन की सरकार थी. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ही मुख्यमंत्री थे. उन्हें महागठबंधन से खींचने के लिए राबड़ी परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोपों को नये सिरे से सार्वजनिक किया गया. नीतीश कुमार की तथाकथित आदर्शवादिता पर कटाक्ष भरे सवाल – दर – सवाल उठाये गये. उन्हीं सवालों को ढाल बना नीतीश कुमार फिर से भाजपा के साथ हो गये. लालू – राबड़ी परिवार के आरोपितों के खिलाफ सीबीआई (CBI), आयकर विभाग (Income Tax Department) और प्रवर्तन निदेशालय का अभियान रफ़्तार में था ही, 09 अगस्त 2023 को जदयू के भाजपा से अलग होने के बाद अप्रत्यक्ष रूप से राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को लक्षित कर अघोषित रूप से उसकी दिशा नीतीश कुमार की ओर भी मोड़ दी गयी.
नगद दिये पांच करोड़
भागलपुर के बहुचर्चित सृजन घोटाला (Srijan Ghotala) और मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के बालिका गृह प्रकरण की चर्चा फिर से होने लगी. उसी दरम्यान पटना के बहुत बड़े बिल्डर और ठेकेदार राजीव कुमार सिंह उर्फ गब्बू सिंह के ठिकानों पर आयकर का छापा पड़ा. 14 अक्तूबर 2022 को पटना समेत देश की तीस जगहों पर हुई एक साथ छापेमारी में आयकर विभाग को गब्बू सिंह के कारोबार में क्या कुछ गड़बड़ी मिली, इसकी मुकम्मल जानकारी नहीं. जो बातें मीडिया में आयी हैं, उसके मुताबिक तकरीबन सौ करोड़ की कथित गड़बड़ी से संबंधित कागजात मिले. एक बड़े नेता को पांच करोड़ की बड़ी रकम नगद दिये जाने की बात सामने आयी. ईडी ने राजीव कुमार सिंह उर्फ गब्बू सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया . फलाफल क्या निकलता है , यह वक्त के गर्भ में है. फिलहाल इस प्रकरण को राजनीति के नजरिये से देखा जा रहा है.
संभावना समाप्त नहीं
यह हर किसी को मालूम है कि गब्बू सिंह (Gabbu Singh) के रिश्ते बिहार के अनेक बड़े नेताओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों से हैं. कुछ ने उनके कारोबार में पूंजी भी निवेश कर रखे हैं. पर, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के साथ संबंधों में कुछ अधिक प्रगाढ़ता है. संभवतः इसी वजह से छापेमारी के संदर्भ में अप्रत्यक्ष रूप से उनके नाम की चर्चा हुई. और की बात छोड़ दें , खुद ललन सिंह ने गब्बू सिंह के यहां छापेमारी पर ‘ जागते रहो, बहुरूपिया आयेगा ‘ जैसा सजग करने वाला बयान दे इसको पुष्ट कर दिया. ललन सिंह की आशंका के अनुरूप ‘बहुरूपिया’ आया. एक बार नहीं अलग – अलग श्र में दो बार आया, आगे भी आयेगा, इसकी संभावना समाप्त नहीं हुई है.
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गुस्सा उन्हें भी आया होगा
बेगूसराय (Begusarai) शहर के श्रीकृष्णनगर में रहने वाले मटिहानी के मूल निवासी अजय कुमार सिंह उर्फ कारू सिंह बहुत बड़े उद्योगपति एवं ठेकेदार हैं. इतने बड़े कि राजनीतिक और सामाजिक सरोकारों से कोई खास लगाव- जुड़ाव नहीं रहने के बावजूद पहचान का संकट नहीं है. नीतीश कुमार के अति करीबी संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी (Vijay Kumar Chowdhary) उनके बहनोई हैं और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से सामान्य से कहीं अधिक नजदीकी है. अन्य चर्चित सियासी शख्सियतों से भी उनके करीब-करीब इतने ही मधुर सबंध हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि है कि छापेमारी से जितना गुस्सा विजय कुमार चौधरी और ललन सिंह को आया होगा उससे तनिक भी कम केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) को नहीं आया होगा. तीन दिनों की छापेमारी (Raid)में आयकर विभाग और ईडी को प्रथम द्रष्टया कुछ गड़बड़ियां दिखी.
सबूत की तलाश
विश्लेषकों की मानें तो कारू सिंह (Karu Singh) के यहां छापेमारी ललन सिंह से उनके गहरे ताल्लुकात को लेकर हुई. ललन सिंह के खिलाफ किसी ऐसे सबूत की तलाश की जा रही है जो उन्हें ‘सबक’ सिखाने का ठोस आधार बन सके. अजय कुमार सिंह उर्फ कारू सिंह के ठिकानों को खंगालने से तकरीबन दो माह पूर्व 26 अप्रैल 2023 को कलसी ग्रुप के 45 से अधिक ठिकानों पर छापे पड़े. यह ग्रुप कलसी बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड (Kalsi Buildcon Private Limited) के नाम से बिहार (Bihar) में विविध प्रकार का सरकारी काम करता है. सचिवालयों और पुलिस मुख्यालय से लेकर तमाम सरकारी कार्यालयों एवं राजगीर (Rajgir) के कई प्रतिष्ठानों के रखरखाव एवं साफ सफाई का काम इसी को मिला हुआ है. कुछ चर्चित सरकारी भवनों का निर्माण भी इसने कराया है. ऐसा माना जाता है कि इन तीनों कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई की रफ्तार अब बढ़ सकती है. चिंता इसी की गहराई हुई है. आगे – आगे देखिये होता है क्या!
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