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किशनगंज : हक तो बनता है उनका मंत्री-पद का

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अशोक कुमार
14 अगस्त 2023

Purnea : किशनगंज (Kishanganj) महागठबंधन मिजाज का बिहार (Bihar) का एक ऐसा जिला है जहां भाजपा (BJP) के चुनावी मंसूबों के फलीभूत होने की संभावना दूर- दूर तक नहीं दिखती है. एआईएमआईएम  (AIMIM) की सघन सक्रियता से मुस्लिम मतों में बिखराव के मद्देनजर भी यह अंकुरित नहीं हो पाती है. राज्य का यह सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल जिला और संसदीय क्षेत्र है. सबसे बड़ी बात यह कि यहां का मुस्लिम समाज किसी दल विशेष से बंधा नहीं है, मनमाफिक राजनीति बुनता है और उसी में अपना लक्ष्य तय करता है, हित तलाशता है. बहुसंख्यक आबादी की इस एकजुटता के सामने कोई राजनीतिक दल या राजनेता कोई मायने नहीं रखता है. लेकिन, इसे इस क्षेत्र का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि एकाध अपवादों को छोड़ राज्य मंत्रिमंडल में इसे कभी समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है.

इसका भी ख्याल नहीं रखा
वर्तमान मंत्रिमंडल में भी इस क्षेत्र की घोर उपेक्षा हुई है. गौर करने वाली बात है कि अररिया जिले के जोकीहाट के विधायक शाहनवाज आलम (Shahnawaz Alam) को मंत्री- पद से नवाजा गया, लेकिन किशनगंज जिले को एक भी स्थान हासिल नहीं हुआ. इस मामले में इसका भी ख्याल नहीं रखा गया कि 2020 में मुख्य रूप से इसी जिला ने राज्य की सत्ता राजनीति की दिशा बदल दी थी, विधानसभा चुनाव में चार में से दो पर एआईएमआईएम के उम्मीदवारों को विजयश्री दिलाकर. मंत्रिमंडल में उपेक्षा का मलाल सिर्फ राजनीति से जुड़े लोगों को ही नहीं है, आम लोग भी खासे क्षुब्ध हैं. पर, इसे मानने को विवश हैं. इसलिए कि अन्य कोई विकल्प नहीं है.

राजद विधायक अंजार नईमी.

आश्वस्त हैं अंजार नईमी
वर्तमान में किशनगंज जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में से तीन पर राजद (RJD) काबिज है तो एक पर कांग्रेस . किशनगंज संसदीय क्षेत्र की बात करें तो एआईएमआईएमएम की एक सीट को छोड़कर शेष सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों पर राजद और कांग्रेस (Congress) ही काबिज है . इस दृष्टि से भी किशनगंज जिला मंत्री का पद पाने की पात्रता रखता है. विश्लेषकों की समझ में जन सरोकारों सेघ् गहरे रूप से जुड़े बहादुरगंज के राजद विधायक अंजार नईमी मंत्री (Anzar Naeemi Minister) – पद पाने के सर्वथा योग्य हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) के समक्ष किशनगंज जिले को बिहार मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देने की मांग रखी थी. आश्वासन भी मिला था, लेकिन वह अभी तक पूरा नहीं हुआ है. अंजार नईमी अपने अभियान में जुटे हैं. कामयाबी मिलने के प्रति पूर्ण आश्वस्त भी हैं.


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तो यह है कारण
किशनगंज जिले की इस रूप में उपेक्षा पर स्थानीय राजनीतिक हलकों में तरह- तरह की बातें होती हैं. कुछ लोगों का कहना है कि किशनगंज जिले से नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने जो राजनीतिक अपेक्षाएं पाल रखी थीं, बहुत कुछ करने के बाद भी उसके पूरा नहीं होने का खामियाजा इसे भुगतना पड़ रहा है. नीतीश कुमार की ऐसी सोच का ही यह प्रमाण है कि ठाकुरगंज के पूर्व जदयू विधायक नौशाद आलम (Naushad Alam), जो कभी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे थे , उन्हें मदरसा बोर्ड का उपाध्यक्ष बना दिया गया. नौशाद आलम की बेरोजगारी तो खत्म हो गयी, पर लोग हैरान हैं कि जो शख्स कभी मंत्री के रूप में आदेश जारी करते थे, मदरसा बोर्ड के उपाध्यक्ष के तौर पर मंत्री के आदेश का अनुपालन करेंगे!

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